Begin typing your search above and press return to search.
आजीविका

Supreme Court Order : प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को भी मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

Janjwar Desk
1 Sep 2022 6:31 AM GMT
Supreme Court Order : प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को भी मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश
x

Supreme Court Order : प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को भी मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा आदेश

Supreme Court Order : सुप्रीम कोर्ट ने माना कि निजी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक कर्मचारी हैं और वे केंद्र सरकार द्वारा 2009 में संशोधित पेमेंट ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी के हकदार हैं...

Supreme Court Order : प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए अच्छी खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि निजी स्कूलों में काम करने वाले शिक्षक कर्मचारी हैं और वे केंद्र सरकार द्वारा 2009 में संशोधित पेमेंट ग्रेच्युटी अधिनियम के तहत ग्रेच्युटी के हकदार हैं।

जानिए क्या है ग्रेच्युटी देने का प्रावधान

जानकारी के लिए आपको बता दें कि पीएजी अधिनियम 16 ​​सितंबर, 1972 से लागू है। इसके तहत उस कर्मचारी को ग्रेच्युटी का लाभ देने का प्रावधान है जिसने अपनी सेवानिवृत्ति, इस्तीफे या किसी भी कारण संस्थान छोड़ने से पहले कम से कम 5 साल तक निरंतर नौकरी की है। श्रम और रोजगार मंत्रालय द्वारा 3 अप्रैल, 1997 को जारी एक अधिसूचना के माध्यम से इस अधिनियम को दस या अधिक कर्मचारियों वाले शैक्षणिक संस्थानों पर भी लागू किया गया था। ऐसे में ये अधिनियम निजी स्कूलों पर भी लागू होते हैं।

हाई कोर्ट के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

बता दें कि कई हाईकोर्ट में केस हारने के बाद निजी स्कूलों ने 2009 के संशोधन को देश के शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। उनके अनुसार, छात्रों को शिक्षा प्रदान करने वाले शिक्षकों को ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) अधिनियम 2009 की धारा 2(ई) के तहत कर्मचारी नहीं माना जाना चाहिए। वे अहमदाबाद प्राइवेट प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन मामले में शीर्ष अदालत के जनवरी 2004 के फैसले पर भरोसा करते थे, जिसने इस सिद्धांत को निर्धारित किया था।

स्कूलों के तर्क को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि 'यह संशोधन पहले से जारी एक विधायी गलती के कारण शिक्षकों के साथ हुए अन्याय और भेदभाव को दूर करता है। इसे निर्णय की घोषणा के बाद समझा गया था।' साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 2004 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले में बताए गए संशोधन को लाने और दोष को दूर करने के लिए विधायी अधिनियम को बरकरार रखा।

प्राइवेट स्कूलों के शिक्षकों को मिलेगा ग्रेच्युटी का लाभ

स्कूलों ने समानता के अपने मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 14), व्यापार करने के अधिकार (अनुच्छेद 19(1)(जी)), जीवन के अधिकार (अनुच्छेद 21), और संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 300ए) के उल्लंघन का दावा किया। स्कूलों का कहना था कि वे शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने के लिए वित्तीय रूप से साधन नहीं हैं। पीठ ने स्कूलों से कहा कि ग्रेच्युटी का भुगतान निजी स्कूलों द्वारा देने वाला कोई इनाम नहीं है, यह उनकी सेवा की न्यूनतम शर्तों में से एक है। कोर्ट ने कहा कि 'प्राइवेट स्कूलों का यह तर्क कि उनके पास शिक्षकों को ग्रेच्युटी देने की क्षमता नहीं है। उनका यह तर्क अनुचित है। सभी प्रतिष्ठान पीएजी अधिनियम सहित अन्य कानूनों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।'

शिक्षकों को ग्रेच्युटी लाभ से नहीं रख सकते वंचित

साथ ही पीठ ने कहा कि कुछ राज्यों में फीस निर्धारण कानून हो सकते हैं जो स्कूलों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ से निपटने के लिए फीस बढ़ाने से रोकते हैं। इन कानूनों के अनुपालन का मतलब यह नहीं है कि शिक्षकों को ग्रेच्युटी से वंचित किया जाना चाहिए। जो भी इसके हकदार होते हैं। आगे पीठ ने निजी स्कूलों को छह सप्ताह की अवधि के भीतर पीएजी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार ब्याज सहित कर्मचारियों/शिक्षकों दी जाने वाली ग्रेच्युटी का भुगतान करने का निर्देश दिया है।

कई हाईकोर्ट से शिक्षकों को नहीं मिली राहत

जानकारी के लिए आपको बता दें कि प्राइवेट स्कूलों ने इस मामले में कई उच्च न्यायालयों का दरवाजा खटखटाया था। उन्हें दिल्ली, पंजाब और हरियाणा, इलाहाबाद, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बॉम्बे और गुजरात हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। इन फैसलों को स्कूलों द्वारा शीर्ष अदालत में अलग से चुनौती दी गई थी। यहां भी उन्हें निराशा ही हाथ लगी है।

Next Story