रामनगर में बेरोजगारी से परेशान युवक ने पहाड़ी से कूदकर दी जान, दो मासूम बच्चियां हुईं पिता के लाड़ से महरूम
Ramnagar news : हिन्दू समाज के पुनरुत्थान के अघोषित लक्ष्य के साथ केंद्र की सत्ता में आए कथित हिन्दू हृदय सम्राट नरेन्द्र मोदी का शासन अब हिंदुओं के लिए ही कहर बनकर उनकी जान लेने को उतारू है। जिस नरेन्द्र मोदी को देश के हिंदुओं का मसीहा बताते हुए भारतीय जनता पार्टी का आईटी सेल उनका दिन रात गुणगान करने पर उतारू है, उसी नरेन्द्र मोदी के शासन में हिन्दू युवकों द्वारा बेरोजगारी से त्रस्त होकर जान देने का सिलसिला जारी है।
इस बार रामनगर के बैलपड़ाव इलाके के एक हिन्दू परिवार की खुशियां तथाकथित हिन्दू हृदय सम्राट नरेन्द्र मोदी के शासन में तब काफूर हो गईं, जब एक एक हिन्दू युवक ने देश में व्याप्त बेरोजगारी के चलते आत्महत्या कर अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। नौजवान होने के बाद भी मोदी शासन की कुनीतियों के कारण अपने परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ इस युवक ने भीमताल रोड स्थित सुसाइड प्वाइंट की पहाड़ी से कूदकर आत्महत्या कर मोदी शासन की पोल दी। रविवार 29 जनवरी की सुबह भीमताल पुलिस ने खाई में गिरे इस युवक की खोजबीन की जहां पुलिस को युवक का शव बरामद हुआ। इस युवक की मौत के बाद उसकी दो मासूम बच्चियों के सिर से उनके पिता का साया छिन गया है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार उत्तराखंड के नैनीताल जनपद रामनगर के बैलपड़ाव क्षेत्र निवासी 26 वर्षीय हरीश सिंह मेहरा पुत्र पूरन मेहरा ग्राम बंदर गौड़ा रोजगार नहीं मिलने से परेशान था। शनिवार 28 जनवरी की शाम को वह बिना बताए ही घर से लापता हो गया था। हरीश मेहरा के भाई ललित मेहरा ने अपने भाई की गुमशुदगी की बाबत पुलिस थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट भी दर्ज कराई थी। मामले की जांच में पुलिस को पता चला कि हरीश की अंतिम लोकेशन शनिवार 28 जनवरी की शाम को भीमताल मार्ग स्थित बोहराकून के पास थी। इसके बाद परिजन और ग्रामीण भीमताल पहुंचे।
तमाम आशंकाओं के बीच रविवार 29 जनवरी की सुबह पुलिस और एसडीआरएफ की टीम बेहराकून स्थित सुसाइड प्वाइंट पर पहुंची तो उन्हें वहां एक स्कूटी खड़ी मिली। एसडीआरएफ ने खाई में उतरकर खोजबीन की। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद हरीश मेहरा का शव बरामद हुआ।
इस मामले में एसआई भुवन जोशी ने बताया कि हरीश मेहरा के भाई मनोज के मुताबिक उसका भाई बेरोजगार होने के कारण कुछ समय से परेशान था। परिजनों के मुताबिक मृतक युवक केंद्र सरकार के दिखाए जा रहे आत्मनिर्भर भारत के सपनों व कथित स्टार्टअप के वशीभूत होकर हल्द्वानी डिग्री कॉलेज के सामने फूड वैन में अपना व्यवसाय करता था, लेकिन कोविड काल उसका यह व्यवसाय भी बंद हो गया था, जिस कारण उसके परिवार के सामने रोटी तक का संकट पैदा हो गया था।
कुछ दिन तक हरीश ने अपने परिवार की भुखमरी का दर्द सहन किया, लेकिन देश में विकराल बेरोजगारी के चलते उसे अपना भविष्य इस कदर अंधकारमय दिखा कि उसने हिन्दू हृदय सम्राट नरेन्द्र मोदी के शासन में अपने प्राणों की आहुति देने में ही अपनी सदगति समझकर अपनी जान दे दी। विवाहित हरीश की दो मासूम बेटियां हैं। हरीश की मौत के बाद उनके सिर से उनके पिता की छत्रछाया का सहारा समाप्त हो गया है।