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UP : जौनपुर में हिरासत में पुलिस पिटाई से हुई थी किशन की मौत, माले की फैक्ट फाइंडिंग टीम का खुलासा
लखनऊ। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने जौनपुर के बक्सा थाने की हिरासत में 25 वर्षीय किशन यादव की मौत की अपनी 4 सदस्यीय टीम की जांच रिपोर्ट आज बुधवार 17 फरवरी को जारी की है।
रिपोर्ट जारी करते हुए पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने कहा कि किशन की मौत पुलिस द्वारा बेरहमी से की गई पिटाई से हुई। उन्होंने कहा कि योगी सरकार में पुलिस निरंकुश हो गई है। उन्होंने पीड़ित परिवार को न्याय व दोषियों को माकूल सजा दिलाने के लिए घटना की न्यायिक जांच की मांग दोहराई। इसके पहले माले टीम ने मृतक के परिजनों, दोस्तों और बक्शा थाने के आसपास निवास करने वालों से बात कर तथ्यों को एकत्र किया।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि बक्सा थाना क्षेत्र में 1 फरवरी को शिवगुलाम गंज में एक लूट की घटना हुई थी। इसी लूट के मामले में क्राइम ब्रांच की टीम ने गुरुवार 11 फरवरी को किशन यादव उर्फ पुजारी (पुत्र तिलकधारी यादव) समेत चार युवकों को पकड़ा था। पूछताछ के लिए सभी को बक्शा थाने लाया गया। देर रात्रि पूछताछ के दौरान किशन की पिटाई करने से हालात बिगड़ता देख पुलिसकर्मियों ने आनन-फानन में रात्रि 1.30 बजे उसे बक्शा सीएचसी पहुंचाया। यहां से चिकित्सकों ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया, जहां किशन की मौत हो गई।
रिपोर्ट के 12 फरवरी अनुसार तड़के जिला अस्पताल की इमरजेंसी में डॉक्टरों द्वारा आरोपित को मृत घोषित करने के बाद अस्पताल लाने वाले पुलिसकर्मी शव छोड़कर फरार हो गए। जानकारी होने के बाद मौके पर पहुंचे परिजन आक्रोशित हो उठे। आक्रोशित ग्रामीणों और परिजनों ने इब्राहिमाबाद गांव में रास्ता जाम कर जौनपुर-रायबरेली हाईवे पर आवागमन ठप कर दिया।
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि मृतक के चचेरे भाई विनोद ने बताया कि 11 फरवरी को शाम 3:30 बजे के करीब मृतक किशन यादव का एक दोस्त (सौरभ पाठक) किशन को घर से बुलाकर ले गया, जहां पर एसओजी की टीम उसका पहले से इंतजार कर रही थी। उसने किशन को एसओजी की टीम को सौंप दिया और उज़के बाद सौरभ पाठक वहां से फरार हो गया। पुलिस उसे लेकर बक्सा थाने गई जहां पर उसके साथ पूछताछ के दौरान बेरहमी से मारपीट की गई।
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रिपोर्ट के अनुसार रात 8:00 बजे के करीब 15 की संख्या में पुलिस टीम किशन के घर गई। किशन के घरवालों को किशन से फोन बात करवाया और अपाचे बाइक की चाबी मांगी। साथ ही पुलिस ने घर में घुसकर छानबीन करते हुए घर में रखे नगद 60,000 रुपये तथा एक लाख कीमत के गहने व 6 मोबाइल फोन, जिसमें तीन खराब पड़े व तीन चालू मोबाइल, परिवार के अन्य सदस्यों का, वहां से ले लिया। साथ ही बच्चों महिलाओं को गाली देते हुए लाठी-डंडों से पीटा तथा घर का सारा सामान बिखेर दिया। पुलिस टीम ये सभी सामान साथ लेकर चली गई।
माले की फैक्ट फाइंडिंग टीम ने दावा किया है कि आधी रात को करीब 12:15 बजे पुलिस की टीम फिर से किशन के घर आई। इस बार पुलिस वाले किशन को भी साथ लाए थे। परिवारवालों के मुताबिक किशन बुरी तरह से घायल था। वह चलने में भी समर्थ नहीं था। वह एक चारपाई पर गिर पड़ा और उठा नहीं। फिर पुलिस ने गालियां बकते हुए उसे चारपाई से उठाकर जमीन पर फेंक दिया और परिवार वालों को लगातार गाली दे रहे थे कि तुम्हारा लड़का नेता हो गया है, प्रधानी लड़ेगा, अपनी औकात भूल गया है। थोड़ी देर जांच-पड़ताल करने के बाद पुलिस की टीम किशन को लेकर फिर से थाने चली गई।
परिवार वालों का आरोप है कि किसान की हत्या साजिश के तहत की गई है। किशन यादव आगामी पंचायत चुनाव में प्रधान पद पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था, जिसके चलते उस क्षेत्र के पूर्व प्रधान व कुछ अन्य भावी प्रत्याशियों को यह बात खल रही थी।
परिजनों के अनुसार पुलिस रात को करीब 3:00 बजे किशन को घायल अवस्था में सदर अस्पताल ले गई, जहां पर प्राथमिक जांच के बाद डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। अभी यह बात किशन के परिवार वालों को पता नहीं थी। उन्हें यह सूचना सुबह 6:00 बजे क्षेत्र के लेखपाल द्वारा घर जा कर दी गई। खबर मिलते ही घर में कोहराम मच गया। किशन के परिवार वाले सदर हॉस्पिटल गए, जहां प्रशासन ने पहले से ही भारी फोर्स तैनात कर रखी थी। पुलिस ने किसी को अंदर नहीं जाने दिया। फिर काफी कोशिशों के बाद सिर्फ 3 लोगों को अंदर जाने दिया गया। उन लोगों ने एक छोटा सा वीडियो भी बनाया, जिसमें किशन के शरीर पर मारपीट के गंभीर निशान दिख रहे हैं। उनके अनुसार किशन के साथ थर्ड डिग्री टॉर्चर किया गया था। किशन के हाथ व पैर के नाखून भी उखाड़े गए थे, पुलिस ने किशन के शव को घरवालों को नहीं दिया।
जांच दल की रिपोर्ट के मुताबिक, बक्सा थाने के आसपास के निवासियों के अनुसार पुलिस द्वारा दी जा रही प्रताड़ना के चलते किशन की चीखें थाने के बाहर तक सुनाई दे रही थीं। रात करीब 1:30 बजे के बाद चीखें सुनाई देना बंद हो गईं।
माले टीम द्वारा किशन के दोस्तों से पूछताछ करने पर पता चला कि सौरभ पाठक, जो किशन को पुलिस की टीम के पास ले गया था, के पिता जितेंद्र पाठक हैं। वे पहले वकालत करते थे, परंतु मौजूदा समय में पुरोहित का कार्य करते हैं, पूजा-पाठ संपन्न करवाते हैं और उनका जुड़ाव आरएसएस व अन्य क्षेत्रीय हिंदूवादी दलों से है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस घटना के बाद बक्शा थानाध्यक्ष अजय सिंह और तीन सिपाही कमल बिहारी, जीतेन्द्र कुमार व राजकुमार वर्मा को निलंबित कर मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी हो चुके हैं, लेकिन 05 दिन पूरे होने तक यह जांच रिपोर्ट नहीं आई है।
माले टीम ने रिपोर्ट में कहा है कि किशन यादव, जिसके आपराधिक रिकार्ड की बात ही छोड़िए, पहले भी कोई एफआईआर उसके खिलाफ नहीं है। मौत की मुख्य वजह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रही है, लेकिन पूरे इलाके में पुलिस द्वारा थाने में पीटकर हत्या करने की घटना को ही माना जा रहा है। लोगों ने कहा कि जब रक्षक ही भक्षक हो जाए तो क्या होगा?
टीम ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि 11 फरवरी को उच्चतम न्यायालय में जस्टिस अशोक भूषण और अजय रस्तोगी की पीठ ने 1988 के ओडिशा में पुलिस की हिरासत में पिटाई से एक व्यक्ति की मौत के मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि पुलिस हिरासत में इस कदर अत्याचार से व्यक्ति का मर जाना एक सभ्य समाज में स्वीकार्य नहीं है। उच्चतम न्यायालय ने कहा कि यह सिर्फ मरने वाले के प्रति अपराध नहीं, बल्कि पूरी मानवता के खिलाफ है और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले अधिकारों का उल्लंघन है।
जौनपुर की ताजा घटना शीर्ष न्यायालय द्वारा उक्त टिप्पणी करने के अगले दिन 12 फरवरी को हो गई। जौनपुर पुलिस ने किशन यादव मामले में न सिर्फ मानवाधिकारों को, बल्कि सर्वोच्च न्यायालय और संविधान का भी मखौल उड़ाया।
माले जांच दल में पार्टी के राज्य कमेटी सदस्य व इंनौस के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, जौनपुर जिला के पार्टी प्रभारी गौरव सिंह, आइसा के इलाहाबाद सचिव सोनू यादव और इंनौस जौनपुर के संयोजक राजू शामिल थे।