उत्तराखंड के 25 वर्ष पूर्ण होने पर भाजपा सरकार मना रही सिल्वर जुबली, नौकरशाह-नेता-धन्नासेठ हो रहे मालामाल और जनता बदहाल

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रामनगर। उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस के 25 वर्ष पूरे होने पर 9 नवंबर को समाजवादी लोकमंच ने जन सम्मेलन आयोजित करने का निर्णय लिया है।
सभी को शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य, आवास की गारंटी मिले, अतिक्रमण के नाम पर किसी को भी उसके घर और कारोबार से बेदखल ना किया जाए। जातिवाद, महिला हिंसा और सांप्रदायिकता पर रोक लगे इन सवालों को लेकर 9 नवंबर को पायते वाली रामलीला, रामनगर में यह सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
मंच कार्यालय में आयोजित बैठक में मंच के संयोजक मुनीष कुमार ने कहा कि भाजपा सरकार 25 वर्ष पूर्ण होने की सिल्वर जुबली मना रही है। उत्तराखंड में विधायक, सांसद, मंत्री, अफसर तथा धन्ना सेठ मालामाल हो रहे हैं और जनता बेहाल है।
उत्तराखंड के 1700 गांव पलायन के कारण भुतहा गांव घोषित कर दिए गए हैं। जंगली जानवरों का आतंक चरम पर है। नौजवानों को रोजगार की जगह पेपरलीक मिल रहे हैं। सरकारी नौकरियों में भाई भतीजावाद हावी है। ऑल वेदर रोड, जल विद्युत परियोजनाएं तथा असंतुलित पर्यटन ने उत्तराखंड एवं यहां के पर्यावरण को बर्बाद कर दिया है।
ललिता रावत ने कहा कि सरकार अस्पतालों में डॉक्टर और इलाज उपलब्ध कराने की जगह शराब की दुकानें खोल रही है। अतिक्रमण हटाओ के नाम पर हजारों हजार लोगों को उनके घर और कारोबार से बेदखल किया जा रहा है। गांव के पीछे खनन के डंपरों की आवाजाही में जनता का सुखचैन छीन लिया है। अपनी नाकामी छुपाने के लिए सरकार लेंड जिहाद, लव जिहाद जैसे जुमले उछालकर भाजपा अपना सांप्रदायिक एजेंडा आगे बढ़ा रही है।
गिरीश चंद्र ने कहा कि सरकारी परिसंपत्तियों को कौड़ियों के दाम पर निजी क्षेत्र को बेचा जा रहा है तथा उद्योगों एवं सिडकुल में काम कर रहे श्रमिकों को ना तो न्यूनतम वेतन ही मिल रहा है और ना ही उन्हें सामाजिक सुरक्षा की गारंटी है। हायर एंड फायर की नीति ने उनका भविष्य अंधकारमय कर दिया है।
ललित उप्रेती ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में भाजपा ने 15 व कांग्रेस ने 10 साल शासन किया है परंतु दोनों ही की नीतियां जन विरोधी रही हैं। ऐसे में जनता को अपने हक अधिकारों के लिए एक और सशक्त आंदोलन की जरूरत है।
बैठक में गिरीश चंद्र चमन राम ललित उप्रेती राजेंद्र सिंह ललिता रावत सरस्वती जोशी किशन शर्मा कौशल्या चुनियाल समेत दर्जनों कार्यकर्ता उपस्थित रहे।





