Bilaspur News : बंधुआ मजदूरी : लठैतों और बंदूक के दम पर मजदूरों को बंधक बनाकर लिया जा रहा था काम, फिर ऐसे छुड़ाए गए
बंधुआ मजदूरी : लठैतों और बंदूक के दम पर मजदूरों को बंधक बनाकर लिया जा रहा था काम
Bilaspur News : छत्तीसगढ़ के बिलासपुर (Bilaspur) स्थित भकचौडा, पचपेड़ी व मस्तूरी, के प्रवासी मजदूरों के साथ वहीं के लेबर दलाल द्वारा टप्पेबाजी करने का मामला सामने आया है। सामने यह भी आया है कि लेबर दलाल ने जिन मजदूरों को काम के लिए बुलाया था, उन मजदूरों ने काम करने मना कर दिया बावजूद इसके उन्हें बंधक (Hostage) बनाकर जबरन काम लिया गया।
जानकारी के मुताबिक मजदूरों (Labours) की दलाली का काम करने वाला रजवा, निवासी गांव बुंदेला, बिलासपुर का रहने वाला है। रजवा ने एक स्थानीय व्यक्ति श्याम लाल के साथ 29 दिसम्बर 2021 को प्रतापगढ़, थाना रानीगंज स्थित दादूपुर गांव के राज ईंट मार्का के भट्टा मालिक रमेश के यहां लगभग 11-12 मजदूरों को छोड़ने गया था। इन लोगों ने मजदूरों को इस भट्ठा मालिक के यहां काम का भरोसा देकर ले गया था।
इसके बाद भट्ठे में पहुंचे मजदूरों ने जमीन देखकर वहां काम करने से इनकार कर दिया। मजदूरों के मुताबिक वहां की जमीन पथरीली थी जिसके चलते ईंट नहीं पाथीं जा सकती थीं। मजदूरों का कहना है कि उन्होंने यह बात भट्ठा मालिक रमेश राज मार्का को बताई थी। जिसके बाद 30 दिसंबर को पहुंचे मजदूरों को भट्ठे पर ही बंधक बना लिया गया। बताया गया कि मजदूरों को भट्ठे पर पहुंचाने के बाद दलाल रजवा का साथी श्याम लाल भी फरार हो गया।
मजदूरों ने 'जनज्वार' को बताया कि, जब भट्टा मालिक द्वारा ईंट बनाने के लिए मिट्टी गुणवत्ता दिखाई गई तो मजदूरों ने स्प्ष्ट रूप से कह दिया कि इस ईंट बनाने वाली मिट्टी की जमीन पथरीली और कंकड़ वाली है, यहां इस मिट्टी से ईंट बनाया जाना मुश्किल होगा। समय और श्रम अधिक लगेगा, इसलिए हम लोग यहाँ काम नहीं कर पाएंगे। मजदूरों ने उनसे कहा कि हमें कहीं और काम पर लगाया जाए क्योंकि यहां काम करके हम न के बराबर ईंट का निर्माण कर पाएंगे और चूंकि मजदूरों को ईंट की संख्या के आधार पर ही पैसा दिया जायेगा।
मजदूरों की बात सुनकर भट्टा मालिक गुस्से से लाल- पीले हो गए। उन्होंने मजदूरों को गालियां देते हुये कहा कि 'हमनें दलाल रजवा को पैसा दे दिया है, तुम लोगों को कोई पैसा भी नहीं दूंगा और जब तक चाहूंगा यहीं काम करवाऊंगा। अब तुम लोगों यही काम करना होगा।' जब मजदूरों ने कहा हमें कोई पैसा नही मिला है, हम यहां काम नहीं करेंगे' जिसपर भट्टा मालिक ने कहा, 'तुम कहीं नहीं जा सकते हो।
इसके बाद एकजुट मजदूरों ने भट्ठा मालिक से कहा कि हम अपने ऊपर हो रहे जुल्म-ज्यादती की शिकायत उच्च अधिकारियों से करेंगे, तब भट्टा मालिक ने मजदूरों को कहा कि 'सब जगह हमारे लोग हैं। तुम कहीं शिकायत नही कर पाओगें। अब तुम लोग यहीं रहोगे और यहीं काम करोगे। इसके बाद सभी मजदूरों को बंधुआ मजदूर बनाकर जबरन काम करवाया जाने लगा।
विष्णु प्रसाद पुत्र गोपाल (60 वर्ष), राम कैलाश कोसले पुत्र विष्णु प्रसाद (28 वर्ष), राम देव पुत्र विष्णु प्रसाद (26 वर्ष), रानी कोसले पुत्री विष्णु प्रसाद (20 वर्ष), भानुराम पुत्र पकला (30 वर्ष), लूदरी बाई पत्नी भानुराम (27 वर्ष), सत्य नारायण पुत्र मुकुंद (27 वर्ष), गनेशिया बाई पत्नी सत्यनारायण (24 वर्ष), पप्पू पुत्र दशरथ (25 वर्ष), कविता पत्नी (22 वर्ष) को यह कहकर भेजवाया दिया था कि ईंट भट्टे पर ईंट बनाने का काम करना होगा, मजदूर 30 दिसम्बर 2021 को ईंट भट्टे पर पहुंच गए थे, मजदूरों को ईंट भट्टे पर पहुंचाकर श्याम लाल फरार हो गया।
इस मामले में एक्टू के राष्ट्रीय सचिव डॉ. कमल उसरी ने 'जनज्वार' से बात करते हुए बताया कि, चूंकि भट्टा मालिक दबंग किस्म का व्यक्ति बताया गया। ईंट भट्ठे पर उसके रखें हुए लठैतों के डर भय के माहौल में मजदूर काम करने को मजबूर हुए। फिर एक दिन किसी तरह एक मजदूर ने अपने पैतृक गांव के लोगों से टेलीफोन के माध्यम से सम्पर्क कर अपनी दुःख तकलीफ साझा की।
उसके बाद पीड़ित परिवार के एक रिश्तेदार छत्तीसगढ़, जिला- बिलासपुर के स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता लखन सुबोध और छत्तीसगढ़ ऐक्टू राज्य सचिव -बृजेन्द्र तिवारी से सम्पर्क किया गया, फिर उपरोक्त दोनों ने उत्तर प्रदेश, इलाहाबाद में ऐक्टू राष्ट्रीय सचिव डॉ. कमल उसरी से सम्पर्क किया, उसके बाद डॉ. कमल उसरी द्वारा की गई पहलकदमी और गोपनीय तरीके से मजदूरों की वास्तविक स्थिति की जानकारी की गई।
जिसके बाद शासन-प्रशासन पर लोकतांत्रिक तरीके से अंतरराज्यीय प्रवासी कर्मकार अधिनियम 1979 एवं अन्य श्रमिक कानूनों का हवाला देते हुए दबाब बनाये रखते हुए यह ध्यान रखना कि दबंग भट्टा मालिक मजदूरों को और अधिक नुकसान न पहुंचा पाए, अंततः मजदूरों को उत्तर प्रदेश प्रशासन द्वारा 22 मार्च 2022 को ईंट भट्टा मालिक से मुक्त कराकर प्रतापगढ़ से एक वाहन में बिठाकर छत्तीसगढ़ बिलासपुर मजदूरों को उनके निजी आवास पर 23 मार्च 2022 को देर शाम तक पहुचा दिया गया है।