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Lucknow News: जबरिया रिटायर्ड IPS अमिताभ ठाकुर को मिली जमानत, मुस्कुराते हुए जेल से आए बाहर

Janjwar Desk
16 March 2022 3:30 PM IST
Lucknow News: जबरिया रिटायर्ड IPS अमिताभ ठाकुर को मिली जमानत, मुस्कुराते हुए जेल से आए बाहर
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कई महीनों की जद्दोजहद के बाद जबरिया जेल भेजे गये पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को जेल से रिहा कर दिया गया है। इससे पहले सोमवार को अमिताभ ठाकुर को हाइकोर्ट ने जमानत दे दी थी...

Lucknow News: यूपी की राजधानी लखनऊ से सूचना है कि, कई महीनों की जद्दोजहद के बाद जबरिया जेल भेजे गये पूर्व आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर को जेल से रिहा कर दिया गया है। इससे पहले सोमवार को अमिताभ ठाकुर (Amitabh Thakur) को हाइकोर्ट ने जमानत दे दी थी। जेल से बाहर आते समय अमिताभ अपने चिर-परिचित अंदाज में मुस्कुरा रहे थे।

बताया जा रहा कि लोअर कोर्ट यूपी सरकार के इशारे पर काम कर रही थी। जिसके चलते अमिताभ को जमानत मिल पाने में देरी हुई। अमिताभ की पत्नी नूतन ठाकुर ने पत्नी होने के साथ साथ अमिताभ की अधिवक्ता होने की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई है। नूतन कदम कदम पर अमिताभ के लिए लड़ती रहीं और उन्हें जेल की सलाखों से बाहर निकाल लाईं।

अगस्त 2021 को हुई थी गिरफ्तारी

बता दें कि लखनऊ पुलिस ने 27 अगस्त 2021 को हजरतगंज थाने पर आईपीसी की धारा 167, 195A, 218 , 306, 504 , 506 व 120 B के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने रिकार्ड पर पाया कि पीड़िता ने आत्महत्या करने से पहले जो फेसबुक लाइव पर बयान दिया था वह मृत्युकालिक कथन की श्रेणी मे आता है जिसमें अमिताभ के खिलाफ काफी गंभीर आरोप हैं।

ये था मामला?

दअरसल एक पीड़िता ने बसपा सांसद अतुल राय के खिलाफ वाराणसी में दुराचार का केस दर्ज कराया था जिसमें मामला अदालत में था। पीड़िता ने 20 नवम्बर 2020 को वाराणसी एसएसपी को शिकायत भेजी कि अमिताभ पैसा लेकर अतुल राय की गलत मदद कर रहें है और फर्जी साक्ष्य गढ़ रहें हैं। इसी क्रम में पीड़िता के खिलाफ सात-सात फर्जी केस भी दर्ज किये गये हैं। बाद में उसने स्वयं और उसके एक गवाह ने आग लगाकर आत्महत्या की कोशिश की जिसके बाद अस्पताल में दोनों की मृत्यु हो गयी थी।

इससे पहले दूसरे मामले में मिली थी बेल

पूर्व आईपीएस अमिताभ ठाकुर को इससे पहले पुलिस से दुर्व्यवहार और कामकाज में बाधा डालने वाले केस में जमानत मिली थी। लेकिन जिस मुख्य मामले में उन्हें जेल भेजा गया है उसमें लोअर कोर्ट से ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी जा रही थी। अब हाईकोर्ट से ज़मानत मिलने पर ही रिहाई हो सकी है। बता दें कि अदालतों का यह नियम होता है की निचली अदालत से बेल खारिज होने के बाद उच्च अदालत में अर्जी दाखिल की जाती है।

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