बिहार : एनडीए विधायक दल की बैठक में पर्यवेक्षक होंगे राजनाथ, कल मुख्यमंत्री व डिप्टी सीएम के नाम पर होगा फैसला
जनज्वार, पटना। बिहार में एनडीए के नवनिर्वाचित विधायक दल की बैठक दिवाली के ठीक अगले दिन रविवार को पटना में होंगी। इस बैठक में नेता व उपनेता चुना जाना है। विजेता गठबंधन होने के कारण नेता मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे और उपनेता उपमुख्यमंत्री पद की। बिहार में एनडीए में भाजपा बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है और ऐसे में इस अहम बैठक में नेता व उपनेता चुने जाने को लेकर उसकी भूमिका अहम होगी। पार्टी ने इस वजह से इसके लिए अपने वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह को जिम्मेवारी दी है।
न्यूज एजेंसी एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि राजनाथ सिंह रविवार को होने वाले एनडीए विधायक दल की बैठक में मौजूद रहेंगे। संभावना यह भी है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कुछ अन्य वरिष्ठ नेताओं को इस बैठक में भेजा जाएगा। एनडीए के विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को नेता चुना जाना लगभग तय है, क्योंकि एनडीए ने उनका चेहरा घोषित कर चुनाव लड़ा था और परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह स्पष्ट कर दिया है कि एनडीए नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही बिहार में संकल्प सिद्ध करेगी। यानी नीतीश कुमार ही मुख्यमंत्री होंगे।
Defence Minister Rajnath Singh to be present at NDA meet in Patna (Bihar) tomorrow: Sources pic.twitter.com/UAgDcMFv15
— ANI (@ANI) November 14, 2020
अब नीतीश कुमार की जगह किसी और का विधायक दल का नेता चुना जाना सिर्फ उनके इनकार पर ही हो सकता है, जिसकी संभावना नजर नहीं आती। एक तबके के द्वारा यह कहा जा रहा था कि खुद की पार्टी को कम विधायक आने पर नीतीश शायद मुख्यमंत्री बनने को तैयार नहीं हों, लेकिन इस बात की संभावना इस वजह से न्यूनतम है क्योंकि नीतीश कुमार के पास जीतन राम मांझी को मुख्यंमंत्री बनाने के बाद का कड़वा अनुभव है, जब मांझी ने उनके खिलाफ ही जदयू में बगावत कर दी। 2015 के विधानसभा चुनाव में एक इंटरव्यू में नीतीश कुमार ने मांझी को मुख्यमंत्री बनाने को अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी भूल बताया था, ऐसे में यह संभावना कम है कि वे किसी और का नाम पेश करें।
दूसरी जो सबसे अहम बात है वह है उपनेता को लेकर। अगर नीतीश कुमार विधायक दल का नेता चुने जाएंगे तो उपनेता भाजपा से चुना जाएगा। अबतक इस भूमिका में सुशील कुमार मोदी रहे हैं और नीतीश से उनकी शानदार ट्यनिंग रही है। इस बीच मीडिया में यह चर्चा शुरू हुई है कि भाजपा अपने दलित व हिंदुत्ववादी चेहरे कामेश्वर चौपाल को उपमुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर सकती है। वहीं, सुशील कुमार मोदी को केंद्रीय कैबिनेट में ले जाया जा सकता है।
मिथिला से आने वाले कामेश्वर चौपाल राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य भी हैं। हालांकि भाजपा की कार्यप्रणाली से इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि अपेक्षाकृत किसी और युवा नाम को भी भाजपा बिहार में नेतृत्व के लिए आगे बढा सकती है। पिछले करीब तीन दशकों से विधानसभा में भाजपा की अगुवाई सुशील कुमार मोदी करते रहे हैं। ऐसे में बदलाव की बयार किस ओर बहेगी अभी कहना मुश्किल है।