नई दिल्ली। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है। धीरे-धीरे इस आंदोलन को देशभर से समर्थन मिलने लगा है। पंजाब और हरियाणा के किसानों के अलावा अन्य प्रदेशों के किसान भी इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं देश के कथित मेनस्ट्रीम मीडिया में अब भी इस आंदोलन को वजह नहीं दी जा रही है जो मिलनी चाहिए थी। जिन समाचार चैनलों और समाचार पत्रों में किसान आंदोलन पर खबर प्रकाशित भी की जा रही है तो वहां उन्हें खालिस्तान समर्थक बताया जा रहा है। वहीं सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी के कई नेता इस आंदोलन के किसानों को कांग्रेस के भड़काए हुए बता चुके हैं।
मीडिया पर अबतक सत्ता समर्थक होने और विपक्ष की आवाज कुचलने के आरोप लगते रहे हैं। इसलिए विपक्ष द्वारा सत्ता समर्थक मीडिया चैनलों को 'गोदी मीडिया' की उपमा भी दी जाती है। लेकिन इस बार आंदोलनकारी किसान खुलकर मीडिया का विरोध कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी इस बात की चर्चा हो रही है। ट्विटर पर इस वक्त 'किसान विरोधी मीडिया' टॉप ट्रेंड है।