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मोदी राज में अडानी-अंबानी को होगी जितनी असुविधा, किसानों पर उतनी ज्यादा बढ़ेगी बर्बरता और अत्याचार

Janjwar Desk
20 Dec 2020 6:57 PM IST
मोदी राज में अडानी-अंबानी को होगी जितनी असुविधा, किसानों पर उतनी ज्यादा बढ़ेगी बर्बरता और अत्याचार
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file photo

अपने आका अडानी और अंबानी के हक में बनाए गए कृषि क़ानूनों को बहाल रखने के लिए मोदी सरकार इस देश के किसानों का दमन करने के सारे तरीके कर रही है अख्तियार...

वरिष्ठ पत्रकार दिनकर कुमार की रिपोर्ट

जनज्वार। तीन किसान क़ानूनों के खिलाफ 25 दिनों से दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे लाखों किसानों को मोदी सरकार के मंत्री, भाजपा आईटी सेल और गोदी मीडिया ने खालिस्तानी,नक्सल,देशद्रोही,चीन-पाकिस्तान के एजेंट आदि संबोधनों से पुकारते हुए इस ऐतिहासिक आंदोलन की विकृत छवि पेश करने की कोशिश की है, लेकिन भाजपा के कुनबे को इस बार जनता के स्वतःस्फूर्त आंदोलन को कुचलने में कामयाबी हासिल नहीं हो रही है। यह लगातार प्रबल और असरदार होता जा रहा है।

किसानों ने कृषि क़ानूनों के पीछे मौजूद अंबानी-अदानी की शिनाख्त कर उनके खिलाफ बहिष्कार अभियान तेज कर दिया है। इसके साथ ही मोदी सरकार भी किसानों को कुचलने के लिए रोज नए-नए हथकंडे अपना रही है।

दो महीने पहले तीन विवादास्पद कृषि कानूनों का विरोध करने वाले किसानों के संगठनों ने घोषणा की कि वे पंजाब में कॉर्पोरेट घरानों का 'घेराव' और 'बहिष्कार करेंगे, जो मुख्य रूप से मुकेश अंबानी और गौतम अडानी के स्वामित्व में हैं।

इस घोषणा के बाद राज्यभर में रिलायंस पेट्रोल पंपों की बिक्री या तो रुक गई है या 50% तक गिर गई है। वितरण इकाइयां बड़े पैमाने पर बंद हो गई, क्योंकि कंपनी द्वारा चलाए जा रहे लगभग सभी पेट्रोल पंपों को किसानों की यूनियनों ने रोक दिया। पंजाब में 85 रिलायंस पेट्रोल पंप हैं।

यूनियनों के कॉरपोरेट घरानों का बहिष्कार करने के आह्वान का असर हुआ कि लोगों ने जियो सिम कार्डों से भी दूरी बना ली है। रिलायंस शॉपिंग मॉल और मोगा और संगरूर में अडानी की साइलो परियोजनाओं, गुरु गोबिंद सिंह-एचपीसीएल रिफाइनरी, वॉलमार्ट और बेस्ट प्राइस स्टोर्स, टोल प्लाजा और यहां तक कि एस्सेल पेट्रोल पंपों पर भी विरोध प्रदर्शन हुए हैं।

कृषि सुधार संबंधी कानूनों के खिलाफ किसान विरोध प्रदर्शनों में अपना नाम गूंजने के बीच अडानी समूह उत्तर भारतीय और पंजाब प्रकाशनों में विज्ञापन के जरिए अपनी सफाई पेश करने के लिए मजबूर हुआ है। अदानी समूह ने विज्ञापन में कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि किसान कल्याण के लिए काम करने वाली कंपनी को निहित स्वार्थो द्वारा बदनाम किया जा रहा है। पंजाब प्रकाशनों में पूरे पृष्ठ के विज्ञापनों में अडानी समूह ने लोगों से इस दुष्प्रचार अभियान के खिलाफ आवाज उठाने को कहा है।

अडानी ने उनके खिलाफ चल रहे अभियान को दुष्प्रचार के साथ ही झूठा भी करार दिया, जिसमें चल रहे किसान आंदोलन के बीच यह कहा जा रहा है कि अडानी किसानों से सीधे तौर पर खरीद करता है और जमाखोरी करता है। यह भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि अडानी कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसानों का शोषण कर रहे हैं। इसके अलावा अडानी द्वारा बड़े पैमाने पर कृषि भूमि का अधिग्रहण करने के बारे में भी खूब बातें हो रही हैं।

इस बीच विज्ञापन के माध्यम से अदानी समूह ने स्पष्ट किया है कि कंपनी के पास भंडारण की मात्रा तय करने और अनाज के मूल्य निर्धारण करने में कोई भूमिका नहीं है, क्योंकि वह केवल एफसीआई के लिए एक सेवा बुनियादी ढांचा प्रदाता कंपनी है।

दूसरी तरफ जियो के बहिष्कार से बौखलाकर मुकेश अंबानी की टेलीकॉम कंपनी रिलायंस जियो ने वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल के खिलाफ टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया के पास शिकायत दर्ज कराई है। उसन आरोप लगाया है कि ये टेलीकॉम कंपनियां किसान आंदोलन का फायदा उठाकर उसके खिलाफ निगेटिव कैंपेन चला रही हैं।

रिलायंस जियो ने दोनों कंपनियों पर किसान आंदोलन को कैंपेन के तौर पर इस्तेमाल करने और रिलायंस जियो को बदनाम करने का आरोप लगाया है। रिलायंस जियो ने कहा- वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल उत्तर भारत के कई हिस्सों में ग्राहकों को अपनी तरफ खींचने के लिए जियो के खिलाफ निगेटिव कैंपेन चला रही हैं।

एक तरफ अडानी और अंबानी किसानों के आक्रोश की गर्मी को महसूस कर बौखला रहे हैं तो दूसरी तरफ मोदी सरकार भी किसानों को परेशान करने के लिए हर तरह के शर्मनाक हथकंडों का सहारा ले रही है।

सिंघु बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों के खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। सामाजिक दूरी मानदंडों का पालन नहीं करने पर धरने पर बैठे किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। ज्यादातर हरियाणा और पंजाब के किसान नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार से उन्हें वापस लेने की मांग कर रहे हैं।

आजतक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों के खिलाफ एफआईआर 7 दिसंबर को अलीपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई। दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में किसान आंदोलन में भाग लेने वाले किसानों को नोाटिस भेजे जा रहे हैं। संभल के उपजिला मजिस्ट्रेट ने छह किसानों को 50 हजार तक का मुचलका भरने के लिए नोटिस भेजे गए हैं। पहले इन किसानों को 50 लाख के नोटिस भेजे गए थे, लेकिन अब इस नोटिस को संशोधित कर दिया गया है।

इस नोटिस में कहा गया है कि 'किसान गांव-गांव जाकर किसानों को भड़का रहे हैं और अफ़वाह फ़ैला रहे हैं जिससे कानून व्यवस्था ख़राब हो सकती है।' नोटिस में इन किसानों से जवाब मांगा गया है कि किसानों पर 1 साल तक शांति बनाए रखने के 50 लाख रूपए का मुचलका क्यों न लगाया जाए। ये नोटिस धारा 111 के तहत 12 और 13 दिसंबर को भेजे गए हैं।

जिन छह किसानों को नोटिस दिया गया, उनमें भारतीय किसान यूनियन (असली) संभल के जिला अध्यक्ष राजपाल सिंह यादव के अलावा जयवीर सिंह, ब्रह्मचारी यादव, सतेंद्र यादव, रौदास और वीर सिंह शमिल हैं। इन्होंने यह मुचलका भरने से इनकार कर दिया है। यादव ने कहा, 'हम ये मुचलके किसी भी हालत में नहीं भरेंगे, चाहे हमें जेल हो जाए, चाहे फांसी हो जाए। हमने कोई गुनाह नहीं किया है, हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।'

कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के बीच पंजाब में कई बड़े आढ़तियों को आयकर विभाग ने नोटिस भेजा है। आढ़तियों का कहना है कि आंदोलन को समर्थन के कारण उन्हें परेशान किया जा रहा है। पंजाब सरकार के मंत्री विजय इंदर सिंगला ने कहा कि भाजपा बदले की भावना से काम कर रही है। वह किसानों और आढ़तियों को अलग करना चाहती है। दस से बड़े आढ़तियों में से कुछ के यहां आयकर छापे भी पड़े हैं। कुछ को नोटिस भी भेजे गए हैं। आढ़तियों को आय से ज्यादा संपत्ति को लेकर नोटिस मिले हैं।

यानी अपने आका अडानी और अंबानी के हक में बनाए गए कृषि क़ानूनों को बहाल रखने के लिए मोदी सरकार इस देश के किसानों का दमन करने के सारे तरीके आजमा रही है।

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