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आंदोलन

आज के समय में काकोरी के शहीदों के साझा संघर्ष-साझी विरासत को और मजबूत करने की जरूरत

Janjwar Desk
19 Dec 2022 6:34 PM IST
आज के समय में काकोरी के शहीदों के साझा संघर्ष-साझी विरासत को और मजबूत करने की जरूरत
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आज के समय में काकोरी के शहीदों के साझा संघर्ष-साझी विरासत को और मजबूत करने की जरूरत

आज की बाँटने वाली ताकतों को अशफाक-बिस्मिल की इसी एकता से सीख लेकर मुकाबला किए जाने की जरूरत है। जनता के जनवादी अधिकार कुचले जा रहे हैं। कानून निष्प्रभावी बनाए जा रहे हैं, व्यवहार में उनके पालन को काफी कम कर दिया गया है...

Kakori Kand : परिवर्तनकामी छात्र संगठन (पछास) के नेतृत्व में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन (क्रालोस) और प्रगतिशील महिला एकता केंद्र (प्रमएके) ने संयुक्त रूप से काकोरी कांड के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए नगर निगम सभागार हल्द्वानी में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया।

गोष्ठी की शुरुआत काकोरी के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद राम प्रसाद बिस्मिल की पसंदीदा नज़्म सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है गीत के साथ की गई।

गोष्ठी में बात रखते हुए पछास के केंद्रीय महासचिव महेश ने कहा कि ब्रिटिश साम्राज्यवादी भारत की जनता को गुलाम बनाकर यहां के लोगों का मेहनताना लूट कर इंग्लैंड ले जाते थे। काकोरी के शहीद जुल्म-उत्पीड़न-अन्याय समसामयिक समस्याओं के सभी रूपों के विरुद्ध संघर्ष कर रहे थे। इन रूपों को पालने वाली पूंजीवादी-साम्राज्यवादी व्यवस्था के विरुद्ध क्रांतिकारी संघर्ष छेड़े हुए थे। काकोरी में ट्रेन डकैती की घटना ने ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की चूलें हिला कर रख दी थी। यह ब्रिटिश साम्राज्यवादियों को सीधे-सीधे क्रांतिकारी संगठनों की तरफ से चुनौती थी। 17 दिसंबर को राजेंद्र नाथ लाहिड़ी, 19 दिसंबर को रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रोशन सिंह को फांसी पर चढ़ा दिया गया। शोषण-उत्पीड़न-अन्याय, शिक्षा-रोजगार आदि समस्याओं के विरुद्ध देश के छात्र-नौजवानों सहित मेहनतकश जनता का यह संघर्ष आज भी जारी है।

क्रालोस के टीकाराम पांडे ने कहा कि आज जनता को जाति-धर्म के नाम पर बांटा जा रहा है। आजादी के आंदोलन में ब्रिटिश साम्राज्यवादी भी अपना राज चलाने के लिए जनता को इसी तरह बांटते थे। क्रांतिकारियों सहित मेहनतकश जनता ने कभी इस बंटवारे को स्वीकार नहीं किया। अशफाक-बिस्मिल की हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल आजादी के आंदोलन में मजबूत और प्रगाढ़ हुई थी। आज की बाँटने वाली ताकतों को अशफाक-बिस्मिल की इसी एकता से सीख लेकर मुकाबला किए जाने की जरूरत है। जनता के जनवादी अधिकार कुचले जा रहे हैं। कानून निष्प्रभावी बनाए जा रहे हैं, व्यवहार में उनके पालन को काफी कम कर दिया गया है। इन तमाम सारी समस्याओं के खिलाफ हमें काकोरी के शहीदों से सीख लेकर अपने संघर्षों की धार को तेज करने की जरूरत है।

प्रमएके महासचिव रजनी जोशी ने कहा कि आज सरकारें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, रोटी, कपड़ा, मकान जैसी जनता की मूलभूत समस्याओं की अनदेखी कर रही है। समाज के अंदर में मेहनतकाश जनता इन समस्याओं से कराह रही है। काकोरी के शहीदों से प्रेरणा लेकर उनके संघर्षशील तरीके के साथ हमें अपनी समस्याओं के खिलाफ लड़ते हुए उन शहीदों के सपनों का भारत समाजवादी भारत बनाने की ओर बढ़ना चाहिए। इन शहीदों के सपनों का समाज समाजवादी समाज में ही देश की जनता की मुक्ति संभव है।

कार्यक्रम का संचालन पछास की रूपाली ने किया। कार्यक्रम में अन्य वक्ताओं ने भी बात रखी और काकोरी के शहीदों के साझा संघर्ष-साझी विरासत को और मजबूत करने की जरूरत को रेखांकित किया। उनके समाज समाजवादी समाज बनाने के लिए संकल्प लिया गया।

कार्यक्रम में चंदन, रूपाली, महेश, टीकाराम पांडे, रजनी जोशी, मोहन मटियाली, अनुराग, अनिषेक, उमेश, कुमकुम, इंशा, रियासत, वासिद, पूजा, आरती, रीना, हेमा, प्रगतिशील भोजन माता संगठन से दीपा, चंपा गिनवाल, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी से दीवान सिंह खनी, समता सैनिक दल से जगदीश चंद्र (जीतू) सहित दर्जनों लोग उपस्थित थे।

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