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राष्ट्रीय

'काला दिवस': पानीपत में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान मजदूरों ने फूंका पीएम मोदी का पुतला

Janjwar Desk
26 May 2021 10:52 AM GMT
काला दिवस: पानीपत में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान मजदूरों ने फूंका पीएम मोदी का पुतला
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(तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ काला दिवस मनाकर प्रदर्शन कर रहे किसान)

कौमी एकता मंच से संजय और जनवादी महिला समिति जिला सचिव पायल ने कहा आज देश में चारों तरफ मानवता की चीख-पुकार है, पर कोई सुनने वाला नहीं। लोग गरिमा के साथ न तो जी पा रहे और न ही उन्हें गरिमा के साथ मौत नसीब हो रही है...

जनज्वार डेस्क। संयुक्त किसान मोर्चा तालमेल कमेटी पानीपत द्वारा टोल नाका धरना स्थल पर काला दिवस मनाया गया और प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन किया गया। धरना स्थल पर आयोजित प्रतिरोध सभा की अध्यक्षता जयकरण कादियान, डॉ. सुरेन्द्र मलिक व कॉमरेड सेवा सिंह ने संयुक्त रूप की।

काला दिवस के अवसर पर आयोजित प्रतिरोध सभा का संचालन अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन जिला अध्यक्ष राजेंद्र ने किया। सबसे पहले किसान आन्दोलन के शहीदों व कोरोना वायरस महामारी के चलते सरकार की बदइंतजामी से मारे गए आम नागरिक, डॉक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

किसान मजदूरों की सभा को संबोधित करते हुए किसान सभा जिला संयोजक डॉ सुरेन्द्र व भारतीय किसान यूनियन जिला अध्यक्ष कुलदीप बलाना ने काला दिवस ने कहा कि 26 मई 2014 को नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी। 26 नवंबर 2020 को किसानों ने दिल्ली बॉर्डर पर पड़ाव डाले थे। उसके 6 महीने होने जा रहे हैं। 26 नवंबर को ही ट्रेड यूनियनों ने भी राष्ट्रव्यापी हड़ताल की थी।

कौमी एकता मंच से संजय और जनवादी महिला समिति जिला सचिव पायल ने कहा आज देश में चारों तरफ मानवता की चीख-पुकार है। पर कोई सुनने वाला नहीं। लोग गरिमा के साथ न तो जी पा रहे और न ही उन्हें गरिमा के साथ मौत नसीब हो रही है। लोग अपने प्रियजनों को खो रहे हैं। न दवाई, न टीका, न बेड, न आक्सीजन। सब चीजों की कालाबाजारी। नकली मेडिकल उपकरण। इंसानों की जिंदगी से बेरहमी के साथ ऐसा खिलवाड़ हो रहा है जिसकी कभी कल्पना तक नहीं की जा सकती थी।

उन्होंने आगे कहा कि यह भयंकर स्थिति अचानक नहीं बनी है और यह कोई कुदरत की वजह से भी नहीं हो रहा। सच्चाई यह है कि जब सबकुछ मोदी सरकार कॉरपोरेट के लिए करती आई है तो आम आदमी की जिंदगी का महत्व क्या है? जो सरकार कोरोना जैसी महामारी की आपदा को भी अवसर के तौर पर भुनाने से गुरेज न करे, उसके शासन से और क्या आशा की जाए?


'करोना काल में कृषि के तीन काले कानून थोप कर देश की कृषि और किसानों की रोजी रोटी की तबाही का रास्ता खोल दिया। कोरोना की विपदा को भुनाते हुए श्रमिकों के अधिकारों को खत्म करते हुए लेबर कोड बना दिए गए। कारपोरेट को लाभ पहुंचाने के लिए यह दोनों ही कदम पूरी तरह तानाशाही के तरीके से थोपे गए।'

अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के जिला उपाध्यक्ष एडवोकेट दयानंद पंवार और हरियाणा किसान सभा जिला अध्यक्ष मामचंद सैनी ने कहा कि लाखों किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी के लिए राजधानी दिल्ली के बॉर्डरों पर बैठे हैं। सर्दी-गर्मी-बारिश-बीमारी झेलते हुए 470 से अधिक किसान इस आंदोलन के दौरान अपनी जान दे चुके हैं।

'इस दौरान संविधान के अंतर्गत जनतांत्रिक अधिकारों, धर्मनिरपेक्षता, केंद्र व राज्यों के रिश्तों की जो मूल धारणाएं हैं उनकी धज्जियां उड़ाई गई हैं। पुलिस बल का दुरूपयोग शांतिपूर्ण किसानों को पीटने और झूठे केस बनाने को किया जा रहा है। इलेक्टोरल बांड की अनैतिक योजना बनाकर भाजपा ने कॉरपोरेट घरानों से बेइंतहा धन बटोर लिया है। इसी के बल पर इन्होंने मध्य प्रदेश व कर्नाटक जैसे प्रांतों में चुनाव हारने के बावजूद विधायकों को खरीद कर भाजपा की सरकारें बना ली हैं।'

उन्होंने आगे कहा कि तानाशाही थोपने का आलम यह है कि कितने ही जाने-माने सामाजिक व मानव अधिकार कार्यकर्ताओं को सालों से जेलों में डाला गया है। पत्रकारों तक को दंडित किया जा रहा है। लोकतंत्र के लिए ये 7 साल निश्चित रूप से इतिहास के एक काले अध्याय के रूप में दर्ज होंगे। आज भाजपा-आरएसएस का असली चेहरा देश भर में बेनकाब हो चुका है। इसलिए सभी तबकों को एकजुट होकर मोदी सरकार के खिलाफ संघर्ष में उतरना होगा।

पट्टीकलियाणा गांव में 26 मई को काला दिवस के तौर पर मनाते हुए मस्जिद वाली चौपाल में प्रधानमंत्री मोदी का पुतला दहन किया। ऑल इंडिया लायर्स यूनियन जिला पानीपत के सदस्य एडवोकेट पंकज छौक्कर ने बताया कि आज बुद्ध पूर्णिमा भी उल्लेखनीय है।

'26 मई को ही बुद्ध पूर्णिमा का पावन अवसर भी है। महात्मा बुद्ध का न्याय, शांति, सद्भाव और समानता का संदेश भी वर्तमान संघर्ष में हम सब के लिए प्रेरणा का संदेश लेकर आया है। आइए हम सब मिलकर वर्तमान कुशासन के खिलाफ देशभर में लोकतंत्र और इंसाफ की आवाज को बुलंद करें और अपनी एकता को बढ़ाते हुए न्यायिक संघर्ष को आगे बढ़ाएं।'

काला दिवस पर आयोजित प्रतिरोध सभा को भारतीय किसान यूनियन जिला उपाध्यक्ष बिंटू मलिक, खेत मजदूर यूनियन जिला अध्यक्ष राजेंद्र, दलित अधिकार मंच पानीपत जिला संयोजक नम्बदार दयानंद पंवार, सर्व कर्मचारी संघ जिला अध्यक्ष कश्मीर सिंह, रिटायर्ड कर्मचारी संघ जिला प्रधान बलवान सिंह, सीआईटीयू जिला सह-संयोजक जयभगवान, नवीन सपड़ा, एसकेएस नेता राजपाल, इनैलो किसान मोर्चा से कुलदीप राठी, एटक नेता एडवोकेट पवन सैनी, इनैलो व्यापार प्रकोष्ठ जिलाध्यक्ष रणबीर देशवाल, पूर्व सरपंच कृष्ण दिवाना, किसान सैल आप से सुखबीर मलिक ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर रामकिशन आर्य, बिजेंद्र, तेजपाल, पूर्व सरपंच राजकुमार, रामकुमार मलिक, मास्टर धर्म सिंह जागलान, सुमेर सिंह पूर्व सरपंच, कृष्ण चमराड़ा, अग्निवेश, करमबीर काबड़ी, ऋषि पाल, रामकुमार यादव, सतबीर कादियान, सुरेश संधू आदि मौजूद रहे।

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