विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर AIIMS के नर्सिंग संघ की 5000 नर्सें, स्वास्थ्य सेवाएं बाधित
नई दिल्ली। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) का नर्स संघ सोमवार 14 दिसंबर को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चला गया। वहीं दूसरी ओर एम्स के निदेश रणदीप गुलेरिया ने उन्हें काम पर वापस लौटने और काम पर लौटने की अपील की है। उनकी मांगों में छठे केंद्रीय वेतन आयोग की अनुशंसा को लागू करना और अनुबंध पर भर्ती खत्म करना भी शामिल है।
आंदोलन को समर्थन देते हुए करीब 5000 नर्सें आज हड़ताल पर चले गए जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। एम्स में भर्ती मरीजों के रिश्तेदारों का कहना है कि एम्स नर्सिंग यूनियन की अनिश्चितकालीन हड़ताल के कारण उन्हें परेशानी हो रही है। प्रिया कहती हैं, "मेरे पिता इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हैं और उनकी हालत के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है और अस्पताल के अंदर क्या चल रहा है। हमें 24 घंटे में एक कॉल आती है।"
Delhi: Relatives of patients admitted in AIIMS say they're facing problems due to indefinite strike by AIIMS Nursing Union.
— ANI (@ANI) December 15, 2020
"My father is admitted in Emergency ward & we've no clue about his condition & what is going inside the hospital. We get one call in 24 hours," says Priya. pic.twitter.com/twNliD4kxb
वहीं एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया ने एक वीडियो संदेश में महामारी के समय में हड़ताल को 'अनुपयुक्त एवं दुर्भाग्यपूर्ण' करार दिया। उन्होंने एक संदेश में कहा, 'मैं सभी नर्सों और नर्सिंग अधिकारियों से अपील करता हूं कि वे हड़ताल पर नहीं जाएं और जहां तक नर्सों की बात है उनके संदर्भ में हमारी गरिमा को शर्मिंदा नहीं करें। इसलिए मैं आप सभी से अपील करता हूं कि वापस आएं और काम करें और इस महामारी से निपटने में हमारा सहयोग करें।'
हड़ताल पहले 16 दिसंबर से शुरू होने वाली थी। गुलेरिया ने कहा कि नर्स संघ ने 23 मांगें रखी थीं और एम्स प्रशासन तथा सरकार ने उनमें से लगभग सभी मांगें मान ली हैं। उन्होंने कहा कि एक मांग मूल रूप से छठे वेतन आयोग के मुताबिक शुरुआती वेतन तय करने की विसंगति से जुड़ी हुई है।
एम्स निदेशक ने कहा कि नर्स संघ के साथ कई बैठकें न केवल एम्स प्रशासन की हुई हैं बल्कि स्वास्थ्य मंत्रालय के आर्थिक सलाहकार, व्यय विभाग के प्रतिनिधियों के साथ भी हुई हैं और जिस व्यक्ति ने छठे सीपीसी का मसौदा तैयार किया वह भी बैठक में मौजूद था। उन्हें बताया गया है कि उसकी व्याख्या सही नहीं है।
छठे सीपीसी की मांग के अलावा नर्स भर्ती में लैंगिक आरक्षण को खत्म करने और अनुबंध पर नियुक्तियां बंद करने आदि की भी मांग कर रहे हैं। निदेशक को लिखे पत्र में संघ ने कहा कि एम्स प्रशासन ने ठोस उपाय नहीं किए और छठे केंद्रीय वेतन आयोग से जुड़ी उनकी मांगों को खारिज कर दिया गया। नर्सों के इस आंदोलन को दिल्ली राज्य अस्पताल नर्स संघ ने भी समर्थन दिया है।
Support to AIIMS NURSES UNION INDEFINITE STRIKE @nsgunionaiims pic.twitter.com/nJU0J1lf4f
— LNH-NURSESUNION-DELHI (@DelhiLnh) December 15, 2020