Tractor Rally : नागलोई में हालात हुए बेकाबू, किसान नेता योगेंद्र यादव ने की हाथ जोड़कर प्रदर्शनकारियों से हिंसा न करने की अपील
जनज्वार। आज 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के अवसर पर नये कृषि बिलों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों ने ट्रैक्टर मार्च किया है, जिसमें कई जगह हिंसा की खबरें सामने आयीं। वहीं अभी थोड़ी देर पहले नागलोई से किसानों और पुलिस के बीच झड़प की खबर आ रही है, जिससे माहौल खराब हो गया है।
वहीं लालकिले में भी पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किये जाने की खबर आयी है, जिसमें कई लोग घायल हुए हैं। उन्हें एम्बुलेंस से ले जाया गया है। वहीं आईटीओ में हुई झड़प के दौरान एक युवा किसान की मौत की खबर आयी है। जानकारी के मुताबिक उत्तराखण्ड के एक 30 वर्षीय युवा किसान की मौत हो गयी है। कहा जा रहा है कि ट्रैक्टर बेकाबू होने के कारण उसकी मौत हुयी है।
नागलोई में पुलिस ने आंदोलनकारी किसानों पर पथराव करने का आरोप लगाया। कहा कि उसी के बाद मजबूरन हमें आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े। आंदोलनकारी किसानों पर पुलिस लाठीचार्ज कर रही है और उन्हें वहां से खदेड़ा जा रहा है।
इस बीच सोशल मीडिया और मीडिया में यह खबर प्रसारित हो रही हैं कि यह आंदोलन किसान नेताओं के हाथ से छिटक रहा है, जिस पर राकेश टिकैत ने कहा कि यह दुष्प्रचार किया जा रहा है।
वहीं किसान नेता योगेंद्र यादव ने ट्वीटर पर एक वीडियो पोस्ट कर अपील की है, सभी साथियों से अपील है कि संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा निर्धारित रूट पर ही परेड करें। उससे अलग होने से आंदोलन को सिर्फ नुकसान ही होगा। शांति ही किसान आन्दोलन की ताकत है। शांति टूटी तो सिर्फ आंदोलन को नुकसान होगा।
सभी साथियों से अपील है कि संयुक्त किसान मोर्चा के द्वारा निर्धारित रूट पर ही परेड करें। उससे अलग होने से आंदोलन को सिर्फ नुकसान ही होगा।
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) January 26, 2021
शांति ही किसान आन्दोलन की ताकत है। शांति टूटी तो सिर्फ आंदोलन को नुकसान होगा।
अपील: pic.twitter.com/oh1z1aa6eU
किसान नेताओं के हाथ से इस आंदोलन के छिटकने पर राकेश टिकैत ने कहा, 'नहीं, यह हमारे हाथ में है। हम जानते हैं कि कौन लोग बाधा पैदा करना चाहते हैं। उनकी पहचान हो गई है। ये लोग राजनीतिक दलों के लोग हैं जो आंदोलन को बदनाम करना चाहते हैं।'
कहा जा रहा है कि आंदोलनकारी किसानों ने नागलोई में कई DTC बसों और वाहनों के साथ तोड़फोड़ की है। किसान नेताओं का कहना है कि किसानों के बीच में घुसे उपद्रवी उपद्रव फैला रहे हैं, किसानों की ऐसी कोई मंशा नहीं है। किसानों की यह मंशा होती तो 2 महीने के दौरान स्थिति कब की बेकाबू हो गयी होती। पुलिस लगातार आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज कर रही है। यहां हिंसा जिस तरह से बढ़ रही है उससे जान माल की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।