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Bhopal Hospital Fire : आठ बच्चों की जान बचाई लेकिन अपने भतीजे को नहीं बचा सके रइस खान

Janjwar Desk
10 Nov 2021 8:27 PM IST
Bhopal Hospital Fire : आठ बच्चों की जान बचाई लेकिन अपने भतीजे को नहीं बचा सके रइस खान
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(भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में आग लगने के बाद अफरातफरी मच गई थी) File pic.

Bhopal Hospital Fire Tragedy : रचना के जुड़वां बच्चों में से एक बच्चा, कुरैशी का बेटा और खान का भतीजा घटना में मारे गए चारों शिशुओ में शामिल थे। चौथे बच्चे की मां की पहचान सोनाली मंशानी के रूप में हुई।

Bhopal Hospital Fire Tragedy : भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल (Kamla Nehru Hospital Fire Tragedy) में सोमवार, 7 नवंबर 2021 की आधी रात को अचानक आग लग गई थी। आग की चपेट में आकर झुलस जाने से कुछ नवजात शिशुओं (Newborn Children) की दर्दनाक मौत हो गई। कई तो ऐसे नवजात शिशु थे जिनका जन्म आग लगने से कुछ ही घंटे पहले हुआ था।

जब कमला अस्पताल धू- धू कर जल रहा था और चारों तरफ चीख़-पुकार और चीत्कार की आवाजें सुनाई दे रहीं थी तो ठीक उसी वक्त शहर का एक शख्स फरिश्ता बनकर आया। उसने कई शिशुओ की जान बचा ली। हालांकि, दुर्भाग्यवश खुद अपने घर के नवजात बच्चे की जान वो नहीं बचा पाया।

सोमवार, 7 नवंबर की सुबह 8 बजे रचना ने जुड़वा बच्चों को जन्म दिया था। दोनों लड़कियां थीं। दोपहर क़रीब 3 बजे रईस कुरैशी अपने बेटे को बेड पर 'खेलते' देखकर घर के लिए निकल गए थे।

उसी शाम रईस कुरैशी घर पर रात को खाने के लिए बैठे थे। इसी बीच भोपाल के कमला नेहरू अस्पताल में लगी आग ने उन सभी को एक ऐसी भयानक रात के साथ छोड़ दिया जिसे वो कभी भूल नहीं पाएंगे।

रचना के जुड़वां बच्चों में से एक बच्चा, कुरैशी का बेटा और खान का भतीजा घटना में मारे गए चारों शिशुओ में शामिल थे। चौथे बच्चे की मां की पहचान सोनाली मंशानी के रूप में हुई।

मंगलवार को भतीजे को दफनाने के बाद अपने आंसू रोकने की कोशिश करते हुए खान ने उस रात के भयंकर मंजर के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि घर पर उस रात खाना खा रहा था, तभी बहन इरफाना से आग लगने की ख़बर सुना तो घबराहट सी हुई।

जब अस्पताल के तीसरे मंजिल पर स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू ) पहुंचा।तो देखा कि बदहवास स्थिति में डॉक्टर और नर्स शिशुओ को वार्ड से बाहर लाने के लिए दौड़-भाग कर रहे हैं।

इसे देख खान अपने भतीजे की तलाश करने की जगह डॉक्टर और नर्सों के साथ जुड़कर शिशुओं को बचाने की कोशिश में जुट गए।

खान ने उस वक्त सोचा कि अगर इन मासूमों की जान बचा सका तो ऊपरवाले मेरी ऱक्षा जरूर करेंगे।

खान उदासी और बेबसी के साथ कहते है कि आठ शिशुओ को तो बचा लिया लेक़िन अपने आठ दिन के भतीजे राहिल को नहीं बचा सका। खान के घर 12 साल बाद किलकारियां खिली थीं जो इस आग की चपेट में आकर खत्म हो गई।

खान उस डरावनी और दर्दनाक रात के बार में बताते है कि पूरा कमरा धुएं से भरा हुआ था। हालांकि, आग की लपटे कम थीं। हमने तारों को काटना शुरू कर दिया। बिजली की इकाइयों से जुड़े उपकरणों को बाहर निकाला और शिशुओ को दूसरे वार्ड में ले गए।

"लेकिन हड़बड़ी में मैंने अपने ही भतीजे की तलाश नहीं की..वे सभी मासूम जिंदगियां थीं जिन्हे बचाने की जरूरत थी। आठ शिशुओ को बचाने के बाद मैंने राहत की सांस ली, जब हमें बताया गया कि सभी शिशुओ को वार्ड से बचा लिया गया है।

खान कहते हैं, "करीब 30 मिनट बाद मैंने अपने भतीजे को तलाशना शुरू किया। भतीजे की तलाश रात के तीन बजे उस वक्त खत्म हुई जब उन्हें मोर्चरी चेक करने को कहा गया।

आखिर में खान ने कहा कि उसे सोमवार दोपहर 3 बजे उसकी बेड पर खेलने के लिए छोड़ दिया था। मुझे अगले दिन मेरे बेटे का शरीर दिया गया।

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