Begin typing your search above and press return to search.
आजीविका

UP में ढाई महीने से बंद है मिड डे मील योजना, प्रदेश के 1.80 करोड़ गरीब बच्चे तेजी से हो रहे कुपोषित

Janjwar Desk
24 Jun 2021 8:23 AM IST
UP में ढाई महीने से बंद है मिड डे मील योजना, प्रदेश के 1.80 करोड़ गरीब बच्चे तेजी से हो रहे कुपोषित
x

file photo (janjwar)

कोरोना की पहली लहर कम होने पर कक्षा छह से आठ तक के स्कूल 10 फरवरी और कक्षा एक से पांच तक के स्कूल एक मार्च से खोल दिए गए, जिसके बाद से स्कूलों में मध्यान भोजन बनने लगे, लेकिन एक बार फिर कोरोना की दूसरी लहर के चलते पिछले 24 मार्च से सभी स्कूल बंद पड़े हैं....

जनज्वार। कोरोना की दूसरी लहर के चलते उत्तर प्रदेश के बंद पड़े स्कूलो के बच्चों को मिड डे मील भत्ता देने का आदेश अधर में लटका नजर आ रहा है। ऐसे में राज्य के 1.80 करोड़ से अधिक छात्रों के अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं पहुंची है। जिन्हें लॉकडाउन के हालात में एक सहारा मिलने की उम्मीद थी।

देश के सरकारी व सहायता प्राप्त स्कूलों के बच्चों के लिए मध्यान भोजन योजना की वर्ष 1995 में शुरुआत हुई थी। इसके बाद से भोजन के मीनू के अलावा वितरण के तरीकों में तमाम बदलाव किए गए। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार योजना पर अपनी मोहर लगाते हुए इसके गुणवत्ता पर विशेष जोर देने की सलाह दी है, जिसके चलते पूर्ववर्ती सरकार से लेकर मौजूदा सरकार ने योजना की उपलब्धियां गिनाने में पीछे नहीं रही है। इस योजना का सितंबर 2020 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के स्कूलों में 18019846 विद्यार्थी को इसका लाभ दिया जाता है, जिसमें प्राइमरी स्कूलों में 1,23,14 652 व जूनियर स्कूल में 57,05194 विद्यार्थी हैं।

कोरोना की पहली लहर के दौरान मिली थी धनराशि व खाद्यान्न

इस योजना का लाभ पाने वाले उत्तर प्रदेश में पंजीकृत छात्रों की संख्या एक करोड़ 80 लाख से अधिक है। कोरोना संक्रमण के चलते बंद पड़े स्कूलों के छात्रों को योजना का लाभ दिलाने के लिए सरकार ने भत्ता देने की घोषणा की। जिस पर अमल करते हुए कोरोना के पहले लहर में बंदी की अवधि के लिहाज से जूनियर स्कूल के बच्चों को 124 दिन का भत्ता (एक सितम्बर, 2020 से नौ फरवरी, 2021 तक) का दिया गया। वहीं प्राइमरी स्कूल के विद्यार्थियों को 138 दिन का भत्ता (एक सितम्बर, 2020 से 28 फरवरी) दिया गया।

इसके अलावा अनाज भी कोटेदार के मार्फत दिया गया। पहले सरकार मार्च से 31 अगस्त, 2020 तक दो चरणों में 76 व 49 दिनों का मिड डे मील भत्ता व अनाज दो चरणों में दी थी। अनाज के लिए प्राधिकार पत्र अभिभावकों को दिया गया, जिसके आधार पर कोटेदारो ने राशन दिया। कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों को 100 ग्राम व 6 से 8 तक के छात्रों को 150 ग्राम अनाज देने का प्रावधान है।

दूसरे चरण में सितम्बर से फरवरी तक का मिड डे मील भत्ता जारी किया गया। कक्षा छह से आठ तक के विद्यार्थियों के लिए 923 रुपए और कक्षा एक से पांच तक के विद्यार्थियों को 685 रुपए दिया गया।

इस संबंध में बेसिक शिक्षा विभाग की विशेष सचिव डा. काजल ने आदेश जारी किया था। ऐसे में 1.80 करोड़ विद्यार्थियों को इसका लाभ दिया गया। इसको लेकर पूर्व में ही सरकार ने लॉकडाउन अवधि और गर्मी की छुट्टियों के मिड डे मील का राशन व परिवर्तन लागत की धनराशि बच्चों के खाते में देने का फैसला किया था।

कोरोना की दूसरी लहर हुई कम पर अभिभावकों के खाते में नहीं पहुंची धनराशि

कोरोना की पहली लहर कम होने पर कक्षा छह से आठ तक के स्कूल 10 फरवरी और कक्षा एक से पांच तक के स्कूल एक मार्च से खोल दिए गए, जिसके बाद से स्कूलों में मध्यान भोजन बनने लगे। लेकिन एक बार फिर कोरोना की दूसरी लहर के चलते पिछले 24 मार्च से सभी स्कूल बंद पड़े हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार में 1 जुलाई से स्कूल खोलने के आदेश दिए हैं। लेकिन स्कूलों में छात्रों के आने पर अभी मनाही रहेगी। ऐसे में पूर्व के आदेश के अनुसार इन बच्चों के अभिभावकों के खाते में एमडीएम भत्ता दिया जाना है। नियमानुसार अवकाश की अवधि छोड़कर अन्य दिनों के ही मध्यान भोजन योजना की धनराशि दी जाती है।

हालात यह है कि एमडीएम को भले ही सरकार अपने महत्वपूर्ण योजनाओं की सूची में मानती हो, पर इसके क्रियान्वयन को लेकर अफसरों की लापरवाही साफ नजर आ रही है। जिसका नतीजा है कि कोरोना संक्रमण के दौर में इन बच्चों के अभिभावकों को भत्ता की धनराशि व खाद्यान्न न मिलने से निराशा हाथ लग रही है।

Next Story

विविध