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ग्राउंड रिपोर्ट

एक दशक में 331 करोड़ की लागत से बना भुजोड़ी ओवरब्रिज चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, चालू होने के 3 माह बाद ही कई जगह से टूटा पुल दुर्घटनाओं को दे रहा आमंत्रण

Janjwar Desk
1 Sept 2022 4:11 PM IST
एक दशक में 331 करोड़ की लागत से बना भुजोड़ी ओवरब्रिज चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, चालू होने के 3 माह बाद ही कई जगह से टूटा पुल दुर्घटनाओं को दे रहा आमंत्रण
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एक दशक में 331 करोड़ की लागत से बना भुजोड़ी ओवरब्रिज चढ़ा भ्रष्टाचार की भेंट, चालू होने के 3 माह में कई जगह से टूटा पुल दे रहा दुर्घटनाओं को आमंत्रण

Gujrat Model : 331 करोड़ रुपये से बना डेढ़ किलोमीटर लंबा बना यह पुल भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां कर रहा है, इसे चालू हुए मात्र 3 माह हुए हैं, मगर इस ब्रिज की हालत देखकर लगता है जैसे यह पता नहीं कितने साल से बना हुआ है, जगह-जगह से टूटा पुल हर दिन दुर्घटनाओं को आमंत्रण ही दे रहा है...

दत्तेश भावसार की रिपोर्ट

Gujrat Model Ground Report : गुजरात में पिछले 27 सालों से एक ही पार्टी भाजपा का शासन चल रहा है और पिछले 8 साल से भाजपा ही केंद्र में सत्तासीन है। यानी गुजरात में इस समय डबल इंजन की सरकार है, बावजूद इसके जनता मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है। आवागमन के लिए प्रयोग होने वाली सड़कें भी इस बदतर हालत में हैं कि हर समय जान का जोखिम बना रहता है।

गौरतलब है कि गुजरात में डेढ़ किलोमीटर लंबे ओवरब्रिज को बनाने में 10 साल का लंबा वक्त लग गया था। कच्छ जिले के भुज को जोड़वे वाले हाईवे पर बने भुजोडी ओवरब्रिज को तीन साल में बनना था। अब इसी साल 2 जून 2022 को गुजरात के मंत्री पूर्णेश मोदी ने इस ओवरब्रिज का लोकार्पण किया था। लोकार्पण के 3 माह बाद ही जगह-जगह से टूटा ओवरब्रिज निर्माण के दौरान हुए भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां कर रहा है।

कच्छ जिले की बात करें तो यहां भुज शहर के पास भुजोड़ी ओवर ब्रिज जोकि पिछले 10 साल से निर्माणाधीन था और उसको 2 जून 2022 को तत्कालीन रोड एंड बिल्डिंग मंत्री पूर्णेश मोदी ने आम जनता के लिए चालू करवाया था, वह जगह जगह से टूट चुका है। 331 करोड़ रुपये से बना डेढ़ किलोमीटर लंबा बना यह पुल भ्रष्टाचार की कहानी खुद बयां कर रहा है। इसे चालू हुए मात्र 3 माह हुए हैं, मगर इस ब्रिज की हालत देखकर लगता है जैसे यह पता नहीं कितने साल से बना हुआ है। जगह-जगह से टूटा पुल हर दिन दुर्घटनाओं को आमंत्रण ही दे रहा है। न सिर्फ यह पुल बल्कि पूरे गुजरात भर में सड़कें ऐसे ही निर्माणों से भरी हुयी हैं, जहां किसी भी वक्त केाई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। यानी यह सारे निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़े हैं।

जनता कह भी रही है भुजोड़ी ओवरब्रिज पर अभी तो बहुत ज्यादा आवाजाही नहीं है, जिस दिन इसके ऊपर से 40 टन वजनी वाहन निकलेंगे पता नहीं क्या स्थिति हो सकती है यह पुल कई और जगह से टूटा हुआ और बैठा हुआ दिखायी देता है। मात्र 3 माह की आवाजाही का ही वजन पुल नहीं सह पाया और कई जगह से फैल भी गया है, जिसके कारण यातायात करने वाले लोगों के जीवन पर बहुत बड़ा जोखिम मंडरा रहा है।

गौरतलब है कि गुजरात राज्य सड़क विकास निगम लिमिटेड की ओर से वलेचा समूह को इस ओवरब्रिज को बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। शुरुआत में इसकी लागत 256.94 करोड़ रुपये थी, मगर 2015 में यानी मात्र 3 साल बाद ही फंड की कमी बताकर ओवरब्रिज का काम रोक दिया गया। चूंकि यह कच्छ जिले के भुज को जोड़ने वाला हाईवे था, इसलिए इसका काम रूकने से लोगों में भारी रोष फैल गया और वह इसके लिए भाजपा सरकार को दोषी ठहराने लगे। जनता की नाराजगी से बचने के लिए इसका काम दोबारा शुरू हुआ और इस परियोजना की लागत राशि 330.94 करोड़ तक पहुंच गई। लागत बढ़ने के बावजूद ओवरब्रिज का निर्माण धीमी गति से चलता रहा और अब 10 साल बाद भुजोड़ी ओवरब्रिज बना भी तो ऐसा कि जो हर रोज दुर्घटनाओं को दावत देता नजर आ रहा है। घटिया निर्माण सामग्री के चलते जनता की जान हर समय खतरे में है।

इस बारे में स्थानीय निवासी राजेश भाई आहीर कहते हैं, 'इस पुल के निर्माण में कई त्रुटियों के बारे में तंत्र को पहले से ही अवगत कराया गया था, लेकिन भ्रष्टाचार में लिप्त सरकारी बाबू किसी भी शिकायत पर ध्यान नहीं देते और पुल के ठेकेदार को बचा रहे हैं।

राजेश भाई आगे कहते हैं, चूंकि सरकारी कार्यक्रमों में और सत्तासीन पार्टियों के बड़े बड़े आयोजनों का खर्च यही ठेकेदार उठाते हैं इसलिए इनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं होती और लोगों के टैक्स का करोड़ों रुपए पानी की तरह बर्बाद हो जाता है, जान का जोखिम रहता है सो अलग।'

स्थानीय निवासी बताते हैं, पुल का जब निर्माण हो रहा था तब रोड एंड बिल्डिंग डिपार्टमेंट से कई बार पूछा गया और घटिया निर्माण की शिकायत भी की गयी, लेकिन विभाग ने अपना पल्ला झाड़ते हुए सारी जिम्मेदारियों से हाथ खींच लिए थे। गांधीनगर अन्य विभाग के अंतर्गत यह काम आता है, यह जानकारी जनता को दी जाती थी। इतना ही नहीं कई विभाग इस निर्माण से पल्ला झाड़ते हुए दिखे, जबकि यह टोल रोड है इसलिए हम पैसे देकर मुसीबत मोल ले रहे हैं।

शासन-प्रशासन से आजिज जनता गुस्से में कहती है, यही गुजरात मॉडल है और कमोवेश गुजरात के हरे क्षेत्र में भुजोड़ी ओवरब्रिज जैसे पुल और रास्ते टूटे हुए पाए जाते हैं। मेहसाणा के पास भी एक ओवर ब्रिज क्षतिग्रस्त है। इसके अलावा कई नेशनल हाईवे भी बदतर हालात में हैं, मगर इनकी तरफ कोई कान देने वाला नहीं है। कल को अगर यहां भी कोई विदेशी मेहमान या फिर पीएम मोदी खुद पधारे तो हो सकता है इस पर भी टाट का पर्दा लटका दिया जाये, जिससे विकास की पोल न खुल जाये।

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