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Assam NRC : नागरिकता को लेकर 9 साल पहले बेटे ने की थी खुदकुशी, असम की महिला को अब घोषित किया गया 'भारतीय'

Janjwar Desk
12 May 2022 12:02 PM IST
Assam NRC : नागरिकता को लेकर 9 साल पहले बेटे ने की थी खुदकुशी, असम की महिला को अब घोषित किया गया भारतीय
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Assam NRC : नागरिकता को लेकर 9 साल पहले बेटे ने की थी खुदकुशी, असम की महिला को अब घोषित किया गया 'भारतीय'

Assam NRC : इस खबर को लेकर नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए कछार में प्रचार करते हुए कहा था कि उन्हें मौत से दुख हुआ है, डिटेंशन सेंटर के नाम पर असम सरकार (कांग्रेस) ने मानवाधिकारों का उल्लंघन किया......

Assam NRC : असम में नौ साल पहले अपनी नागरिकता (Inidian Citizenship) साबित करने के लिए नोटिस दिए जाने के बाद उनके बेटे ने कथित तौर पर आत्महत्या (Sucide) कर ली थी। तीन महीने पहले उन्हें इसी तरह का नोटिस मिला था। बुधवार को आखिरकार उन्हें भारतीय घोषित कर दिया गया।

यह उनके परिवार के लिए बहुत खुशी का अवसर है लेकिन 82 साल की अकोल रानी नामसुधरा (Akol Rani Namsudhra) को अभी इसकी जानकारी नहीं है। 2015 में अपनी नागरिकता का सफलतापूर्वक बचाव करने वाली अकोल की बेटी अंजलि रॉय ने कहा- हम सुबह अपनी मां को खबर देंगे.. इस मामले के कारण हमें बहुत कुछ झेलना पड़ा।

कछार जिले के सिलचर में फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (Foreigners Tribunal) ने फैसला सुनाया कि अकोल विदेश नहीं थी क्योंकि उसने मजूबत, विश्ववसनीय और स्वीकार्य सबूत जोड़कर अपने मामले को सफलतापूर्व साबित कर दिया था।

सिलचर से करीब बीस किलोमीटर दूर हरितिकर गांव की रहने वाली अकोल को ट्रिब्यूनल ने फरवरी में तलब किया था। उनपर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने 25 मार्च 1971 के बाद अवैध रूप से भारत में प्रवेश किया था।

इस खबर को लेकर नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने प्रधानमंत्री बनने से पहले 2014 में लोकसभा चुनाव के लिए कछार में प्रचार करते हुए कहा था कि उन्हें मौत से दुख हुआ है। डिटेंशन सेंटर के नाम पर असम सरकार (कांग्रेस) ने मानवाधिकारों का उल्लंघन (Assam NRC) किया। अर्जुन की मृत्यु व्यर्थ नहीं थी। वह उन लोगों के अधिकारों के लिए मरा था जो असम में डिटेंशन कैंपों में हैं। उन्होंने अपनी जान की कुर्बानी दी.. हम इसे व्यर्थ नहीं जाने देंगे।

हालांकि फरवरी 2022 में अकोल को फिर नोटिस दिया गया जिसे उनकी बेटी अंजलि सदमे के रूप में वर्णित करती हैं। वह कहती हैं- मेरे भाई के साथ जो हुआ उसके कारण हम पहले ही बहुत कुछ कर चुके ते। हमें विश्वास नहीं हो रहा था कि आखिर प्रधानमंत्री ने जो कहा था उसके बाद मेरी मां को फिर इससे गुजरना पड़ेगा।

स्थानीय वकीलों ने परिवार की मदद की। 55 वर्षीय अंजलि ने बताया कि उन्होंने हमसे कुछ भी चार्ज लिए बिना सभी खर्चों को वहन किया तो यह एक राहत थी।

द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए सिलचर स्थित वकील अनिल डे ने कहा कि अकोल असम की असम निवासी थी। वह यहीं पैदा हुईं और पली बढ़ीं। 1965, 1970, 1971 मतदाता सूची में उनका नाम आने के अलावा उनके नाम पर 1971 से पहले के भूमि कार्य भी थे।

ट्रिब्यूनल में अकोल ने प्रस्तुत किया था कि उनके पिता गोपी राम नामसुधतरा हरितिकर के स्थायी निवासी थे और अनंत कुमार नामसुधरा से शादी के बाद उन्होंने 1965 में कटिगोरा विधानसभा के अंतर्गत आने वाले गांव में पहली बार अपना वोट डाला।

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