Nainital news : नैनीताल में अंगीठी ताप रहे दंपती हुए बेहोश, गर्भ में पल रहे शिशु की मौत
Nainital news : नैनीताल में अंगीठी ताप रहे दंपती हुए बेहोश, गर्भ में पल रहे शिशु की मौत
Nainital news : नैनीताल जिले में कड़कड़ाती सर्दी के मौसम में ठंड से बचने के लिए घर के अंदर अंगीठी रखकर आग तापना पति-पत्नी को बहुत भारी पड़ गया। अंगीठी की निकली जहरीली गैस की वजह से दंपत्ति बेहोश हो गए। वक्त पर अस्पताल मिलने की वजह दोनो की फिलहाल जान तो बच गई, लेकिन पत्नी के गर्भ में पल रहे शिशु ने जन्म लेने से पहले ही गर्भ में ही दम तोड़ दिया।
प्राप्त जानकारी के अनुसार नैनीताल जिले के तल्लीताल क्षेत्र निवासी ललित ने कड़कड़ाती ठंड से बचने के लिए शनिवार 26 दिसंबर की रात घर में कोयले की अंगीठी जला रखी थी। देर रात खाना खाने के बाद ललित व उसकी पत्नी दीपिका दोनों सो गए। रात में एकाएक ललित का सिर घूमने लगा तो अंगेठी की गैस सिर में चढ़ने पर उसने फोन कर पड़ोसियों को इसकी सूचना दी।
फोन सुनने के बाद पड़ोसियों ने जब ललित के घर में घुसकर देखा दोनों पति पत्नी कमरे में मूर्छित पड़े मिले। पड़ोसियों द्वारा आनन फानन में तत्काल दोनों को बीडी पाण्डे अस्पताल ले जाया गया। जहां दोनों को चिकित्सकों ने बीडी पांडे अस्पताल में भर्ती कर उपचार करना शुरू कर दिया। उपचार के बाद जब दीपिका को होश आया तो चिकित्सकों को उसके गर्भवती होने की जानकारी मिली। दीपिका के गर्भवती होने की जानकारी मिलने पर डॉक्टर्स ने दीपिका का अल्ट्रासाउंड कराया गया तो गर्भ में पल रहे भ्रूण में हलचल हो रही थी, लेकिन देर शाम जांच के दौरान गर्भ की हलचल बंद हो गयी।
पीएमएस डॉ. एलएमएस रावत ने गर्भ में पल रहे भ्रूण की मौत की पुष्टि करते हुए बताया कि फिलहाल महिला को ऑब्जर्वेशन के लिए अस्पताल में भर्ती रखा गया है। 24 घंटे बाद ऑपरेशन कर मृत भ्रूण को निकाला जाएगा। उधर अस्पताल के सीएमओ डॉ. रावत ने डॉक्टर ने बताया कि अंगीठी की गैस से मां बेहोश हो गई और उसके गर्भ में पल रहे शिशु पर असर हुआ जिससे दम घुटने से अजन्मे शिशु की गर्भ में ही मौत हो गई।
पत्नी की हालत अत्यधिक खराब होने की वजह से अभी भी उसका इलाज किया जा रहा है, जबकि पति की हालत सामान्य होने के बाद उसको अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। रावत ने बताया कि अंगीठी घर के अंदर रखने के बाद गैस के बाहर निकलने के लिए वेंटिलेशन का ध्यान नही रखा गया, जिससे अंगीठी से निकली जहरीली गैस की वजह से यह हादसा हो गया।
डॉक्टर हमेशा सर्दियों में अंगीठी जलाने के बारे में एहतियात बरतने को कहते रहते हैं। बंद कमरे में लकड़ी या कोयले की अंगीठी को जलाने से ऑक्सीजन का स्तर घटता है और मोनोऑक्साइड का स्तर बढ़ जाता है, जोकि सीधे मनुष्य के दिमाग पर असर डालता है। दिमाग पर मोनोऑक्साइड का असर पूरे शरीर में होता है और सोया हुआ इंसान बेहोश हो जाता है।
इसके अलावा बंद कमरे में अंगीठी को रखा जाता है तो कार्बन मोनोऑक्साइड सांस के जरिए फेफड़ों तक पहुंचता है। मोनोऑक्साइड के फेफड़ों तक पहुंचने के बाद ये सीधा खून में मिल जाता है, जिससे हीमोग्लोबिन का लेवल घट जाता है और इंसान की मौत भी हो सकती है। इतना ही नहीं अंगीठी से निकलने वाली गैस आंखों को भी नुकसान पहुंचाती है। अंगीठी के सामने बैठने से आंसुओं की परत सूख जाती है।