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दिल्ली

ट्रैक्टर मार्च में हुई हिंसा में 8 बसें और 17 प्राइवेट गाड़ियों में तोड़फोड़, 4 मुकदमे हुए दर्ज

Janjwar Desk
26 Jan 2021 11:02 PM IST
ट्रैक्टर मार्च में हुई हिंसा में 8 बसें और 17 प्राइवेट गाड़ियों में तोड़फोड़, 4 मुकदमे हुए दर्ज
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दिल्ली पुलिस का यह भी आरोप है कि उग्र किसानों से बचने के लिए वे किले की दीवार से सटी बीस फीट गहरी खाई में कूद गए। इसकी वजह से कई पुलिसकर्मियों के हाथ पैर भी टूटे हैं...

जनज्वार। आज 26 जनवरी को कृषि बिलों के खिलाफ पिछले 2 माह से आंदोलनरत किसानों ने पहले से ही ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया हुआ था, जो हुआ भी। मगर इस दौरान कई जगह हिंसक घटनायें हुयीं। दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलनरत किसानों को जब पुलिस ने दिल्ली में प्रवेश करने से रोका तो किसानों ने विरोध किया, जिस पर पुलिस ने आंसूगैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया। गुस्साये किसानों ने भी पुलिस पर पथराव किया।

आंदोलनरत किसानों के साथ गाजीपुर बॉर्डर, मुबरका चौक, अक्षरधाम, आईटीओ, लालकिला, नागलोई समेत दर्जनों स्थानों पर किसानों के साथ पुलिस की झड़प हुयी। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसूगैस के गोले छोड़े। दर्जनों किसानों और र्क पुलिसकर्मियों के इस दौरान घायल होने की खबर है। वहीं आईटीओ पर एक युवा किसान की मौत भी हो गयी। जानकारी के मुताबिक ट्रैक्टर पर नियंत्रण खोने के कारण उसकी मौत हुई, मगर किसानों का आरोप है कि वह पुलिस की गोली का निशाना बना।

अब अलग-अलग जगह हुयी हिंसक घटनाओं के बाद पुलिस ने हिंसा को लेकर चार एफआईआर दर्ज की हैं। पुलिस का कहना है कि इस हिंसा में 81 पुलिसकर्मी घायल हुए और 25 वाहनों में तोड़फोड़ की गई।

पुलिस अधिकारियों का कहना है, पांडव नगर, गाजीपुर और सीमापुरी में एक-एक एफआईआर दर्ज की गई है। गाजीपुर बार्डर से निकले किसान प्रदर्शकारियों ने इन इलाकों में जमकर हिंसा की थी। किसानों ने 88 बैरिकेड्स तोड़े, चार क्रेन, डीटीसी की आठ बस और 17 निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया।

इसके अलावा, लाल किला हिंसा मामले में भी कोतवाली थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। यहां पर किसान आंदोलनकारियों द्वारा दिल्ली पुलिस के वाहन को क्षतिग्रस्त करने का आरोप है। दिल्ली पुलिस का कहना है कि आंदोलनकारी जबरन लाल किला के अंदर घुस गये और प्रवेशद्वार पर लगे स्कैनर और मेटल डिटेक्टर आदि को तोड़ दिया। इस दौरान उन्होंने सामने आने वाली सभी वस्तुओं को नष्ट कर दिया। पुलिस का यह भी आरोप है कि उग्र किसानों से बचने के लिए वे किले की दीवार से सटी बीस फीट गहरी खाई में कूद गए। इसकी वजह से कई पुलिसकर्मियों के हाथ पैर भी टूटे हैं।

कई हिंसक घटनाओं के बाद दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारी किसानों ने ट्रैक्टर परेड के लिए पूर्व निर्धारित शर्तों पर बनी सहमति का पालन नहीं किया है। हिंसा तथा तोड़फोड़ में अनेक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

डीसीपी ईश सिंघल ने मीडिया को बताया, पुलिस ने रैली की शर्तों के अनुपालन के लिए सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शनकारियों ने निर्धारित समय से काफी पहले ही अपना मार्च शुरू कर दिया और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचाया।

बकौल डीसीपी सिंघल दिल्ली पुलिस ने वायदे के अनुरूप सभी शर्तों का पालन किया और अपने सभी प्रयास किए, लेकिन प्रदर्शन में सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान हुआ है। प्रदर्शन के दौरान अनेक पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। लाठी-डंडा, तिरंगा और अपनी यूनियनों के झंडे लिए हजारों किसानों ने ट्रैक्टरों से अवरोधकों को तोड़ दिया। वे पुलिस से भिड़ गए और विभिन्न स्थानों से दिल्ली के भीतर घुस गए। आईटीओ पर लाठी-डंडा लिए सैकड़ों किसान पुलिस का पीछा करते देखे गए और उन्होंने वहां खड़ी बसों को अपने ट्रैक्टरों से टक्कर मारी। एक प्रदर्शनकारी की तब मौत हो गई जब उसका ट्रैक्टर पलट गया।

वहीं आईटीओ पर हुई किसान की मौत पर भी दिल्ली पुलिस ने सफाई दी है कि उसकी मौत पुलिस से झड़प में नहीं हुयी है। दिल्ली पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की फुटेज जारी करते हुए कहा कि तेज रफ्तार ट्रैक्टर बैरिकेड से टकरा गया, फिर ट्रैक्टर पलट गया जिसकी वजह से चालक की मौत हो गई।

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