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Chhattisgarh High Court की तीखी टिप्पणी : जींस-टीशर्ट पहनने और नौकरी के लिए बाहर जाने से नहीं तय होता महिला का चरित्र

Janjwar Desk
8 April 2022 8:15 AM GMT
Chhattisgarh High Court की तीखी टिप्पणी : जींस-टीशर्ट पहनने और नौकरी के लिए बाहर जाने से नहीं तय होता महिला का चरित्र
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Chhattisgarh High Court की तीखी टिप्पणी : जींस-टीशर्ट पहनने और नौकरी के लिए बाहर जाने से नहीं तय होता महिला का चरित्र

Chhattisgarh High Court : कोर्ट ने कहा कि यदि कोई महिला अपने पति की इच्छा के अनुसार नहीं ढलती है तो उसे बच्चे की कस्टडी से वंचित नहीं रखा जा सकता है....

Chhattisgarh High Court : बच्चे की कस्टडी को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) के एक अहम फैसले की काफी चर्चा की जा रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कोई महिला अपने पति की इच्छा के अनुसार नहीं ढलती है तो उसे बच्चे की कस्टडी से वंचित नहीं रखा जा सकता है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में ये फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस. अग्रवाल शामिल थे। बेंच ने कहा, "जींस-टीशर्ट पहनने, पुरुष सहयोगियों के साथ नौकरी के सिलसिले में बाहर जाने से किसी भी महिला का चरित्र तय नहीं किया जा सकता है।"

दरअसल ये पूरा मामला महासमुंद में रहने वाले एक युगल सुधाकर और संगीता (बदले हुए नाम) का था। इनकी शादी साल 2007 में हुई थी। शादी के दो साल बाद दोनों ने आपसी सहमति से तलाक ले लिया और दोनों में सहमति बनी कि बेटा मां के पास रहेगा। इसके बाद मां संगीता ने महासमुंद में ही एक निजी कंपनी में ऑफिस असिस्टेंट की नौकरी कर ली।

इसके पांच साल बाद पिता सुधाकर ने फैमिली कोर्ट में अर्जी डाल दी और बेटे की कस्टडी की मांग की। सुधाकर की तरफ से ये तर्क दिया गया कि संगीता पुरुष सहयोगियों के साथ बाहर जाती है। जींस-टी शर्ट पहनती है। ऐसे में उसके साथ रहने से बच्चे पर मानसिक रूप से गलत असर पड़ेगा। जिस पर फैसला देते हुए हाईकोर्ट ने पूछा कि इससे कोई महिला के चरित्र का अंदाजा कैसे लगा सकता है? और पिता की अर्जी खारिज कर दी।

कोर्ट ने कहा कि इस तरह की सोच से महिलाओं की आजादी और अधिकार को लेकर चल रही लड़ाई लंबी हो जाएगी। इसी तरह शुतुरमुर्ग की तरह विचारधारा रखने वाले समाज के कुछ लोगों के प्रमाण पत्र से महिला का चरित्र तय नहीं होता।'

मामले की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के आदेश को निरस्त कर दिया और बच्चे की कस्टडी मां को सौंपने का बड़ा आदेश दिया। कोर्ट ने पिता को बच्चे से मिलने की छूट भी दी है। फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि, "बच्चे को माता-पिता से समान रूप से प्यार और स्नेह पाने का अधिकार है। बच्चे को एक से दूसरे घर जाने में किसी तरह की परेशानी नहीं होनी चाहिए।"

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पिता को हर शनिवार-रविवार के दिन बच्चे से एक घंटे और और हफ्ते के दूसरे दिनों में 5-10 मिनट बात करने की अनुमति दी है। इसके अलावा कोर्ट की तरफ से यह भी कहा गया कि दो सप्ताह से अधिक अवधि के अवकाश रहने पर पिता बच्चे को 7 दिनों तक अपने साथ भी रख सकेगा।

बताया गया कि शनिवार या रविवार के दिन मां बच्चे को पिता के साथ बाहर जाने देगी, जिससे बच्चा पिता के साथ शाम गुजार सके और त्योहारों के दिन मां के घर पर पिता बेटे के पास मिलने आ सकता है।

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