Banking Fraud In India: मोदी सरकार में बैंक फ्रॉड पहुंचा रिकॉर्ड स्तर पर, आरबीआई ने माना हर रोज हो रही 100 करोड़ रुपए की जालसाजी

Banking Fraud In India: मोदी सरकार में बैंक फ्रॉड पहुंचा रिकॉर्ड स्तर पर, आरबीआई ने माना हर रोज हो रही 100 करोड़ रुपए की जालसाजी
Banking Fraud In India: पिछले कुछ सालों में भारत से एक-एक करके कई बैंकों से बैंकिंग धोखाधड़ी और घोटालों के मामलों की संख्या लगातार बढ़ी है। पिछले सात वर्षों में बैंक धोखाधड़ी या घोटालों में भारत को हर दिन कम से कम 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। हालांकि आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, इसमें शामिल कुल राशि में साल-दर-साल कमी आई।
रिपोर्ट के अनुसार, इस तालिका में महाराष्ट्र पहले स्थान पर है और इसमें शामिल धन का 50% हिस्सा है। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली, तेलंगाना, गुजरात और तमिलनाडु हैं, और इन राज्यों में कुल मिलाकर 2 लाख करोड़ रुपए का फ्रॉड हुआ, जो वित्तीय धोखाधड़ी में खोए हुए धन का 83 प्रतिशत है।
धोखाधड़ी को आरबीआई द्वारा आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है: हेराफेरी और आपराधिक विश्वासघात; जाली लिखतों के माध्यम से धोखाधड़ी से नकदीकरण, खाते की पुस्तकों में हेरफेर या काल्पनिक खातों के माध्यम से संपत्ति का रूपांतरण; इनाम के लिए या अवैध परितोषण के लिए प्रदान की गई अनधिकृत ऋण सुविधाएं; लापरवाही और नकदी की कमी; धोखाधड़ी और जालसाजी; विदेशी मुद्रा लेनदेन में अनियमितताएं और किसी अन्य प्रकार की धोखाधड़ी जो ऊपर दिए गए विशिष्ट शीर्षों के अंतर्गत नहीं आती हैं।
2015-16 में कुल 67,760 करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड हुआ था, जो 2016-17 में घटकर 59,966.4 करोड़ रुपये रह गया। वहीं उसके दो साल बाद तक यह रकम 45 हजार करोड़ रुपये तक आ गई। 2019-20 में बैंक फ्रॉड का आंकड़ा फिसलकर 27,698.4 करोड़ रुपये ही रह गया। अगले साल 2020-21 में सिर्फ 10,699.90 करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड हुआ। वहीं इस मौजूदा वित्त वर्ष के शुरुआती 9 महीनों में 647 करोड़ रुपये का बैंक फ्रॉड रिपोर्ट हुआ है।
धोखाधड़ी की ज्यादातर घटनाएं उधारी देने में ही होती हैं। ऐसे मामलों में या तो नियमों से ज्यादा कर्ज दिया जाता है या जमानत नहीं रखी जाती है। अमेरिका में हर दिन उधारी से जुड़े मामलों में असेसमेंट होता है, जो भारतीय बैंकों में नहीं किया जाता है।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कन्फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष वाई सुदर्शन का कहना है कि बाहरी धोखाधड़ी से बचने के लिए बैंक काफी प्रयास करते हैं, पर उन्हें चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों को इसके लिए जिम्मेदार बनाएं। खासकर ऐसे मामलों में, जहां ज्यादा उधारी दी जाती है।











