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बिहार के मंत्री ने मोदी सरकार को चेताया, नहीं हुई नेपाल से वार्ता तो डूब जाएगा बिहार का बड़ा हिस्सा

Janjwar Desk
22 Jun 2020 10:08 AM GMT
बिहार के मंत्री ने मोदी सरकार को चेताया, नहीं हुई नेपाल से वार्ता तो डूब जाएगा बिहार का बड़ा हिस्सा
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राज्य के जल संसाधन मंत्री ने कहा है कि केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय को सारी बातों से अवगत कराने के लिए पत्र भेजा जा रहा है...

जनज्वार ब्यूरो पटना। बिहार के मोतिहारी जिले की जमीन पर दावा ठोकने और बांध का काम रोकने के बाद नेपाल ने भारत विरोधी एक और बड़ी हरकत कर दी है। अब नेपाल ने गंडक बराज के फाटकों की मरम्मती कार्य मे अड़ंगा लगा दिया है, जिससे बिहार के बड़े इलाके में बाढ़ से तबाही मच सकती है। राज्य के जल संसाधन मंत्री संजय झा आगे कहते हैं कि केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय को सारी बातों से अवगत कराने के लिए पत्र भेजा जा रहा है। अगर शीघ्र समाधान न निकला तो बिहार का बड़ा हिस्सा बाढ़ की चपेट में आ जाएगा। इससे पहले नेपाल ने बिहार के मोतिहारी जिले की कुछ जमीन पर भी दावा ठोक दिया था और वहां भी बाढ़ निरोधक कार्यों को रोक दिया था। पिछले दिनों सीतामढ़ी बॉर्डर पर भी नेपाल पुलिस ने ग्रामीणों पर फायरिंग कर दी थी, जिसमें एक ग्रामीण की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे।

चीन से चल रही तनातनी के बीच नेपाल भी लगातार कुछ न कुछ हरकत कर रहा है। हालिया वक्त में नेपाल की ओर से भारत के विरोध में कुछ ऐसे काम किए गए हैं जिससे दोनों देशों के रिश्तों में बड़ी खटास आ गई है। कुछ दिन पहले ही बिहार के सीतामढ़ी बॉर्डर पर नेपाल पुलिस ने स्थानीय ग्रामीणों पर फायरिंग कर दी थी। उत्तराखंड के कुछ क्षेत्रों को नेपाल ने अपने नक्शे में दिखा दिया था,जिसे खारिज करते हुए भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी। इसके बाद बार नेपाल ने बिहार के मोतिहारी जिले की कुछ जमीन पर अपना दावा कर दिया था। जिस कारण वहां चल रहे बांध निर्माण का कार्य रुक गया था। मोतिहारी जिले की सीमा नेपाल से लगती है।

मंत्री संजय झा ने सोमवार 22 जून को एएनआई को बताया है कि गंडक बराज में 36 फाटक हैं, जिनमें से 18 फाटक नेपाल में पड़ते हैं। इस क्षेत्र में जहां बाढ़ निरोधक कार्यों के लिए मैटेरियल रखे गए हैं, वहां नेपाल द्वारा बैरियर लगा दिए गए हैं। ऐसा उनके द्वारा पहले कभी नहीं किया गया था। इसके अलावा चंपारण के लाल बलैया नदी में 'नो मेंस लैंड' पर बाढ़ निरोधात्मक कार्यों की इजाजत नहीं दे रहे। इसके अतिरिक्त भी नेपाल ने कई स्थानों पर कार्यों को रोक दिया है। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ है। हम पहली बार यह स्थिति देख रहे हैं कि बाढ़ निरोधक कार्यों के लिए मजदूरों और सामान को रोक दिया गया हो।

इसके साथ ही 'जनज्वार' की पिछली रिपोर्टों पर भी मुहर लग गई है और अब बिहार सरकार ने भी आधिकारिक रूप से यह बात स्वीकार करते हुए अपने स्तर से गतिरोध दूर करने की कोशिश शुरू कर दी है। जनज्वार अपनी पिछली रिपोर्टों में गंडक बराज की मरम्मती और मोतिहारी जिले के ढाका प्रखंड क्षेत्र में स्थित लाल बलैया नदी पर तटबंध की मरम्मती को नेपाल द्वारा रोके जाने की बात बता चुका है।

लाल बलैया नदी पर बिहार सरकार का पहले का बनाया हुआ तटबंध है। मॉनसून के पहले हर साल इस तटबंध को दुरुस्त किया जाता है और जहां जरूरत होती है,वहां निर्माण व मरम्मती की जाती है। चूंकि बारिश के बाद इस नदी में उफान आ जाता है। इस बार भी तटबंध का मजबूतीकरण किया जा रहा था। मोतिहारी जिला मुख्यालय से लगभग 45 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में नेपाल से लगी अंतरराष्ट्रीय सीमा है। नेपाली अधिकारियों ने इस बार आपत्ति जताते हुए 'नो मेंस लैंड' के इलाके में काम रुकवा दिया है। नेपाल ने इस क्षेत्र पर अपना दावा किया है। इसे लेकर वहां के डीएम एस.कपिल अशोक ने जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया को पत्र लिखकर भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के आधार पर मामला सुलझाने का अनुरोध किया है।

बिहार के कई जिलों की सीमा नेपाल से लगती है। कुछ दिन पूर्व 12 जून को सीतामढ़ी जिला में नेपाल पुलिस ने ग्रामीणों पर फायरिंग कर दी थी। इस फायरिंग में एक युवक की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे। नेपाली पुलिस ने एक ग्रामीण को कब्जे में भी ले लिया था, जिसे दबाव के बाद अगले दिन छोड़ दिया गया था। वापस आने पर उस ग्रामीण ने नेपाल पुलिस पर पिटाई का आरोप भी लगाया था।

हाल ही में नेपाल ने आधारहीन तरीके से उत्तराखंड के लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी क्षेत्रों को अपने नक्शे में दिखा दिया था। बताया जाता है कि इन क्षेत्रों को शामिल करते हुए नेपाल ने नया नक्शा जारी कर दिया था, जिस पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई थी और नेपाल के दावे को आधारहीन बताया था। भारत कई मौकों पर इन सब बातों को लेकर कड़ी आपत्ति जता चुका है।

नेपाल ने भारत से बेटी-रोटी के रिश्ते में भी पलीता लगाने की शुरुआत कर दी है। नेपाल ने एक ऐसा कानून भी बनाने की पहल की है,जिससे अगर किसी भारतीय लड़की की शादी नेपाल के लड़के के साथ होती है तो 7 वर्षों तक मताधिकार सहित कोई भी नागरिक अधिकार उस लड़की को नहीं मिलेगा। जबकि भारत और नेपाल के हजारों लड़के-लड़कियों की एक-दूसरे के साथ शादियां होतीं रहीं हैं।

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