Exclusive : सरकार ने मुझे नौकरी से निकाला है, अब ये लड़ाई सरकार बनाम अमिताभ ठाकुर होगी
मनीष दुबे की रिपोर्ट
जनज्वार, लखनऊ। अमिताभ ठाकुर आईपीएस जबरिया रिटायर्ड। घर के बाहर लगा ये नेम प्लेट इन दिनों सूबे में चर्चा का विषय है। अमिताभ ठाकुर जितने चर्चित हैं उतने ही बेबाक भी। घर के बाहर जबरिया रिटायर्ड की नेम प्लेट लगाने से लेकर क्रिकेट वर्ल्ड कप मैच हारने के बाद एमएस धोनी को एक हजार रुपये की चेक बाय कुरियर भेजने तक अमिताभ खासे चर्चा में रहे हैं।
जनज्वार संवाददाता से बात करते हुए अमिताभ कहते हैं, 'सरकार ने मुझे गुपचुप तरीके से बिना बताए चालाकी दिखाते हुए नौकरी से बाहर कर दिया। ना ही इस बाबत पहले ही कोई सूचना दी। एक आईपीएस बनने के लिए कितने त्याग और परिश्रम की जरूरत होती है। हम लोग कितनी मेहनत करके इस उपलब्धि को हासिल करते हैं, आप कुर्सी मिलते ही हमारे साथ ऐसा व्यवहार करते हैं यह निंदनीय है।'
अमिताभ आगे कहते हैं कि आईपीएस अफसरों में मैं इकलौता ऐसा आईपीएस हूँ जिसके खिलाफ तमाम जांचें हुईं। भ्रष्टाचार, कदाचार, बलात्कार, अनुशासनहीनता से लेकर अन्य कई जांचें हुईं। लेकिन आज तक कई एक जांचें पूरी नहीं हुई। मैं कहता रहा जांच करवाइये लेकिन तब भी कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब इन्होंने जबरिया रिटायर कर दिया। एक कागज थमा दिया और कहा कि अब आपकी जरूरत नहीं है। अब नहीं जरूरत है तो आगे का हम अपना रास्ता देखेंगे, तलाशेंगे।'
पूर्व आईपीएस गाजियाबाद में खुद पर लगे महिला उत्पीड़न पर बेबाकी से बात करते हुए कहते हैं कि 'गाजियाबाद की सेवा के दौरान एक महिला ने उन पर बलात्कार का आरोप लगाया था। इसके बाद मैने अपने ऑफिस में महिलाओं के प्रवेश पर रोंक लगा दी थी। अमिताभ कहते हैं मसला ये था कि मेरी पत्नी ने गायत्री प्रजापती के खिलाफ भृष्टाचार की जांच कराए जाने की मांग की थी जिसके बाद उक्त महिला ने साजिशन उन पर ये आरोप लगाया था। इसी तरह 2015 में क्रिकेट मैच हारने के दौरान कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को एक हजार रूपये की चेक बाय कुरियर भेजने के मामले में ठाकुर हंसते हुए कहते हैं कि 'वह मैच नहीं देखते हैं, उन्होने धोनी को हारने के लिए इनाम दिया था। यह उनका व्यक्तिगत मामला था और किसी प्रकार की कोई मंशा नहीं थी।'
छोटे भाई अविनाश जो झारखण्ड में आईएएस हैं ने अमिताभ की रिटायरमेंट के बाद बेहद भावुक पत्र लिखा था। 'मां तू फिर अमिताभ पैदा करना' अमिताभ थोड़ा भावुक हो जाते हैं, कहते हैं भाई ने कभी शेरो शायरी लिखी हो उन्हें याद नहीं। भाई के प्यार ने उन्हें लेखक भी बना दिया। और यकीन मानिए जब वो पत्र कई जगह वायरल हो गया, अखबारों में भी छपा तो हम पति-पत्नी उसे पढ़कर आँखों से आंसू नहीं रोक पाए। बच्चों का भी यही हाल था। हम दोनो ने आईआईटी कानपुर से लेकर ट्रेनिंग तक सब साथ ही किया है। बेहद भावुक कर देने वाला पल था वो हमारी जिंदगी का।'
जबरन रिटायरमेंट के बाद वायरल पत्र में अमिताभ ने विधिक जानकारी लेने का जिक्र किया था इस बारे में पूछने पर वो कहते हैं 'मैं काफी समय से शोसल एक्टिविज्म भी करता रहा हूँ और ये बात भी कहीं ना कहीं सरकार को खटकी है। अब खुद के लिए भी लड़ना है, कोई और बात होती तो हम चुप होकर बैठ जाते पर ये मसला बैठने का नहीं है। कल बुधवार को वायरल पत्र में अमिताभ ने अधिकारियों के रिटायरमेंट के समय दी जाने वाली फेयरवेल पार्टी का भी जिक्र किया था। उन्होने प्रमुख सचिव को इसके लिए पत्र भी लिखा था कि अन्य अधिकारियों की तरह उन्हें भी सम्मान सहित विदाई दी जाए। इस बारे में अमिताभ कहते हैं बिल्कुल यह हम लोगों का अधिकार होता है जो मिलना ही चाहिए।'
पत्नी नूतन से मिलने वाले सहयोग के बारे में अमिताभ कहते हैं 'निश्चित रूप से पत्नी का बहुत सहयोग रहा है। वह कंधे से कंधा मिलाकर मेरे साथ मजबूती से खड़ी है। वह खुद अर्से से भृष्टाचार और गलत के खिलाफ आवाज उठाती रही हैं। आगे समय में अदालत तक हम साथ हैं। आगे लड़ाई सरकार बनाम अमिताभ हो सकती है के सवाल पर अमिताभ कहते हैं, हो सकती नहीं है। अब जब अदालत में मुकदमा फाईल होगा तो वहां मामला सरकार बनाम अमिताभ ठाकुर ही होगा ना।' अमिताभ की इस बात से जनज्वार की उस खबर को वरीयता भी मिलती है जिसमें हमने लिखा था कि अमिताभ चुप बैठने वालों में से नहीं हैं।
अमिताभ ठाकुर के जबरिया रिटायर हो जाने पर उनकी पत्नी नूतन कहती हैं कि सरकार ने यह गलत किया है और कहीं ना कहीं हम लोग जो भृष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते रहते हैं यह उसका भी खामियाजा है। देखते हैं आगे। क्या पता आने वाले समय में और कुछ अच्छा होना हो जिसके बाद यह गई नौकरी भी छोटी लगे।' फिलहाल जो भी हो आने वाला समय और भी रोचक हो सकता है। जिसके लिए अमिताभ ने जनज्वार से बात करते हुए इशारा किया है, कि लड़ाई अब सरकार बनाम अमिताभ ठाकुर होगी।