- Home
- /
- जनज्वार विशेष
- /
- एक्सक्लूसिव : सालभर...
एक्सक्लूसिव : सालभर पहले योगी ने कानपुर में जहां किया 100 बेडों के अस्पताल का भूमिपूजन वहां बन गया भाजपा कार्यालय
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, कानपुर। कानपुर दक्षिण की नौबस्ता मौरंग मण्डी में सरकार की तरफ से 100 बेड की छमता का अस्पताल बनाने का आदेश 20 जुलाई 2019 को दिया गया था। 1100 वर्गगज की इस जमीन पर अस्पताल के अलावा एक कार्यालय जो यूनिवर्सिटी से सम्बंधित है, वह भी अभी निर्माणाधीन है। मतलब अभी बाउन्ड्री वॉल तक ही सीमित है। इसी जमीन पर 12 सितंबर 2019 को भाजपा का कानपुर केन्द्रीय कार्यालय खोले जाने का भी काम शुरू होना था।
आज की 19 सितंबर 2020 को जनज्वार संवाददाता ने इस जमीन पर चल रहे कन्स्ट्रक्शन का मुआयना किया तो मौजूदा सरकार की जनता के प्रति जो संकीर्ण भावना है, उससे खुलकर सामना हुआ। मौके पर जाकर हमने पाया कि 20 जुलाई 2019 को आदेशित किए गए अस्पताल का अभी तक कोई अता-पता नहीं था, जबकि उसीके महीने भर से अधिक समय बाद पारित हुए भाजपा कार्यालय का काम तीव्र गति से चल रहा है। सैंकड़ों का तादाद में लगे लेबर मिस्त्री दिन रात एक किए हैं, भाजपा का सपना पूरा करने में।
12 जुलाई 2019 को केन्द्रीय स्वास्थ मंत्री जेपी नड्डा समेत मुख्मंयत्री योगी आदित्यनाथ ने भारी बारिश के बीच यहां आकर इस ड्रीम प्रोजेक्ट का भूमिपूजन कर आधारशिला रखी थी, जिसके बाद अस्पताल का काम पीछे हो गया और भाजपा कार्यालय का काम बेहद तेजी से चलने लगा।
इससे पहले भाजपा का कानपुर कार्यालय कानपुर के नवीन मार्केट में बना हुआ था। यह शानदार था, मगर पुराना और छोटा था जिसके बाद अब भव्य कीर्यालय का निर्माण करवाया जा रहा है। इस भाजपा कार्यालय का निर्माण करवा रहे ठेकेदार पुष्पन्द्र कुमार ने जनज्वार को बताया, हमें तेज काम करने का आदेश मिला है। कितनी लागत आयेगी, पूछने पर या ठेका कितने में लिया तो वो सिर्फ दांत दिखाने के अलावा कुछ भी बता—बोल ना सके।
इसी जमीन पर एक छोटी बस्ती भी पड़ती हो, जहाँ की झुग्गियों में गरीबों का ठिकाना है। ये लोग करीब पिछले 20-22 सालों से यहाँ रह रहे हैं। पहले जब यहाँ मौरंग मण्डी हुआ करती थी तो इन बस्तियों के पचासों लोग मण्डी में ही मजदूरी इत्यादी का काम करते थे। अब मौरंग मण्डी भौंती के ट्रांसपोर्ट नगर में स्थानांतरित कर दी गई, जिसके बाद ये सभी वहाँ रहने की दिक्कतों के चलते यहीं रह गए। उनकी झुग्गियों वाली जगह बन रहे अस्पताल की सुगबुगाहट के बाद सभी ने अपनी-अपनी झोपड़ियां किनारे कर ली हैं और उक्त जमीन जहाँ अस्पताल का निर्माण होना है, उसे छोड़ दिया गया है। इनसे जगह खाली करने के लिए लगातार कहा जा रहा है, धमकाया जा रहा है।
यहीं बाईपास की तरफ एक प्लॉट मालिक सियाराम पाल बताते हैं, सुनने में तो आया था कि यहाँ 100 बेड वाला अस्पताल बनने जा रहा है, लेकिन अभी तक कहीं काम-धाम तो दिखाई नहीं पड़ रहा है। क्या पता बने भी की ना बने। वहीं देखिये भाजपा कार्यालय का काम तेजी से चल रहा है, जबकि ये दो महीने बाद बनने के लिए पास हुआ था। ये तमाम बेचारे झुग्गी झोपड़ी वाले भी रहते हैं, इनसे भी जगह खाली करवायी जा रही है।'
हम सीधे उस जगह पर पहुंचे, जहाँ अस्पताल बनना प्रस्तावित था। बगल में ही गरीबों का आशियाना बना हुआ है। तालाब का पानी अब हरा हो चुका है, जिसके बगल में सभी रहते हैं। इनके पास गुजारे के नाम पर मजदूरी, दूध के लिए बकरियां और इधर से उधर विस्थापन के लिए गदहे बंधे हैं। जनज्वार ने इनकी दशा लॉकडाउन के समय भी देश को दिखाई थी कि कैसे ये मांग-कमाकर अपनी जिंदगी बसर कर रहे थे। समाज के ये दबे कुचले लोग सरकार की चकाचौंध के आगे बोलने से कतराते हैं। हमारी तमाम मान-मनौव्वल के बाद कैमरे के सामने बात करने को राजी हुए।
झुग्गी निवासी इन्दरा कहती है, 'बहुत दिक्कतें हैं। गरीब आदमी कहाँ मर जाए जाकर? रोज आते हैं कह रहे खाली करो, जब हमने कहा कि आपकी जगह तो खाली कर दी तो कह रहे नहीं पूरी खाली करो। अब बताइये हम सभी बाल बच्चे लेकर कहाँ मर जाएं जाकर। कल को खाली कराने पुलिस आएगी, लाठियां भी चलाएगी हम पर, फिर क्या होगा। हम गरीबों की कोई सुनने वाला हईये नहीं।'
अस्पताल कहाँ बनना शुरू हुआ है? के जवाब पर इन्दरा कहती है, कहां अस्पताल है, अस्पताल बन जाएगा तो जनता को फायदा होने लगेगा, लेकिन कार्यालय जरूरी है, ये सरकार का है पहिले बनना चाहिए।'
मौजूदा भारतीय जनता पार्टी की सरकार किसी विज्ञापन में चलने वाले एड की तरह 'हर जिले में हो कार्यालय अपना' की तर्ज पर काम कर रही है। कार्यालय हो और वो भी भव्य, भले ही इस भव्यता के आगे कितने ही गरीबों का घर उजड़ें, रोजी-रोटी छिन जाए लेकिन इन पर रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ना चाहिए। आम जनता त्राहिमाम करे तो करती रहे, बावजूद इसके इमारतों और सुविधाओं से मोहब्बत करने वाली भाजपा सरकार को चाहिये तो बस यही।