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आंदोलन

84 साल के बुजुर्ग स्टेन स्वामी को केंद्र की मोदी सरकार ने जानबूझकर उतारा मौत के घाट : भाकपा माले विधायक विनोद सिंह

Janjwar Desk
15 July 2021 2:15 PM GMT
84 साल के बुजुर्ग स्टेन स्वामी को केंद्र की मोदी सरकार ने जानबूझकर उतारा मौत के घाट : भाकपा माले विधायक विनोद सिंह
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पुलिस की भारी बंदिशों के बाद ब्रेकिंग को तोड़कर गगनभेदी नारों के साथ रांची में स्टेन स्वामी की कस्टडी में हुई मौत के बाद निकाला गया आक्रोश मार्च

बृंदा करात ने कहा, केंद्र की मोदी सरकार ने सरकार विरोधियों की आवाज को दबाने के लिए एक साजिश के तहत फादर स्टेन स्वामी के फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेजा, जहां पर उनकी बगैर इलाज के मौत हो गई....

रांची, जनज्वार। आज 15 जुलाई 2021 को रांची के शहीद चौक स्थित जिला स्कूल मैदान से सीपीआई एम के पोलित ब्यूरो सदस्य पूर्व सांसद बृंदा करात, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव और पूर्व सांसद भुवनेश्वर प्रसाद मेहता के नेतृत्व में पुलिस वालों के बंदिशों के बाद ब्रेकिंग को तोड़कर गगनभेदी नारों के साथ आक्रोश मार्च निकाला गया।

लोकतांत्रिक दलों ने रांची के पूरे शहर का भ्रमण करते हुए राजभवन के समक्ष प्रदर्शन किया। जुलूस, प्रदर्शन के बाद सभा आयोजित की गयी। सभा की अध्यक्षता सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला ने की और भुवनेश्वर केवट ने संचालन किया।

सभा को संबोधित करते हुए बृंदा करात ने कहा, केंद्र की मोदी सरकार ने सरकार विरोधियों की आवाज को दबाने के लिए एक साजिश के तहत फादर स्टेन स्वामी के फर्जी मुकदमों में फंसाकर जेल भेजा, जहां पर उनकी बगैर इलाज के मौत हो गई। इसका देश के तमाम जनवादी संगठनों, सामाजिक संगठनों, राजनीतिक दलों, पत्रकारों, बुद्धिजीवियों ने विरोध किया है और मांग की कि जिस साजिश के तहत स्टेन स्वामी को फंसाया गया उसका पर्दाफाश किया जाये। बृंदा कराने ने अपील की कि अगर फादर स्टेन स्वामी के मामलों को न्यायिक जांच केंद्र सरकार नहीं करायेगी तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

सभा को संबोधित करते हुए हजारीबाग के पूर्व सांसद भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने कहा, केंद्र की मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है, तब से लगातार सरकार के विरुद्ध आवाज उठाने वाले लोगों को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने के उद्देश्य से फर्जी मुकदमों में फंसाया जा रहा है। जिस तरह से फादर स्टेन स्वामी झारखंड की जल, जंगल, जमीन की लड़ाई लड़ रहे थे, उसी का एक तरह से उनसे बदला लिया गया। देश के कारपोरेट घराने राज्य की खनिज संपदाओं के ऊपर कब्जा जमाने के लिए कई हथकंडे अपना रहे हैं। फादर स्वामी की मौत जल, जंगल, जमीन की आवाज उठाने वालों पर दबाव बनाने के लिए एक साजिश है। राज्य के प्रत्येक जिलों के गांव गांव में आवाज को बुलंद करने की जरूरत है।

वहीं भाकपा माले के विधायक विनोद सिंह ने कहा कि हर हाल में केंद्र की मोदी सरकार को फादर स्टेन स्वामी के मामले की न्यायिक जांच करानी चाहिए। जो आदमी बीमारी के कारण न सही से बोल सकता है, न चल सकता है, न सुन सकता है, वैसे 84 वर्षीय वृद्ध को जानबूझकर केंद्र की सरकार मौत के घाट उतारा है, इसलिए स्वामी की आवाज को दबने नहीं दिया जाएगा।

भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी झारखंड राज्य के सहायक सचिव महेंद्र पाठक ने कहा कि केंद्र की सरकार जब से सत्ता में आई है तब से लगातार विरोधियों की आवाज दबाने के लिए अपने कार्यकारी एजेंसियों के इस्तेमाल कर रही है। सवाल केवल फादर स्टेन स्वामी का नहीं है, पहले भी देश के जाने माने राजनेताओं पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज कर विरोधियों की आवाज को दबाने की साजिश की गई, लेकिन जन उबाल के कारण उन्हें वापस लेना पड़ा।

महेंद्र पाठक ने कहा देश में कॉरपोरेट घराने के इशारे पर केंद्र की सरकार काम कर रही है। जनविरोधी नीतियों का विरोध करने वाले को फंसा रही है, इसलिए आने वाले दिनों में अघोषित आपातकाल के विरुद्ध और भी आंदोलन को तेज करना पड़ेगा।

फादर स्टेन स्वामी को न्याय दिलाने के लिए आयोजित प्रदर्शन और सभा में भाकपा माले के राज्य सचिव जनार्दन प्रसाद, शुभेंदु सेन, मासस के मिथिलेश सिंह, सुशांतो मुखर्जी, एसएसयूआई के मिंटू पासवान, सुमित राय, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव अजय कुमार सिंह, माकपा के जिला सचिव सुखनाथ लोहरा, भाकपा माले के जिला सचिव भुवनेश्वर केवट, माकपा के राज्य सचिव मंडल के सदस्य प्रकाश विप्लव, वरुण कुमार, राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश उपाध्यक्ष राजेश यादव, महिला नेत्री दयामनी बारला, भाकपा के फर्जाना फारुकी, प्रफुल्ल लिंडा ,वीरेंद्र कुमार, नदीम खान, मेहुल मृगेंद्र, नौरीन अख्तर, सीटू के एसके राय, अलोका कुजूर, सच्चिदानंद मिश्रा, रातू प्रखंड के प्रमुख सुरेश मुंडा, माकपा नेता भवन सिंह समेत सैकड़ों की संख्या में जनता उपस्थित थी।

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