PM मोदी को योगेंद्र यादव ने इस भाषा में दिया जवाब, तो शिवसेना के संजय राउत बोले हम सब 'आंदोलनजीवी'
जनज्वार। कल 8 फरवरी को संसद में पीएम मोदी ने किसान आंदोलन पर सवाल उठाते हुए आंदोलनकारियों को आंदोलनजीवी बता दिया। कहा कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जो कहीं भी आंदोलन होने पर वहां पहुंच जाते हैं, उन्हें आंदोलन के बिना चैन नहीं मिलता, वो आंदोलनजीवी और परजीवी हैं।
इस बात को लेकर लगातार सोशल मीडिया पर लगातार आवाज उठ रही है। अब एक वीडियो जारी कर किसान नेता योगेंद्र यादव ने पीएम मोदी को करारा जवाब दिया है। योगेंद्र यादव ने कल 8 फरवरी को फेसबुक पर जारी अपने एक वीडिया में कहा है, पीएम मोदी खुद कुछ दिन पहले तक जनांदोलन के बारे में कहा करते थे, कांग्रेस के खिलाफ वो जनांदोलन करने की अपील किया करते थे, लेकिन अब उन्हें आंदोलन बुरा लगने लगा है।
हाँ, मैं "आन्दोलनजीवी" हूँ मोदी जी! #FarmersProtest #andolanjivi https://t.co/XtMj8fPEWV
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) February 8, 2021
योगेंद्र यादव कहते हैं हां, हूं मैं 'आंदोलनजीवी', क्योंकि भारत की आजादी भी आंदोलन से हुई है और देश के ने कई बड़े-बड़े आंदोलन देखे हैं जो परिवर्तन लेकर आए हैं।
पीएम मोदी द्वारा आंदोलनजीवी जमात कहने के बाद सोशल मीडिया पर इसकी खूब चर्चा हो रही है। विपक्षी पार्टियां पीएम मोदी और भाजपा के तमाम नेताओं की तस्वीरें शेयर कर याद दिला रहे हैं कि वो किस तरह आंदोलन में शरीक रहे हैं। यह भी कि जब मोदी विपक्ष में थे तो कैसे आंदोलन होते थे। ट्वीटर पर कई लोग अपने नाम के आगे आंदोलनजीवी शब्द जोड़ चुके हैं।
शिवसेना के सांसद संजय राउत भी इस 'आंदोलनजीवी' चर्चा का हिस्सा बने हैं। उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधा और कहा कि वह इस शब्द से अपने आप को जोड़ना चाहेंगे। संजय राउत ने ट्विटर पर किसान नेता राकेश टिकैत के साथ अपना फोटो साझा करते हुए लिखा, 'गर्व से कहो, हम सब आंदोलनजीवी हैं, जय जवान जय किसान...'
गर्वसे कहो..
— Sanjay Raut (@rautsanjay61) February 8, 2021
हम सब आंदोलनजीवी है..
जय जवान
जय किसान! pic.twitter.com/8zSXztMUf2
कल 8 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में कहा था कि देश श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्दों से परिचित है लेकिन पिछले कुछ समय से इस देश में एक नई जमात पैदा हुई है और वह है 'आंदोलनजीवी'...कीलों का आंदोलन हो या छात्रों का आंदोलन या फिर मजदूरों का, ये हर जगह नजर आएंगे। कभी परदे के पीछे, कभी परदे के आगे। यह पूरी टोली है जो आंदोलन के बिना जी नहीं सकती...'