सोशल मीडिया पर उठी आदिवासी जज की नियुक्ति की मांग, सुप्रीम कोर्ट में नहीं एक भी ST जज?
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जनज्वार। देश की सर्वोच्च अदालत में जजों की नियुक्ति प्रक्रिया में सवर्ण जजों के नामों की शिफारिश की गई है। सीजेआई जस्टिस एनवी रमना के नेतृत्व में हुई कॉलेजियम बैठक में सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़े नौ जजों के पदों के लिए नामों की शिफारिश भेजी गई है। बताया जा रहा है कि इस सूची में एक भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व अन्य पिछड़ी जाति से एक भी महिला जज को शामिल नहीं किया गया है। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने कुल तीन महिला जजों के नाम भेजे हैं जिनमें से दो ब्राह्मण समाज से हैं। वहीं सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जनजाति के जज की नियुक्ति की मांग एक बार फिर उठी है। ट्विटर पर 'इंडिया नीड्स एसटी जज' ट्रेंड कर रहा है।
वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल ने इसको लेकर कई ट्वीट किए हैं। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, ''दिलीप मंडल भारत के 12 करोड़ आदिवासियों का न्यायपालिका पर भरोसा बनाए रखने के लिए ज़रूरी है कि सुप्रीम कोर्ट में कम से कम एक आदिवासी जज तो ज़रूर ही हो।''
एक दूसरे ट्वीट में उन्होंने लिखा, "उच्च जाति के 5 हिंदू जजों वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को सुप्रीम कोर्ट में जजशिप के लिए सिफारिश करने के लिए एक भी एसटी जज/वकील नहीं मिला। यह सुप्रीम कोर्ट से अनुसूचित जनजातियों का जानबूझकर जाति आधारित बहिष्कार है।"
Supreme Court collegium comprising of 5 upper caste Hindu Judges didn't get a single ST Judge/Lawyer to recommend for Judgeship to the Supreme Court. This is deliberate caste based exclusion of STs from Supreme Court. @nitinmeshram_ #Casteist_Collegium #India_needs_STJudge pic.twitter.com/9r6xCAZa3S
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 21, 2021
दिलीप मंडल ने लिखा, "मेरा भारत के राष्ट्रपति से निवेदन है कि कोलिजियम द्वारा भेजी गई जजों की इस लिस्ट को ख़ारिज करें और कोलिजियम से कहें कि इसमें कम से कम एक आदिवासी जज का नाम शामिल करें। आपसे पहले के. आर. नारायणन यह कर चुके हैं।"
मेरा @rashtrapatibhvn से निवेदन है कि कोलिजियम द्वारा भेजी गई जजों की इस लिस्ट को ख़ारिज करें और कोलिजियम से कहें कि इसमें कम से कम एक आदिवासी जज का नाम शामिल करें। आपसे पहले के.आर. नारायणन यह कर चुके हैं। #India_needs_STJudge pic.twitter.com/LBS3ID25d1
— Dilip Mandal (@Profdilipmandal) August 21, 2021
वहीं पूर्व आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने भी इस मांग का समर्थन किया और लिखा, "मैं दबे कुचले आदिवासी समाज से सर्वोच्च न्यायालय में जज के रूप में प्रतिनिधित्व की मांग का समर्थन करता हूं। आखिर ये अन्याय क्यों और कब तक?"
मैं दबे कुचले आदिवासी समाज से सर्वोच्च न्यायालय में जज के रूप में प्रतिनिधित्व की मांग का समर्थन करता हूं।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) August 21, 2021
आखिर ये अन्याय क्यों और कब तक?#India_needs_STJudge
दूसरे ट्वीट में सूर्य प्रताप सिंह ने लिखा, "संविधान की प्रस्तावना (Preamble) में सभी वर्गों को सामाजिक व आर्थिक न्याय की बात कही गई है। आर्टिकल 311 नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत की बात करता है। उपरोक्त के दृष्टिगत, देश में कानूनी और सामाजिक न्याय की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ST जज होना जरूरी है।"
संविधान की प्रस्तावना (Preamble) में सभी वर्गों को सामाजिक व आर्थिक न्याय की बात कही गई है। आर्टिकल 311 नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत की बात करता है।
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) August 21, 2021
उपरोक्त के दृष्टिगत, देश में कानूनी और सामाजिक न्याय की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए ST जज होना जरूरी है। #India_needs_STJudge
लेखक व ब्लॉगर हंसराज मीणा ने अपने ट्वीट में लिखा, "जातिवादी मीडिया यह कभी नहीं बताएगा की देश की 15 करोड़ आबादी, 645 जनजाति वाले आदिवासी समुदाय से सुप्रीमकोर्ट में एक भी जज नहीं है। ना वो इस मुद्दे को उठायेगा। शिकायत तो मुझे उन एसटी विधायक, सांसद, दलों से है जिन्हें समाज वोट देता है और वो आज चुपचाप बैठे है।"
जातिवादी मीडिया यह कभी नहीं बताएगा की देश की 15 करोड़ आबादी, 645 जनजाति वाले आदिवासी समुदाय से सुप्रीमकोर्ट में एक भी जज नहीं है। ना वो इस मुद्दे को उठायेगा। शिकायत तो मुझे उन एसटी विधायक, सांसद, दलों से है जिन्हें समाज वोट देता है और वो आज चुपचाप बैठे है। #India_needs_STJudge
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) August 21, 2021
अगले ट्वीट में उन्होंने लिखा, "अगर हमारी न्यायिक व्यवस्था 21 वीं सदी में पहुंचने के बाद भी आदिवासियों को न्याय नहीं देती है तो अब ये मसले अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाए जायेंगे ताकि दुनिया के लोग जान सके कि भारत की न्यायिक व्यवस्था में जातिवादी मानसिकता के कारण न्यायिक चरित्र का अभाव हैं।"
अगर हमारी न्यायिक व्यवस्था 21 वीं सदी में पहुंचने के बाद भी आदिवासियों को न्याय नहीं देती है तो अब ये मसले अन्तर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाए जायेंगे ताकि दुनिया के लोग जान सके कि भारत की न्यायिक व्यवस्था में जातिवादी मानसिकता के कारण न्यायिक चरित्र का अभाव हैं। #India_needs_STJudge
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) August 21, 2021
एक अन्य ट्वीट में हंसराज ने लिखा, "कॉलेजियम व्यवस्था में परिवारवाद जातिवाद आधार पर जजों की नियुक्ति होने से न्यायिक व्यवस्था में एससी, एसटी का ना तो कोई जज बन पा रहा है ना इन वर्ग को न्याय मिल पा रहा है। जजों का चयन यूपीएससी के माध्यम से किया जाए। यह ज्यादा सरल, सहज, पारदर्शी व स्वीकार्य होगा।"
कॉलेजियम व्यवस्था में परिवारवाद जातिवाद आधार पर जजों की नियुक्ति होने से न्यायिक व्यवस्था में एससी, एसटी का ना तो कोई जज बन पा रहा है ना इन वर्ग को न्याय मिल पा रहा है। जजों का चयन यूपीएससी के माध्यम से किया जाए। यह ज्यादा सरल, सहज, पारदर्शी व स्वीकार्य होगा। #India_needs_STJudge
— Hansraj Meena (@HansrajMeena) August 21, 2021
ट्रायबल आर्मी नाम के ट्विटर हैंडल ने भी इस मांग के समर्थन में कई ट्वीट किए हैं। ट्राइबल आर्मी ने लिखा, सुप्रीम कोर्ट में 48 जज है। इनमें एक भी ST जज नहीं है। अन्याय। हम भारत की न्यायपालिका प्रणाली में आरक्षण की मांग करते हैं। सुप्रीम कोर्ट में विविधता होनी चाहिए।
We Want Justice 👇👇#India_needs_STJudge pic.twitter.com/OnjIxioqpl
— Tribal Army (@TribalArmy) August 21, 2021