भारत में बढ़ रहे फेफड़ों के कैंसर के मामले, 50% रोगी धूम्रपान न करने वाले
चिंता की बात : भारत में बढ़ रहे फेफड़ों के कैंसर के मामले, 50% रोगी धूम्रपान न करने वाले
नई दिल्ली। गुरुग्राम में मेदांता अस्पताल ( Medanta hospital ) के डॉक्टरों की एक टीम ने मंगलवार को कैंसर ( cancer patients ) के मरीजों को लेकर बड़ा खुलासा किया। मेदांता की रिपोर्ट से पता चला है कि आउट पेशेंट क्लिनिक में फेफड़ों के कैंसर के रोगियों की बढ़ती संख्या अपेक्षाकृत कम आयु वर्ग के धूम्रपान न करने वालों ( non smokers cancer patients ) की थी। ऐसे रोगियों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दर्ज हुई है। मेदांता अस्पताल द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार फेफड़े के कैंसर ( Lung cancer ) के 50 प्रतिशत मामलों का निदान उन रोगियों में किया जा रहा है जिन्होंने कभी धूम्रपान नहीं किया है। चिंताजनक बात यह है कि ऐसे मामले 30 साल से कम उम्र के लोगों में बढ़ी हैं।
मेंदाता के इंस्टीट्यूट ऑफ चेस्ट सर्जरी और चेस्ट ऑन्को-सर्जरी एंड लंग ट्रांसप्लांटेशन के अध्यक्ष डॉ. अरविंद कुमार के नेतृत्व में टीम ने मार्च 2012 और नवंबर 2022 के बीच इलाज कराने वाले 304 से अधिक फेफड़ों के कैंसर रोगियों का विश्लेषण किया। पुरुषों और महिलाओं दोनों में फेफड़े के कैंसर का प्रसार बढ़ रहा है, हालांकि अब महिलाएं इससे अधिक प्रभावित हैं।
पुरुषों में लंग कैंसर की संख्या ज्यादा पहले से ही ज्यादा है। ग्लोबोकेन 2012 की रिपोर्ट के अनुसार पिछले आठ सालों में इससे पीड़ित महिला रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। कुल रोगियों की संख्या में 30% महिलाएं थीं और सभी धूम्रपान न करने वाली थीं। चिंता की बात यह है कि धूम्रपान न करने वाले युवाओं में फेफड़ों के कैंसर का विस्तार तेजी से हो रहा है। 50 वर्ष से कम आयु के 70% रोगी लंग कैंसर के थे। 30 वर्ष से कम आयु के 100% रोगी धूम्रपान न करने वाले थे।
इसके अलावा, लगभग 50 वर्ष से कम आयु के कैंसर रोगियों की संख्या 20% है। 40 साल तक कम आयु के रोगियों की संख्या 10% और 20 साल से कम आयु के रोगियों की संख्या 2.6% सामने आई है। शेष यानि 67.4 फीसदी कैंसर रोगी 50 साल से ज्यादा उम्र के हैं।
मेंदाता की रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दशक में धूम्रपान न करने वाले फेफड़ों के कैंसर के रोगियों की संख्या में युवा आयु वर्ग और महिलाओं की संख्या में वृद्धि की संभावना है। यह जोखिम समूह तम्बाकू धूम्रपान करने वाले वृद्ध पुरुषों के पहले के प्रमुख-पर-जोखिम वाले जनसांख्यिकीय से बहुत अलग है।
पश्चिम देशों में 60 साल के उम्र से ज्यादा लोगों में लंग कैंसर के ज्यादातर मामले पाये जाते हैं। भारत में फेफड़ों के कैंसर की घटना लगभग दो दशक पहले की है। मैंने अन्य अस्पतालों से डेटा की जांच की है और पाया है कि धूम्रपान करने वालों और गैर धूम्रपान करने वालों के बीच फेफड़ों के कैंसर का लगभग समान वितरण होता है, जिसमें युवा महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। अधिकांश मामलों का कैंसर का पता देर से चलता है। ऐसे में कैंसर रोगियों का इलाज संभव नहीं होता। यही वजह है कि फेफड़ों की कैंसर में मौत की दर बहुत ज्यादा है।
विश्लेषण से यह भी पता चला कि फेफड़ों के कैंसर के कुल रोगियों में से लगभग 50 प्रतिशत रोगी धूम्रपान न करने वाले थे। 10 साल पहले इनकी औसत 10 से 20 फीसदी के बीच हुआ करती थी। 50 सल से कम उम्र के फेफड़े के कैंसर रोगियों की संख्या 20 प्रतिशत है।
Lung Cancer : बता दें कि फेफड़ों का कैंसर सबसे कम 5 साल की जीवित रहने की दर के साथ एक खतरनाक बीमारी है। खासतौर से धुम्रपान न करने वाले पुरुष और महिला मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी चौंकाने वाली है। ग्लोबोकैन 2020 के आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में देश में किसी भी कैंसर से होने वाली मौतों की सबसे बड़ी संख्या के लिए फेफड़े का कैंसर जिम्मेदार है।