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उन्नाव : पुलिस हिरासत में मारे गए सब्जी विक्रेता फैसल को इंसाफ दिलाने के लिए रिहाई मंच आया आगे

Janjwar Desk
20 Jun 2021 4:03 PM IST
उन्नाव : पुलिस हिरासत में मारे गए सब्जी विक्रेता फैसल को इंसाफ दिलाने के लिए रिहाई मंच आया आगे
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पुलिस हिरासत में मारे गये सब्जी विक्रेता फैसल के पिता से रिहाई मंच के राजीव यादव और एडवोकेट मुहम्मद ने की मुलाकात और दिया न्याय का आश्वासन

फैसल के पिता बोले, "हमारा बेटा मुस्लिम था इसलिए उसके साथ ऐसा अन्याय हुआ। सब्जी बेचना कोई जुर्म नहीं है, पचासों दुकानें खुली थी, सिर्फ मेरा ही बेटा क्यों...

लखनऊ, जनज्वार। सामाजिक-राजनीतिक संगठन रिहाई मंच प्रतिनिधिमंडल ने उन्नाव जिले के बांगरमऊ कस्बे में पुलिस हिरासत में जान गंवाने वाले मुस्लिम युवक सब्ज़ी विक्रेता फैसल के परिजनों से मुलाक़ात की और उन्हें क़ानूनी मदद दिये जाने की पेशकश की।

रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने फैसल के मामले को लेकर उनके परिजनों के साथ विस्तार से बात की। वहीं रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को भरोसा दिलाया कि फैसल को इन्साफ दिलाने की लड़ाई में हम आपके साथ मज़बूती से खड़े हैं। प्रतिनिधिमंडल में रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब, रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव, शबरोज़ मोहम्मदी तथा इमरान अहमद शामिल थे।

गौरतलब है कि 21 मई 2021 को उन्नाव जिले की बांगरमऊ तहसील के मोहल्ला भटपुरी निवासी फैसल हुसैन पुत्र इस्लाम हुसैन, उम्र 18 वर्ष की पुलिस द्वारा बर्बरता से पिटाई किए जाने के कारण मौत हो गई थी। फैसल हुसैन अपने परिवार का इकलौता कमाने वाला शख्स था, जो सब्जी बेचकर अपने परिवार की मदद करता था। फैसल के पिता शारीरिक रूप से काफी कमजोर और बुजुर्ग हैं, जिसकी वजह से वो कोई विशेष काम नहीं कर पाते हैं।

पिछले दिनों सोशलिस्ट पार्टी के जांच दल ने फैसल के घर का दौरा किया था। इस जांच दल की रिपोर्ट सामने आने के बाद पता चला था कि फैसल का एक बड़ा भाई 22 वर्षीय मोहम्मद सूफियान भी शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर है और एक छोटा भाई अभी पढ़ाई कर रहा है, फैसल की 2 बहनें हैं जिनमें एक बहन की जून माह में शादी थी, पर अब फैसल के न रहने से पूरा परिवार टूट गया है। यह पूरी घटना मन को झकझोर और विचलित कर देने वाली है, जिसे सुनकर ऐसा लगता है कि पुलिस प्रशासन ने संवेदनशीलता की सारी हदें पार दी हों।

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जब जांच दल फैसल के घर पहुंचा तो फैसल के पिता और परिवार के अन्य सदस्य घर के बाहर ही बैठे हुए थे। पहली बातचीत फैसल के पिता से ही हुई। उन्होंने लड़खड़ाती हुई आवाज में बताया, "हमारा बेटा मुस्लिम था इसलिए उसके साथ ऐसा अन्याय हुआ। सब्जी बेचना कोई जुर्म नहीं है, पचासों दुकानें खुली थी, सिर्फ मेरा ही बेटा क्यों?" इसके बाद वो रोने लगे और खामोश हो गए, जिस पर फ़ैसल के चचेरे भाई (सलमान हुसैन) ने पूरा मामला बताया।

मृतक फैसल के चचेरे भाई के अनुसार घटना वाले दिन दोपहर यानी 21 मई को 2 बजे के आसपास फ़ैसल बाजार में सब्जी की दुकान लगाए हुए था, फैसल के अलावा वहाँ और कई सारे लोग भी सब्जी बेच रहे थे। तभी सिपाही विजय चौधरी अपनी बुलेट से आया और उसके साथ सिपाही सीमावत भी था। उसने अपनी गाड़ी सीधे फैसल की दुकान के पास रोकी और गाली के साथ उससे कहा, "मेरे आने पर तूने दुकान क्यों नहीं बंद की, तुझे अभी बताता हूँ" और उसे मारने लगे, फिर उसे जबदरस्ती गाड़ी पर बैठा लिया और कहने लगे "चल तुझे थाने में बताते हैं।"

सलमान के अनुसार बाजार से कोतवाली की दूरी मात्र 700-800 मीटर है, जहां तक पहुँचने में मुश्किल से दो या ढाई मिनट लगते हैं, पर कोतवाली की सीसीटीवी फुटेज के अनुसार उन लोगों को साढ़े छह मिनट लगे कोतवाली पहुँचने में, जिसका मतलब कहीं रास्ते में फैसल को बुरी तरह पीटा गया और उसके बाद उसे कोतवाली ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गयी। फैसल के घर पर बैठे अन्य लोगों ने भी इस बात का समर्थन किया।

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फैसल के बड़े भाई मोहम्मद सूफियान ने बताया, सबसे पहले वो कोतवाली गया था, जहां उसने देखा उसका भाई जमीन पर पड़ा हुआ था, पुलिस वालों ने उसे अपने भाई से मिलने नहीं दिया और वहाँ से भगा दिया। सलमान ने आगे बताया कि फैसल की मौत थाने में ही हो गई थी, पर पुलिस वाले झूठ ही उसे सामुदायिक चिकित्सालय ले गए, जहां पर डाक्टर ने उसे देखते ही मरा घोषित कर दिया। पुलिस वालों ने डाक्टरों पर दबाव डाला और दिखाने के लिए इलाज कराने लगे और उसे रेफ़र कराकर उन्नाव जिला अस्पताल ले जाने की फिराक में थे, लेकिन जनता की भीड़ देखकर वे घबरा गए और वहाँ से भाग गए। उस समय थाना प्रभारी भी अस्पताल के बाहर मौजूद थे, उन्होंने ने भी दोषी सिपाहियों को बचाने की पूरी कोशिश की।

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