चमोली में फिर से धमकाया गया स्टोन क्रशर के विरोध में उतरीं महिलाओं को, पुलिस की भूमिका पर सवाल
Chamoli news : उत्तराखण्ड के चमोली जनपद स्थित थराली तहसील स्थित पास्तोली के राजस्व ग्राम ककड़तोली में स्टोन क्रशर का विरोध करने पर डराये धमकाये जाने का मामला सामने आया है। इस मामले में महिलाओं को परेशान किये जाने की सूचना देते हुए भाकपा माले के गढ़वाल सचिव इंद्रेश मैखुरी ने इस मामले में चमोली के पुलिस अधीक्षक के नाम एक पत्र लिखा है।
इंद्रेश मैखुरी ने पत्र में लिखा है, 'चमोली जिले की थराली तहसील के ग्राम पास्तोली के राजस्व ग्राम ककड़तोली में लग रहे स्टोन क्रशर के विरोध में स्थानीय ग्रामीणों, खासतौर पर महिलाओं द्वारा लोकतांत्रिक एवं शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया जा रहा है। स्टोन क्रशर लगने से पानी के धारे के प्रदूषित होने, राजकीय प्राइमरी स्कूल के बच्चों पर विपरीत असर पड़ने जैसी कई आशंकाएं इन महिलाओं की है। पूर्व में यह क्षेत्र राजस्व पुलिस के पास था, अब यह नागरिक पुलिस के पास है।
इंद्रेश मैखुरी लिखते हैं, यह निरंतर देखने में आ रहा है कि उक्त स्टोन क्रशर का विरोध करने वाली महिलाओं को अक्सर ही डराने-धमकाने का प्रयास किया जा रहा है और थराली थाने की पुलिस भी इस मामले में सायास या अनायास ही क्रशर मालिकों और डराने-धमकाने वालों के साथ खड़ी नज़र आती है। यह बेहद गंभीर है कि पुलिस बिना तथ्यों की पड़ताल किये, किसी एक पक्ष की तरफ झुकी नज़र आये।
उक्त क्रशर के ममले में तथ्य यह है कि क्रशर स्वामी ने स्वयं माननीय उच्च न्यायालय, नैनीताल में याचिका दाखिल की है। चूंकि मामला माननीय उच्च न्यायालय में विचाराधीन है तो जो क्रशर स्वामी मामले को न्यायालय ले गए- उन्हें और पुलिस को भी न्यायालय के फैसले का इंतजार करना चाहिए।
तथ्य यह भी है कि उक्त स्टोन क्रशर के मामले में अंतिम जांच रिपोर्ट जिला विकास अधिकारी चमोली द्वारा 13 सितंबर 2022 को जिलाधिकारी महोदय, चमोली को सौंपी गयी थी, जिसमें उक्त क्रशर को अवैध बताया गया है।
इंद्रेश मैखुरी ने पुलिस अधीक्षक चमोली को संबोधित करते हुए आगे लिखा है, उक्त तथ्यों के आलोक में माननीय न्यायालय का फैसला आने तक या न्यायालय से कोई निर्देश प्राप्त होने तक तो स्थानीय महिलाओं के शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार में बाधा नहीं पैदा की जानी चाहिए और थराली थाने की पुलिस को एक पक्षीय कार्यवाही और महिलाओं को डराने- धमकाने वालों का पक्ष लेने से बचना चाहिए। आप से निवेदन है कि इस संदर्भ में थराली के प्रभारी निरीक्षक एवं अन्य अधीनस्थों को उचित निर्देश जारी करने की कृपा करें।
गौरतलब है कि चमोली में इससे पहले भी स्टोन क्रशर के विरोध में उतरीं महिलाओं को हथियारों से खनन माफिया धमका चुके हैं। पिछले साल नवंबर में माफियाओं द्वारा हथियारों के बल पर आंदोलनकारी महिलाओं को धमकाने का मामला सामने आया था। भूकम्प की दृष्टि से राज्य का बेहद संवेदनशील माने जाने चमोली जिले के थराली तहसील के कुलसारी गांव में स्टोन क्रेशर लगाए जाने के खिलाफ आंदोलनरत महिलाओं को खनन माफियाओं के गुर्गे प्रशासन की शह पर दरांती से धमकाने तक की स्थिति में पहुंच गए थे, जिस खबर को जनज्वार ने प्रमुखता से प्रकाशित किया थां
तब माफिया के धमकाये जाने से बेपरवाह महिलाओं ने अपने क्षेत्र में किसी भी हाल में स्टोन क्रेशर न लगने के लिए कड़कड़ाती ठंड में अलाव जलाकर अपनी जमीन की पहरेदारी की थी। यह अभूतपूर्व स्थिति तब है जब यह मामला उच्च न्यायालय में लंबित है। याद के तौर पर बताते चलें कि चमोली जिले के इस गांव में एक स्टोन क्रेशर लगाया जा रहा है। इस बात को खास तौर पर चिन्हित किया जाए कि जिस इलाके में यह स्टोन क्रेशर लग रहा है, वह राजस्व क्षेत्र है। जो पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इलाके के ग्रामीणों ने आरोप लगाया था कि स्टोन क्रेशर की उड़ने वाली धूल से आसपास उनके खेत न केवल बरबाद हो जायेंगे, बल्कि छोटे छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह धूल जानलेवा साबित होगी। इसके अलावा इसी इलाके से उनके बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं, जो उपखनिज लेकर सरपट दौड़ते डंपरों की चपेट में आकर आए दिन हादसों का शिकार होते रहेंगे। स्टोन क्रेशर को न लगाए जाने के लिए ग्रामीण सात महीने के लंबे समय से आंदोलनरत थे, लेकिन प्रशासन की सहानुभूति देखकर ग्रामीण इस मामले को न्यायालय तक लेकर चले गए हैं, जहां इस मामले की सुनवाई जारी है।