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AFSPA Area Reduced In North East : केंद्र सरकार ने नार्थ इस्ट के राज्यों के लिए ​​लिया बड़ा फैसला, नगालैंड, असम और मणिपुर में AFSPA के क्षेत्रों में होगी कटौती

Janjwar Desk
31 March 2022 11:55 AM GMT
AFSPA Area Reduced In North East : केंद्र सरकार ने नार्थ इस्ट के राज्यों के लिए ​​लिया बड़ा फैसला, नगालैंड, असम और मणिपुर में AFSPA के क्षेत्रों में होगी कटौती
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AFSPA Area Reduced In North East : केंद्र सरकार ने नार्थ इस्ट के राज्यों के लिए ​​लिया बड़ा फैसला

AFSPA Area Reduced In North East : दशकों बाद भारत सरकार की ओर से इन राज्यों में AFSPA के तहत आने वाले इलाकों का दायरा घटाने का फैसला लिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सिलसिलेवार ढंग से ट्वीट्स सर के इस फैसले के बारे में बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले का श्रेय पीएम मोदी को जाता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षा के नजरिए से बेहतर होते हालात और विकास को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

AFSPA Area Reduced In North East : भारत सरकार (Govenment of India) ने नार्थ ईस्ट (North India) के राज्यों के दशकों पुरानी एक मांग पर मुहर लगा दी है। केन्द्र सरकार की ओर से नगालैंड (Nagaland), असम (Asam) और मणिपुर (Manipur) राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों में कटौती करने का फैसला किया जा रहा है। गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने ट्वीट (Tweet) कर इसकी जानकारी दी। आपको बता दें कि इस बार हुए मणिपुर विधानसभा चुनावों के दौरान अफस्पा एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बना था।

दशकों बाद भारत सरकार की ओर से इन राज्यों में AFSPA के तहत आने वाले इलाकों का दायरा घटाने का फैसला लिया गया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सिलसिलेवार ढंग से ट्वीट्स सर के इस फैसले के बारे में बताया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले का श्रेय पीएम मोदी को जाता है। पूर्वोत्तर में सुरक्षा के नजरिए से बेहतर होते हालात और विकास को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

गृह मंत्री ने ट्वीट में लिखा है कि, "पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने दशकों बाद नागालैंड, असम और मणिपुर राज्यों में सशस्त्र बल विशेष अधिकार अधिनियम (AFSPA) के तहत अशांत क्षेत्रों को कम करने का फैसला किया है।" अमित शाह ने इसके साथ ही पूर्वोत्तर की जनता को बधाई देते हुए कहा है कि सालों तक भारत के इस हिस्से की अनदेखी की गयी, लेकिन वर्तमान केंद्र सरकार इस इलाके पर विशेष ध्यान है।

आपको बता दें कि पिछले साल नागालैंड में सेना के एक ऑपरेशन के दौरान 14 नागरिकों की मौत के मामले के बाद अफस्पा कानून को हटाने की मांग ने जोड़ पकड़ ली थी। नगालैंड की राजधानी कोहिमा में नगा स्टूडेंट फेडरेशन की अपील पर हजारों छात्रों ने सड़क पर उतर कर AFSPA कानून को रद्द करने की मांग सरकार से की थी।

AFSPA कानून क्या है? अभी यह देश में कहां-कहां लागू है?

साल 1958 में भारतीय संसद ने आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को पारित किया था। इस कानून को ऐसे क्षेत्रों में लागू किया जाता है, जिन्हें अशांत या तनावपूर्ण माना जाता है। इस कानून में सुरक्षाबलों को कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं। इस कानून का इस्तेमाल कर सुरक्षाबल बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकती है। सुरक्षाबलों को बिना किसी पूर्व नोटिस के इलाके में अभियान छापेमारी अभियान चलाने चलाने का भी अधिकार होता है। किसी अभियान के दौरान कोई चूक होने पर भी इस कानून में सुरक्षाबलों को मिले विशेषाधिकार के तहत उनके ऊपर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है।

आपको बता दें कि AFSPA कानून की समयावधि नागालैंड में बीते साल दिसंबर 31 को समाप्त होने वाली थी। बीते साल 30 जून में सरकार ने इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। गौरतलब है कि AFSPA कानून किसी क्षेत्र में छह महीने की अवधि के लिए लगाया जाता है। इसके बाद अगर सरकार को लगता है कि इसकी समयावधि बढ़ायी जानी चाहिए तो सरकार उसे और बढ़ा सकती है।

ज्ञात हो कि बीते साल 26 दिसंबर को भारत सरकार ने एक सचिव स्तरीय हाई लेवर कमिटी बनाकर उसे नार्थ ईस्ट में इस कानून में​ शिथिलता देने की संभावनाओं पर समीक्षा करने को कहा था। कमिटी को इस कार्य के लिए तीन महीने का समय दिया गया था। कमिटी की अगुवाई देश के रजिस्ट्रार जनरल विवेक जोशी कर रहे थे। इस कमिटी में गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल, नागालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी सदस्य के रूप में शामिल थे।

इससे पहले भी साल 2004 में इस कानून में संशोशन के लिए मनमोहन सिंह सरकार ने जीवन रेड्डी की अगुवाई में एक कमिटी बनायी थी। इस कमिटी ने भी इस कानून में कई संशोधन के सुझाव सरकार को दिए थे। इसके बाद इस मामले को देखने के लिए एक सब कमिटी भी बनायी गयी थी। हालांकि 2014 में सत्ता में आयी मोदी सरकार ने जीवन रेड्डी कमिटी की सिफरिशों को लागू नहीं किया था। इसके बाद बनी सब कमिटी को भी भंग कर दिया गया था।

इससे पहले भारत सरकार ने मार्च 2018 में मेघालय और अरुणाचल प्रदेश से भी इस कानून को हटाने का फैसला लिया था। उसके इस कानून को सिर्फ अरुणाचल के चार जिलों तक सिमित कर दिया गया था। फिलहाल अरुणाचल प्रदेश में यह कानून अभी सिर्फ ​तीन जिलों में ही लागू है। वर्तमान में यह कानून पूर्वोत्तर में असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग, तिरप जिलों और असम सीमा पर मौजूद आठ पुलिस थाना क्षेत्रों में लागू है।

इस बीच असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा (Heman Biswa Sarma) ने भी एएनआई (ANI) से बातचीत में कहा है कि असम में आज आधी रात से 9 जिलों और एक अनुमंडल को छोड़कर AFSPA को पूरी तरह से वापस ले लिया जाएगा। इससे हमारे 60% क्षेत्र से AFSPA हट जाएगा। आज आधी रात से पूरे निचले, मध्य और उत्तरी असम से AFSPA हटाया जाएगा।

AFSPA कानून क्या है? अभी यह देश में कहां-कहां लागू है?

साल 1958 में भारतीय संसद ने आर्म्ड फोर्सेज स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) को पारित किया था। इस कानून को ऐसे क्षेत्रों में लागू किया जाता है, जिन्हें अशांत या तनावपूर्ण माना जाता है। इस कानून में सुरक्षाबलों को कुछ विशेषाधिकार दिए जाते हैं। इस कानून का इस्तेमाल कर सुरक्षाबल बिना वारंट के भी गिरफ्तारी कर सकती है। सुरक्षाबलों को बिना किसी पूर्व नोटिस के इलाके में अभियान छापेमारी अभियान चलाने चलाने का भी अधिकार होता है। किसी अभियान के दौरान कोई चूक होने पर भी इस कानून में सुरक्षाबलों को मिले विशेषाधिकार के तहत उनके ऊपर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती है।

आपको बता दें कि AFSPA कानून की समयावधि नागालैंड में बीते साल दिसंबर 31 को समाप्त होने वाली थी। बीते साल 30 जून में सरकार ने इसे छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। गौरतलब है कि AFSPA कानून किसी क्षेत्र में छह महीने की अवधि के लिए लगाया जाता है। इसके बाद अगर सरकार को लगता है कि इसकी समयावधि बढ़ायी जानी चाहिए तो सरकार उसे और बढ़ा सकती है।

ज्ञात हो कि बीते साल 26 दिसंबर को भारत सरकार ने एक सचिव स्तरीय हाई लेवर कमिटी बनाकर उसे नार्थ ईस्ट में इस कानून में​ शिथिलता देने की संभावनाओं पर समीक्षा करने को कहा था। कमिटी को इस कार्य के लिए तीन महीने का समय दिया गया था। कमिटी की अगुवाई देश के रजिस्ट्रार जनरल विवेक जोशी कर रहे थे। इस कमिटी में गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल, नागालैंड के मुख्य सचिव और डीजीपी और असम राइफल्स के डीजीपी सदस्य के रूप में शामिल थे।

इससे पहले भी साल 2004 में इस कानून में संशोशन के लिए मनमोहन सिंह सरकार ने जीवन रेड्डी की अगुवाई में एक कमिटी बनायी थी। इस कमिटी ने भी इस कानून में कई संशोधन के सुझाव सरकार को दिए थे। इसके बाद इस मामले को देखने के लिए एक सब कमिटी भी बनायी गयी थी। हालांकि 2014 में सत्ता में आयी मोदी सरकार ने जीवन रेड्डी कमिटी की सिफरिशों को लागू नहीं किया था। इसके बाद बनी सब कमिटी को भी भंग कर दिया गया था।

इससे पहले भारत सरकार ने मार्च 2018 में मेघालय और अरुणाचल प्रदेश से भी इस कानून को हटाने का फैसला लिया था। उसके इस कानून को सिर्फ अरुणाचल के चार जिलों तक सिमित कर दिया गया था। फिलहाल अरुणाचल प्रदेश में यह कानून अभी सिर्फ ​तीन जिलों में ही लागू है। वर्तमान में यह कानून पूर्वोत्तर में असम, नगालैंड, मणिपुर (इंफाल नगर परिषद क्षेत्र को छोड़कर), अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग, लोंगडिंग, तिरप जिलों और असम सीमा पर मौजूद आठ पुलिस थाना क्षेत्रों में लागू है।

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