Ground Report : यूपी में होमगार्ड स्थापना दिवस पर उनकी तकलीफें सुन आपका भी कलेजा आ जायेगा मुंह को, मुश्किल हालातों में करते हैं काम
अपनी और होमगार्ड्स की दुर्दशा की कहानी बयां करता जर्जर भवन
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार। उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के अथक प्रयासों से प्रदेशभर के लाखों बेरोजगारों को लॉकडाउन में नौकरी मिल गईं। नौकरियां इतनी मिलीं की अब प्रदेश में शायद ही कोई बेरोजगार बचा हो। ऐसा हम नहीं आज सूबे के हर एक छोटे से बड़े अखबारों में निकलवाया गया इश्तेहार कह रहा है।
आज 6 दिसंबर को उत्तर प्रदेश होमगार्ड का स्थापना दिवस था। इस मौके पर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने होमगार्ड भवन का लोकार्पण किया, स्मारिका जारी की और तो मृतक आश्रित परिवारों को चैक भी बांटे गये। मगर दूसरी तरफ एक और ही तस्वीर सामने आयी। 'जनज्वार' टीम ने आज कानपुर के मंडल कार्यालय में जाकर होमगार्डों की नवीनतम स्थितियों का जायजा लिया तो हमे हालात दूसरे ही दिखे, बताए गए।
मंडल कार्यालय में घुसते ही ऐसा लगा जैसे हम भारत-पाकिस्तान के किसी बॉर्डर वाले गांव में आ गए हों। बम और गोलों के धमाके हुए हों कार्यालय का सीन कुछ-कुछ वैसा ही नजर आ रहा था। रविवार का दिन था तो ज्यादा लोग मिले नहीं, जो मिले वो बोलने को तैयार नहीं दिखे। एक सिपाही पवन सिंह मिला, जिसने उसकी ड्यूटी खत्म होने के बाद हमसे मिलकर कुछ बताने को कहा।
ठीक 2 बजे जब ड्यूटी खत्म हुई तो पवन का फ़ोन हमारे पास आया। पास ही के एक पार्क में मिलने का वादा किया गया। होमगार्ड मंडल कार्यालय में तैनात सिपाही पवन सिंह कहते हैं, योगी आदित्यनाथ के द्वारा होमगार्ड भवन का लोकार्पण या स्मारिका के विमोचन से उनको फायदा तब समझ आएगा जब सूबे के सभी होमगार्डों के लिए कुछ अलग काम किये जायेंगे, एक्स्ट्रा ड्यूटी का भत्ता दिया जाए।
पवन के मुताबिक 2018 में जिन होमगार्डों को कुम्भ मेले में लगाया गया था, अभी तक उस ड्यूटी तक का तो पैसा आया नहीं है। हमने पवन को योगी द्वारा सूबे के लाखों लोगों को नौकरी दिए जाने की बात भी बताई, जिस पर पवन का कहना है कि किस-किसको नौकरी दी गई ये भी तो बताया जाना चाहिए। जो ये सरकार कभी नहीं बताएगी। पवन की बात एकबारगी ठीक भी है वो ऐसे की सरकार के पास कोई आंकड़े कभी नहीं होते।
गोविंदनगर के नंदलाल चौराहे पर ड्यूटी दे रही महिला होमगार्ड राधा देवी कहती हैं कि हमें 2016 से आज तक एरियर नहीं दिया गया। सुबह से ड्यूटी में माथे का पसीना पैरों तक आ जाता है। अगर हम लोग ड्यूटी न करें तो यूपी पुलिस के जवान वो चाहें सिविल हों या ट्रैफिक वाले चौराहा नहीं सम्हाल सकते। ऐसे में हम लोगों की अवहेलना सरकारी खामी है। राधा को भयंकर जुकाम था, पर वो अपनी ड्यूटी में मुस्तैद दिखीं। कारण पूछने पर बताया भैया क्या करें, नहीं आओगे तो उस दिन का पैसा काट लेते हैं।
होमगार्ड सिपाही पवन कहता है कि अगर वह लोग इन नौकरी के अलावा दूसरा कोई काम ना करें तो घर तक चलाना मुश्किल हो जाये। हमें रिटायरमेंट के बाद कोई एकमुश्त रकम नहीं दी जाती, हमें अन्य नौकरियों की तरह पेंशन नहीं है। जब तक नौकरी करो तब तक जो कुछ मिलता है, उसमें ही गुजर बसर करो, इसके अलावा कुछ नहीं है, ये सब सरकार को देखने सोचने का काम है।