Begin typing your search above and press return to search.
बिहार

लगातार बारिश व नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण उत्तर बिहार में कई नदियां लाल निशान के पार

Janjwar Desk
1 July 2020 11:54 AM IST
लगातार बारिश व नेपाल से पानी छोड़े जाने के कारण उत्तर बिहार में कई नदियां लाल निशान के पार
x
कोशी, बागमती और महानंदा नदियां कई स्थानों पर खतरे का निशान पार कर गईं हैं। कटिहार में एनएच के डायवर्सन पर पानी चढ़ गया है।

जनज्वार ब्यूरो, पटना। लगातार बारिश और नेपाल द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण उत्तर बिहार में कई नदियां खतरे का लाल निशान पार कर गईं हैं। कोशी, महानन्दा, बागमती नदियां कई स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं। कई निचले इलाकों में पानी घुस गया है तो कई जगह आवागमन के लिए चचरी पुल ही लोगों का सहारा रह गया है। शासन-प्रशासन के स्तर पर तमाम कोशिशें की जा रहीं हैं। राहत की बात है कि गंगा और सोन अभी खतरे के निशान से काफी नीचे हैं।

बिहार और बाढ़ का पुराना नाता है। लगभग हर साल बरसात में लोग बाढ़ का दंश झेलते हैं। काफी जान-माल का नुकसान होता है। प्रभावित इलाकों के लोग कहते हैं कि वे इसके आदी हो गए हैं। इस बार भी लोग ऊंचे शरणस्थली की खोज कर रहे हैं। बाढ़ की स्थिति में अनाज और पशुचारा की व्यवस्था कर रहे हैं। हालांकि अक्सर यह व्यवस्था धरी रह जाती है, क्योंकि पानी अचानक घुसता है और लोग घिर जाते हैं।


कटिहार जिला में महानन्दा नदी का जलस्तर बढ़ रहा है। प्राणपुर, बलरामपुर, कदवा और आजमनगर प्रखंडों के कई गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। शिवगंज डायवर्सन पर भी पानी चढ़ गया था, हालांकि अब यह धीरे-धीरे उतर रहा है। डायवर्सन पर आवाजाही बंद है। इस कारण कई गांवों का प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो गया है। प्राणपुर प्रखंड का गजहर पंचायत बाढ़ से घिर चुका है। बलरामपुर-टेलता पथ का डायवर्सन ध्वस्त हो गया है। आजमनगर प्रखंड का बैरिया गांव बाढ़ से घिर गया है। आजमनगर तटबंध पर दबाव बना हुआ है।

सोनौली-पूर्णिया मुख्य सड़क पर वाहनों का आवागमन बंद हो गया है। यहां काली मंदिर के पास डायवर्सन के ऊपर से पानी बह रहा है। कदवा के दस से ज्यादा गांव बाढ़ से घिरे हुए हैं। लोग पशु और अनाज के साथ ऊंचे स्थानों पर शरण की खोज कर रहे हैं। आजमनगर, कुरसेल, झौंआ में महानन्दा खतरा के निशान से ऊपर आ गई है। हालांकि पानी घट-बढ़ रहा है।

नेपाल में लगातार बारिश और उसके द्वारा पानी छोड़े जाने के कारण गोपालगंज और सारण जिला में गंडक नदी का जलस्तर भी बढ़ रहा है। हालांकि दोनों जिलों में गंडक अभी खतरे के निशान से नीचे है। गोपालगंज के कुछ निचले गांवों में पानी घुसा हुआ है। निचले इलाके के लोगों को सतर्क कर दिया गया है। नेपाल द्वारा सोमवार को भी 99000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इससे पहले शनिवार को भी 97000 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था। इसके कारण गंडक के जलस्तर में लगभग 15 सेंटीमीटर की वृद्धि हो गई है। गोपालगंज में अधिकारी लगातार गंडक के जलस्तर और तटबंधों का जायजा ले रहे हैं।


सारण जिला में गंडक अभी खतरा के निशान से नीचे है। पानापुर में कटाव की बात सामने आई थी। अधिकारियों ने निरीक्षण कर आवश्यक कार्य का आदेश दिया है। मकेर में भी गंडक अभी खतरा के निशान से नीचे है। डोरीगंज में गंगा भी अभी खतरा के निशान से नीचे है। मांझी और रिविलगंज में घाघरा नदी भी अभी कंट्रोल में है। सोनपुर में गंडक नदी में कटाव हो रहा है। यहां कटावरोधी कार्य कराया जा रहा है।

मिथिलांचल में मधुबनी के झंझारपुर में कमला बालान नदी खतरे के निशान से ऊपर आ गई है। अधवारा समूह की कुछ सहायक नदियों में भी पानी बढ़ रहा है। बेनीबाद में बागमती खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। सीतामढ़ी और जयनगर में कमला का पानी बढ़ रहा है। कुछ निचले इलाकों के खेतों में पानी फैल गया है।

पश्चिमी और पूर्वी चंपारण में गंडक और बूढ़ी गंडक नदियों में पानी बढ़ रहा है। मंगलवार को भी नेपाल द्वारा 103000 क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया है। इस कारण गंडक के साथ सिकरहाना और पन्डई नदियों के जलस्तर में भी वृद्धि हो रही है। पूर्वी चंपारण में गंडक और बूढ़ी गंडक दोनों खतरे के निशान से नीचे हैं।

Next Story

विविध