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आजीविका

आदिवासियों को बेदखल कर पूंजीपतियों के लिए जंगलों को नीलाम करती भाजपा उन्हें गुलाम बनाने की रच रही है साजिश

Janjwar Desk
27 Sept 2023 1:25 PM IST
आदिवासियों को बेदखल कर पूंजीपतियों के लिए जंगलों को नीलाम करती भाजपा उन्हें गुलाम बनाने की रच रही है साजिश
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प्रतीकात्मक फोटो

राज्य व केंद्र में सत्तासीन भाजपा की डबल इंजन सरकार फरेबी नारे और जहरीले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के चक्र में गुमराह करने और आपस में लड़ाने का खेल खेल रही है। हमारा संविधान भी खतरे में है...

Mhow news : मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी किसान एवं आदिवासी संगठन ने कल 26 सितंबर को मध्य प्रदेश स्थित ड्रीमलैंड चौराहा डॉ अंबेडकर नगर महू में दोपहर 12:00 बजे से विशाल धरना आयोजित किया गया। धरना 16 सितंबर से प्रारंभ किए गए महंगाई, बेरोजगारी, अवैध बेदखली, जल, जंगल, जमीन को खतरा पहुंचाने वाली भाजपा सरकार की नीतियों के विरोध और वन अधिकार पत्र दिए जाने में आदिवासियों के साथ की गई धोखाधड़ी और इसी के साथ ही धरना अधिकार स्वामित्व अधिकार मौके पर कब्जे के अनुसार मालिकाना हक आदेश होने के उपरांत भी महू शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र में उक्त आदेश होने पर भी अमल नहीं किया गया।

पूर्व में दिए गए स्थानीय समस्याओं के ज्ञापनों पर अमल नहीं किए जाने के खिलाफ धरना प्रदर्शन के अलावा महू शहर में सैकड़ों मजदूर, किसान, आदिवासियों ने जुलूस निकाला और विशाल आम सभा की। सभा को संबोधित करते हुए मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के केंद्रीय कमेटी के सदस्य व अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव का बादल सरोज ने राज्य एवं केंद्र की भाजपा सरकार पर बड़ा हमला बोलते हुए बताया कि यह सरकार बहरूपिया सरकार है, जो कहती कुछ है करती कुछ है, बताती कुछ और है।

बादल सरोज ने कहा, यह सरकार हमारे देश के संविधान को भी खत्म करना चाहती है। इसकी विदाई जितनी जल्दी हो जाए यह देशहित में है। नरेंद्र मोदी ने किसानों से 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने का वादा किया था, आय तो बढ़ी नहीं लागत कई गुना जरूर बढ़ गई है। डीजल, पेट्रोल, कीटनाशक दवाएं महंगी होने से लागत बढ़ रही है और उसके अनुपात में न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी नही दिए जाने से और समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं होने से खेती घाटे का सौदा होकर रह गई है। बादल सरोज ने महंगाई से आम जनता के उपभोग की वस्तुओं की कीमतों में जहां वृद्धि के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं यह भी कहा कि किसानों के साथ-साथ नौजवानों के साथ भी धोखा किया है मोदी सरकार और शिवराज सरकार ने।

2 करोड़ लोगों को रोजगार देने के वादे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने नए रोजगार तो दिए नहीं, उल्टे रोजगार के अवसर ही समाप्त कर दिए गए हैं। ग्रामीण क्षेत्र में खेती किसानी बर्बाद कर दी और उनके लिए न तो कोई राहत दी और न उनकी वैकल्पिक रोजगार की व्यवस्था की। हालात यह हैं कि रोजगार के मामले में हालात बद से बदत्तर हो गई है। रोजगार गारंटी योजना में मोदी सरकार द्वारा 2023 के बजट में पर कुल्हाड़ी चलाकर बजट आवंटन में 73000 करोड़ से घटकर 60000 करोड़ कर दिया। इससे यह साफ हो जाता है कि भाजपा सरकार आम जनता के रोजगार के अवसरों पर चौतरफा हमला कर रही है।

सभा को संबोधित करते हुए अरुण चौहान ने कहा कि मध्य प्रदेश में सरकार जल, जंगल, जमीन सहित राजस्व भूमि कॉरपोरेट पूंजीपतियों को बेच रही है। जंगलों की नीलामी की जा रही है और आदिवासियों की लगातार बेदखली की जा रही है। आदिवासियों सहित अन्य स्थानीय ग्रामीणों को भी गुलाम बनाने की साजिश कर रही है। राज्य व केंद्र में सत्तासीन भाजपा की डबल इंजन सरकार फरेबी नारे और जहरीले सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के चक्र में गुमराह करने और आपस में लड़ाने का खेल खेल रही है। हमारा संविधान भी खतरे में है। देश के संवैधानिक ढांचे को बचाने के लिए एकजुट होकर संघर्ष करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचा है।

सभा को सीटू के राज्य समिति सदस्य कामरेड सीएल सरावत ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि श्रम कानून में संशोधन के बाद मजदूरों को गुलाम की तरह रखा जाना प्रारंभ हो गया है। उसके सारे हक—अधिकार जो उन्होंने लड़कर हासिल किए थे, खत्म हो गए हैं। 8 घंटे काम की जगह 12 और 16 घंटे की नौकरियां हो गयी है, और यहां किसी भी प्रकार की छुट्टी का प्रावधान नहीं है। ठेके पर रोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। आने वाले समय में मजदूर किसानों को संयुक्त आंदोलन तेज करने होंगे।

इस सभा की अध्यक्षता अर्जुन बारिया, केसर सिंह मालवीय ने की और कार्यक्रम का संचालन माकपा इंदौर जिला ग्रामीण के सचिव साथी राजू जरिया ने किया। सभा में पूर्व जनपद सदस्य कामरेड कैलाश यादव, किसान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष काशीराम नायक, आदिवासी एकता महासभा के नेता राधेश्याम भाई भावर, भादर सिंह कटारे, राधेश्याम डाबर, शंकर लाल मालवीय, सुभाष मालवीय, जबर सिंह धन सिंह सोलंकी, दीपक मोर, अर्जुन कोरी, शैतान मां, कमलाबाई, विमला बाई, सुनीता ठाकुर, ममता बाई भील और कार्यकर्ताओं ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। आंदोलनकारियों ने प्रशासन को एक सप्ताह में उक्त समस्या का निराकरण नहीं किए जाने पर सीधी कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी है, जिसकी समस्त जवाबदारी प्रशासन की होगी।

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