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ग्राउंड रिपोर्ट

Janjwar Ground Report: सैंकड़ों जान लेने वाले करप्शन के झूलते पुल ने पीछे कुछ छोड़ा तो बस दर्द और सिसकियां

Janjwar Desk
5 Nov 2022 5:15 PM GMT
Janjwar Ground Report: सैंकड़ों जानें लेने वाले करप्शन के झूलते पुल ने   पीछे कुछ छोड़ा तो बस दर्द और सिसकियां
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Janjwar Ground Report: सैंकड़ों जानें लेने वाले करप्शन के झूलते पुल ने पीछे कुछ छोड़ा तो बस दर्द और सिसकियां

Janjwar Ground Report: पिछले रविवार को मोरबी में हुए दर्दनाक हादसे को लेकर जनज्वार ने कई रिपोर्ट की। फिर भी कुछ अनछुए पहलू बाकी रहे, जो बेहद पीड़ादायक हैं। यह आमजन को जानने जरूरी थे, जिसके चलते हमारी टीम मोरबी पहुँची। हम यहां के सिविल अस्पताल भी गये। अस्पताल में जनज्वार (Janjwar) की टीम को रिपोर्टिंग करने से मना कर दिया गया...

मोरबी से लौटकर दत्तेश भावसर की ग्राउण्ड रिपोर्ट

Janjwar Ground Report: पिछले रविवार को मोरबी में हुए दर्दनाक हादसे को लेकर जनज्वार ने कई रिपोर्ट की। फिर भी कुछ अनछुए पहलू बाकी रहे, जो बेहद पीड़ादायक हैं। यह आमजन को जानने जरूरी थे, जिसके चलते हमारी टीम मोरबी पहुँची। हम यहां के सिविल अस्पताल भी गये। अस्पताल में जनज्वार की टीम को रिपोर्टिंग करने से मना कर दिया गया। साथ ही अस्पताल के सभी मरीजों से मिलने पर बंदूकधारी पुलिसकर्मियों का पहरा बिठा दिया गया।

अस्पताल में मौजूद मरीजों की स्थिति क्या है? इसकी तस्दीक हम वहां भर्ती मरीजों से कर ही रहे थे कि तभी, अस्पताल में वीडियो और फोटो लेने की मनाही कर दी गई। मरीजों से इस तरह का बर्ताव हो रहा था, जैसे यह IPC 302 के सजायाफ्ता मुजरिम हों। यह कोई पहली बार नहीं था, बल्कि अक्सर देखा गया है कि गुजरात सरकार इसी तरह दादागिरी से पुलिस को आगे कर सत्य छुपाने में कामयाब रहती आई है।

अब तक पानी की खाक छान रहीं टीमें

बीमार लोगों का हालचाल लेने PM Modi 25 कैमरे लेकर आते हैं और फोटो शूट करते हैं। लेकिन, मरीजों की सही स्थिति जानने के लिए पहुँची जनज्वार की टीम को अस्पताल में रोक दिया गया। जब हमने मरीजों से मिलने की जिद की तब दो हेड कॉन्स्टेबल और दो सिपाही हमारे पीछे लगा दिए गए। यह गुजरात मॉडल है, जहां सच्चाई बाहर लाना गंभीर गुनाह बन जाता है। किंतु बिना टेस्टिंग के पुल चालू करके हजारों लोगों की जिंदगियों को जोखिम पर ला खड़ा करने वालों से कोई सवाल नहीं पूछता। जबकि, असली गुनहगार आज़ाद घूम रहे हैं।

लेकिन फिर भी हादसे के कुछ अनछुए पहलू रह गए, जिन्हें हम आपके सामने लेकर आये हैं। मोरबी ही की रहने वाली सविता बेन, अनिल बारोट जो उस दुर्घटना में किस्मत से बच गई थीं, वह भी अपने 8 लोगों के परिवार के साथ दुर्घटना वाले दिन झूलता पुल घूमने गए थे। पुल पर ज्यादा भीड़ होने के कारण वह तुरंत ही बाहर आ गए। लेकिन दुर्भाग्य से उनके घर आए मेहमान उनकी मामी ने फिर से पुल देखने की इच्छा जताई। उस इच्छा को पूरी करने के लिए सविता बहन और उनकी मामी वापिस पुल पर गए और यह घटना घट गई।

भृष्टाचार में बह गईं बेटियां

सविता बहन के हाथ में झूलते फुलकी रस्सी का एक भाग आ गया और वह 90 मिनट तक उस रस्सी को पकड़े जीवन और मृत्यु के बीच झूलती रही थीं। दुर्भाग्यवश उनकी मामी को वे नहीं बचा पाईं और डेढ़ घंटे वहां टंगी रहने के बाद पुलिस ने उनको बाहर निकाला। इसके बाद उन्हें 108 सर्विस के माध्यम से अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस बीच सविता बहन की हालत बहुत खराब हो चुकी थी। गंदा विषैला पानी उनके पेट और फेफड़ों में बड़ी मात्रा में जा चुका था, इसलिए 3 दिन सविता बहन कुछ भी खा नहीं पाईं। क्योंकि, कुछ खाते ही उनके पेट में गंभीर दर्द उठता था, साथ ही उल्टियां शुरू हो जाती थी। आज 6 दिन बाद भी वह पूर्णतया स्वस्थ नहीं हैं। दर्द आज भी रह-रहकर पेट में उठता है।

जनज्वार की टीम ने मोरबी की जमीला बहन से बात की। जमीला बहन की कहानी रोंगटे खड़े कर देती है। जमीला बहन अपने भतीजे-भतीजियों और ननद के साथ झूलता पुल देखने गई थीं। वह कुल 8 लोग गए थे। जिसमें से सिर्फ वही बच पाईं। जमीना बहन के दो भतीजे और दो भांजे इस हादसे में चल बसे। जमीला बहन के पति हाजी भाई 5 भाई हैं, उनकी इकलौती बहन जो की छुट्टियां मनाने उनके घर आई थी, वह भी इस दुर्घटना में चल बसी। पांच भाइयों के बीच एक बहन थी, जिसे भ्रष्टाचारियों के पाप का निवाला बनना पड़ा।

परिवारों को सिसकता छोड़ गया मोरबी हादसा

जमीला बहन अपने भांजे-भतीजे को नहीं बचा पाईं, इसका उन्हें बेहद अफसोस है। जमीला हमें बताती हैं, अचानक उनके पांव में कुछ टकराता हुआ महसूस हुआ। जब पांव बाहर निकाला तो वह दो बच्चे थे। जमीला बहन ने उन बच्चों को एक हाथ से पकड़ा और एक हाथ से पुल की रस्सी को पकड़े रखा। एक डेढ़ घंटे के बाद जब जमीला बहन और दोनों बच्चों को निकाला गया तब जमीला बहन के दोनों हाथ बुरी तरह जख्मी हो चुके थे। दोनों हाथों की उंगलियों में गहरे कटाव हो चुके थे। बावजूद इसके जमीला बहन ने किसी और के बच्चों को मरने नहीं दिया। बल्कि उन्हें अपने बच्चों की तरह ही सीने से लगाए 90 मिनट तक मौत से जंग लड़कर जीतीं।

Morbi Bridge Collapse हादसे का शिकार हुए अश्विन भाई अडियार भी भाग्यशाली रहे। वे अपने दोस्त के साथ झूलता पुल घूमने गए थे। रविवार होने के कारण उन्होंने पहले से ही प्लानिंग की हुई थी। दुर्घटना के समय अश्विन भाई के हाथ में पुल की जाली आ गई। उन्होंने अपने दोस्त का भी हाथ पकड़ रखा था। पर, उनके ऊपर 15-20 लोग गिरे तो उनसे उनके दोस्त का हाथ तो छूट गया लेकिन अश्विन भाई जाली पकड़कर एक से डेढ़ घंटे तक खुद को बचा पाए। अश्विन भाई को दोस्त के गिरने का बेहद अफसोस है। और तो और उसकी लाश भी पानी से बाहर नहीं निकल पाए।

जिला अस्पताल मोरबी सजावट से पहले

अश्विन भाई जिस जाली को पकड़कर टंगे हुए थे वहां उनके ऊपर 15 से 20 लोग गिरे लेकिन अश्विन भाई ने जाली को नहीं छोड़ा इसलिए वह बच गए। उनके ऊपर गिर कर पानी में गिरने वाले सारे लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में दोस्त को खोने वाले अश्विन भाई ने हमसे बातचीत में बताया कि, 450 से 500 लोग उस समय पर ब्रिज के ऊपर मौजूद थे। ब्रिज की कैपेसिटी से ज्यादा लोग ब्रिज पर चढ़े, ये भी कारण ब्रिज के टूटने का हो सकता है।

मोरबी Morbi की इस घटना ने कई परिवारों को बर्बाद कर दिया। जमीला बहन के घर आए हुए मेहमान जो कि वेकेशन में मामा के घर आए थे, वे यहां से जिंदा अपने घर वापस ना जाकर खुदा के घर चले गए। मोरबी में ऐसी कई कहानियां रविवार के हादसे में दफन हो गईं। लेकिन, ऐसे माहौल में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने चुनाव के किसी भी कार्यक्रम को रद्द नहीं किया और लाशों के ढेर के सामने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाते लोगों को वोट के लिए आकर्षित कर रहे। अब इसका जवाब आने वाले चुनाव में लोग कैसे देते हैं ये तो वक्त ही तय करेगा।

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