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राष्ट्रीय

भाजपा को अपना चुनाव चिन्ह कमल की जगह बुलडोजर रख लेना चाहिए, जनविश्वास महारैली में गरजे दीपांकर

Janjwar Desk
4 March 2024 4:09 PM IST
भाजपा को अपना चुनाव चिन्ह कमल की जगह बुलडोजर रख लेना चाहिए, जनविश्वास महारैली में गरजे दीपांकर
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आरक्षण व शिक्षा का विस्तार करने वाले कर्पूरी जी के सम्मान की आड़ में विधायकों को तोड़ा -खरीदा जा रहा है और जिन विधायकों के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता, उन्हें मनोज मंजिल की तरह झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल में डाला जा रहा है....

विशद कुमार की रिपोर्ट

पटना। बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान में पूर्व आयोजित कार्यक्रम जनविश्वास महारैली को संबोधित करते हुए भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि 50 साल पहले इसी गांधी मैदान से ‘भावी इतिहास हमारा है’ के नारे को हमने बुलंद किया था। आज एक बार हम फिर कहने आए हैं - "संविधान-लोकतंत्र व देश बचाने का नारा है, भावी इतिहास हमारा है" हम पटना-दिल्ली की सरकारों से कहने आए हैं - "सिंहासन खाली करो, जनता आने लगी है" "बिहार की जनता लड़ेगी, तानाशाही हारेगी"

कार्यक्रम की शुरुआत दीपांकर ने गांधी मैदान में उमड़े विशाल जनसमूह को सबसे पहले "जय भीम-लाल सलाम" से संबोधित किया। जनसमूह को संबोधित करते हुए दीपांकर ने आगे कहा कि "पिछले 10 साल से भाजपा पूरे हिदुस्तान को तबाह व बर्बाद कर रही है। उसके नाम में तो "जनता" है, लेकिन इसे जनता से कोई लेना-देना नहीं है। सत्ता का लालच और अहंकार उसके रग-रग में भरा है और काम है बुलडोजर से लोकतंत्र, विपक्ष, जनता और उनके सारे हक-अधिकार व अर्थव्यवस्था को रौंद देना। हमारा तो कहना है कि भाजपा को अपना चुनाव चिन्ह कमल की जगह बुलडोजर रख लेना चाहिए। हम आज इस मैदान से ऐलान करने आए हैं कि इस देश में बुलडोजर राज नहीं अब नहीं चलेगा।"

उन्होंने आगे कहा, "दिल्ली की सीमा पर एमएसपी की मांग को लेकर किसान आना चाहते हैं, लेकिन अंबानी-अडानी के आगे कालीन बनकर बिछाने वाली सरकार किसानों के लिए बैरिकेड लगा रही है और गोली चलाकर किसानों को शहीद कर रही है। एक तरफ विश्वगुरू बनने की बात हो रही है, लेकिन गाजा के बच्चों के लिए एक शब्द नहीं निकला। देश के पढ़े-लिखे नौजवानों को जिन्हें देश में ही नौकरी मिलनी चाहिए, उनकी जिंदगी जोखिम में डालकर सरकार उन्हें इजरायल भेज रही है।"

दीपांकर ने कहा कि "8 मार्च का दिन आने वाला है। महिला सशक्तीकरण की बड़ी-बड़ी बातें होंगी, लेकिन हमने कभी नहीं देखा कि कोई पार्टी बलात्कारियों को संरक्षण व सम्मानित करने का काम करे। बिलिकस बानो हो या मणिपुर की महिलाओं का सवाल, भाजपा ने बलात्कारियों को संरक्षण देने का ही काम किया है। 2024 का चुनाव आर-पार की लड़ाई है। यदि बिहार में 40 सीटों पर हम झंडा गाड़ दें तो निश्चित रूप से दिल्ली से मोदी सरकार का सफाया तय है।"

उन्होंने कहा, "बिहार में एक एजेंडा बन रहा था। 2020 के चुनाव में जब हमने कहा था कि बिहार के युवाओं को पक्की नौकरी मिलेगी तो उस समय नीतीश जी मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन हम लोगों को जब मौका मिला, बिहार में जाति गणना, सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण, आरक्षण का विस्तार और पक्की नौकरी दी गई। नीतीश जी 20 साल से विकास-विकास की रट लगा रखे हैं, लेकिन जाति जनगणना ने बतलाया कि किस कदर चिराग तले गहरा अंधेरा है। दो तिहाई लोग भयानक गरीबी में जी रहे हैं। नीतीश जी ने कहा था कि 1 लाख गरीब परिवारों को प्रत्येक साल 2 लाख रु. देंगे। अब वे उधर चले गए हैं, लेकिन एक-एक पैसा का हिसाब लेना है। आय प्रमाणपत्र मांगकर पैसा नहीं देने की साजिश की जा रही है, इसे हमें रोकना होगा।"

दीपांकर ने आगे कहा कि "बिहार बदलने लगा था, लाल व हरे झंडे की एकता व दावेदारी से ही देश बदलेगा और लोकतंत्र व संविधान सुरिक्षत रहेगा। इसी रास्ते को रोकने के लिए नीतीश जी को उधर ले जाया गया। ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स आदि का राजनीतिक इस्तेमाल तो हो ही रहा था, इस बार भारत रत्न सम्मान का भी इस्तेमाल राजनीतिक स्वार्थ साधने में किया गया। एमएसपी की लड़ाई लड़ने वाले स्वामीनाथन जी को भारत रत्न दे दिया गया, लेकिन किसान आंदोलन का दमन हो रहा है। आरक्षण व शिक्षा का विस्तार करने वाले कर्पूरी जी के सम्मान की आड़ में विधायकों को तोड़ा -खरीदा जा रहा है और जिन विधायकों के साथ ऐसा नहीं किया जा सकता, उन्हें मनोज मंजिल की तरह झूठे मुकदमे में फंसाकर जेल में डाला जा रहा है।"

उन्होंने कहा कि "इसलिए पूरा संघर्ष चाहिए। हमें विश्वास है कि यह जो आज का नजारा है, पूरे देश की तस्वीर बदलेगी। बिहार से बात चली थी, वह दूर तलक जाएगी। किसी एक नेता के इधर-उधर चले जाने या सरकार गिरा देने से काई फर्क नहीं पड़ता। बिहार की जनता लड़ेगी -तानाशाही हारेगी।"

कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित कर दीपांकर ने कहा कि "तमाम कठिनाइयों और बारिश झेलते हुए आए लोगों सहित का. जगदीश मास्टर, रामनरेश राम, बूटन मुसहर के लाल झंडे और कर्पूरी जी के हरे झंडे की यह एकता निश्चित रूप से बिहार व देश की तस्वीर बदल देगी।"

गौरतलब है कि 2 मार्च को महागठबंधन के आह्वान पर 3 मार्च की उक्त जनविश्वास महारैली में भाग लेने राज्य के कई जिलों से लोग हाथों में झंडा लिए और भाजपा "हटाओ-देश बचाओ" के नारे की तख्तियां लिए हुए हजारों की संख्या में सुबह ही पटना के गांधी मैदान पहुंच चुके थे, जिसमें चंपारण इलाके के जत्थे में महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी थी। मिथिलांचल व सीमांचल के विभिन्न इलाकों से भी जत्था पटना की ओर रवाना हो चुका था।

दरभंगा के लहेरिया स्टेशन से दानापुर इंटरसिटी से सैकड़ों की तादाद में लोग पटना पहुंचे, वहीं बिरौल प्रखंड से पैसेंजर ट्रेन के जरिए जत्था पटना पहुंच चुकी थी। मधुबनी से जयनगर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस से हजार से अधिक भाकपा-माले कार्यकर्ता पटना आ चुके थे। राज्य के आरा, जहानाबाद, औरंगाबाद, गया, नालंदा, नवादा, सिवान आदि जगहों से शाम के समय प्रचार जत्था निकला और देर रात तक पटना पहुंचा।

भाकपा-माले ने रैली में आ रही जनता के ठहराव के लिए गांधी मैदान में ही व्यवस्था की थी। इसके लिए टेंट का निर्माण किया गया था। रात में वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। इस बीच भाकपा-माले कार्यकर्ताओं ने गांधी मैदान, रेडिया स्टेशन, वीरचंद पटेल पथ, जीपीओ गोलबंर, स्टेशन गोलबंर सहित शहर के सभी प्रमुख चौराहों को पार्टी झंडे व तख्तियों से पाट दिया था।

वहीं दूसरी तरफ रैली को लेकर पटना शहर में 2 मार्च को भी चौतरफा प्रचार चला और नुक्कड़ सभाओं का आयोजन किया गया था। सांस्कृतिक टीम के साथ-साथ इसमें ऐक्टू नेता रणविजय कुमार, शशि यादव, अनिता सिन्हा सहित कई स्थानीय नेतागण शामिल थे। जन विश्वास महारैली की तैयारी में पूरे पटना शहर में सघन प्रचार अभियान और नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गई थी। प्रचार वाहन से वीरचंद पटेल पथ, हड़ताली मोड़, अनीसाबाद, बेऊर जेल, फुलवारी थाना गोलंबर, खगौल लख, मोती चौक, वापस लख, नहर से सबरीनगर, वापस बेली रोड, आशियाना मोड़, दीघा रोड, कुर्जी मोड़, राजापुल, दुजरा, बांसघाट से जीपीओ गोलंबर, स्टेशन होते कंकड़बाग टेंपू स्टैंड, द्वारका कॉलेज, आर एम एस कॉलोनी, टेंपू स्टैंड, मलाही पकड़ी, 90 फीट, रामकृष्ण नगर, पुराना बस स्टैंड मीठापुर, जक्कनपुर, पुरंदरपर ,चांदपुर बेला, सरिस्ताबाद, कच्ची तालाब, गर्दनीबाग थाना, चितकोहरा अनीसाबाद, दुजरा आदि जगहों पर नुक्कड़ सभाएं आयोजित की गईं थी।

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