Udaipur News : मुच्छड़ क्लब के सदस्य और इनकी मूंछें सभी कार्यक्रम में रहते हैं आकर्षण का केंद्र, मूंछों की वजह से मिला रोजगार
Udaipur News : मुच्छड़ क्लब के सदस्य और इनकी मूंछें सभी कार्यक्रम में रहते हैं आकर्षण का केंद्र, मूंछों की वजह से मिला रोजगार
Udaipur News : राजस्थान के उदयपुर शहर के मुच्छड़ क्लब का हर कोई दीवाना है। मुच्छड़ क्लब के सदस्य उदयपुर शहर के तमाम सार्वजनिक कार्यक्रमों की शान कहलाते हैं। इस क्लब के 25 लोग जुलूस, राजनीतिक व सामाजिक कार्यक्रम, फिल्मों की शूटिंग, शाही शादियों की शान माने जाते हैं। ये अपनी मूछों को जान से ज्यादा तवज्जो देते हैं। इन मूछों ने इन्हें रोजगार से भी जोड़ दिया। खास बात यह है कि रियासतकाल में दाढ़ी मूछों के शौकीन राजा महाराजाओं की परंपरा को भी ये लोग जिंदा रखे हुए हैं।
मुच्छड़ क्लब की 2007 में हुई थी स्थापना
जानकरी के लिए आपको बता दें कि उदयपुर में इस मुच्छड़ क्लब की स्थापना 2007 में हुई थी। इस ग्रुप के 25 सदस्य आपस में बहुत गहरे दोस्त भी हैं। मूछों और दाढ़ी के कारण कई फिल्मों व सीरियल में काम करने का मौका मिला। ये सभी दोस्त सामाजिक व राजनीतिक कार्यक्रमों में एक साथ शिरकत करते हैं और लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं। मुच्छड़ क्लब के सदस्यों का कहना है कि बड़ी मूंछों व दाढ़ी रखने वाले लोगों को इसकी सार संभाल में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। दाढ़ी मूछों को बड़ा करने के लिए बादाम के तेल का इस्तेमाल करते हैं।
मेवाड़ की शान और परंपरा को निभा रहे हैं मुच्छड़ क्लब के सदस्य
वहीं इस मुच्छड़ क्लब के पहले सदस्य राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल पद पर कार्यरत उपेंद्र व्यास का कहना है कि उन्हें मूछें रखने का शौक पहले से था। बाद में बड़ी मूछें रखने का शौक हो गया। 2006 में मूछें बढ़ाना शुरू किया ताकि चेहरा रौबीला दिखाई दे। साथ ही उपेंद्र व्यास ने बताया कि दाढ़ी और मूछें रखना पहले राजा महाराजाओं के शौर्य व पराक्रम का प्रतीक माना जाता था। हम भी मेवाड़ की इस शान व परंपरा को निभा रहे हैं।
चंदन तस्कर वीरप्पन को देखकर रखी मूंछें
मुच्छड़ क्लब के सदस्य उपेंद्र व्यास बताते हैं कि चंदन तस्कर वीरप्पन को देखकर ही बड़ी मूछें रखने का शौक बना। इसके कई फायदे भी हैं। इससे झुर्रियां दाग आदि छुप जाते हैं। सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि हमें फिल्मों व सीरियल में काम मिला, जैसे राजस्थान टूरिज्म के एड में, लाल कप्तान मूवी में डाकू का रोल, कंगना राणावत की मूवी नक्सली का रोल मिला। राजस्थान पुलिस में भी उनकी मूछों की वजह से अलग पहचान बनी है।
मूंछों की वजह से मिला रोजगार
मुच्छड़ क्लब के सदस्यों को इस इस मूंछ की वजह से कई फिल्मों और विज्ञापनों में काम करने का मौका मिला है। जहां कहीं भी यह ग्रुप दिखता है तो लोग इनके साथ फोटों खिंचवाने लगते हैं। इन मूंछों ने इस क्लब के सदस्यों को रोजगार से जोड़ा है। वहीं मुच्छड़ क्लब के सदस्य मंगल सिंह का कहना है कि वे बैंक में गनमैन के पद पर काम कर रहे हैं। मेवाड़ की धरा पर पैदा होने का मौका मिला इसलिए वीर शीरोमणि महाराणा प्रताप से प्रभावित हूं। मेवाड़ की शान व परंपरा को बचाने के लिए मूछें रखी हैं। वहीं इस ग्रुप के सदस्य राहुल की शादी दाढ़ी और मूछों की वजह से नहीं हो रही है। घर आने वाले रिश्ते भी दाढ़ी मूछें देखकर मना कर देते हैं। यही वजह है कि राहुल ने राखी सावंत, मल्लिका शेरावत के स्वयंवर में भी शिरकत की, लेकिन रिजेक्ट कर दिए गए। बहरहाल इस मुच्छड़ क्लब की पहचान देश विदेश में भी है। यहां आने वाले विदेशी सैलानी भी इनके साथ फोटो खिंचवाते हैं।