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किसानों को बिना नुकसान पहुंचाए प्रदर्शन का हक, पीं साईनाथ व अन्य को लेकर कमेटी बनायी जा सकती है : सुप्रीम कोर्ट

Janjwar Desk
17 Dec 2020 7:39 AM GMT
किसानों को बिना नुकसान पहुंचाए प्रदर्शन का हक, पीं साईनाथ व अन्य को लेकर कमेटी बनायी जा सकती है : सुप्रीम कोर्ट
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सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अभी हम जो एकमात्र चीज तय करेंगे वह किसानों के विरोध प्रदर्शन व नागरिकों के मौलिक अधिकार को लेकर है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून की वैधता का सवाल इंतजार कर सकती है।

जनज्वार। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दूसरे दिन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह फिलहाल कानून की वैधता तय नहीं करेगी। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट तौर पर कहा कि किसानों को प्रदर्शन करने का अधिकार है।अदालत ने इस दौरान सुझाव दिया कि इस संबंध में पत्रकार पी साईनाथ व किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को लेकर एक कमेटी बनायी जा सकती है और उसके सुझावों पर विचार किया जाना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अभी हम जो एकमात्र चीज तय करेंगे वह किसानों के विरोध प्रदर्शन व नागरिकों के मौलिक अधिकार को लेकर है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कानून की वैधता का सवाल इंतजार कर सकती है। खंडपीठ ने यह बात कानून की वैधता को चुनौती देनी वाली यािचकाओं की सुनवाई करते हुए कही।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि विरोध तब तक संवैधानिक है, जबतक यह संपत्ति या संकटपूर्ण जीवन को नष्ट नहीं करता है। उन्होंने कहा कि विरोध का एक लक्ष्य है जिसे विरोध में बैठकर हासिल नहीं किया जा सकात है। केंद्र व किसानों को बात करनी होगी।

मालूम हो कि बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में भी कृषि कानूनों को लेकर सुनवाई हुई थी। तब अदालत ने इस मामले में सरकार ने किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का ब्यौरा मांगा था, जिनका पक्ष सुना जा सके। हालांकि आज सुबह कुछ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कहा है कि उन्हें इस संबंध में कोई नोटिस नहीं मिला है, अगर मिलता है तो वे वार्ता के लिए तैयार हैं।

दिल्ली सीमाओं के पास से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग पर अदालत ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसानों को विरोध करने का अधिकार है। हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे, लेकिन विरोध का तरीका कुछ ऐसा है जिस पर हम गौर करेंगे। हम केंद्र से पूछेंगे कि विरोध के तरीके में क्या बदलाव किया जा सकता है। इस मामले में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अगर कोविड के दौरान लोग इतनी बड़ी संख्या में आ रहे हैं तो यह मेरे जीवन के अधिकार में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। आपको विरोध के अधिकार के संदर्भ में इसे देखने की जरूरत है। उन्होंने तर्क दिया कि किसान संगठन एक मायने में राजनीतिक पार्टी हैं।

सुप्रीम कोर्ट की किसान आंदोलन पर बड़ी बातें :

सुप्रीम कोर्ट ने किसानों के आंदोलन पर एक स्वतंत्र कमेटी बनाने का सुझाव दिया, जिसमें चर्चित कृषि व ग्रामीण पत्रकार पी साईंनाथ, भारतीय किसान यूनियन के सदस्यों व अन्य को शामिल करने को कहा। मुख्य न्यायधीश ने किसानों से कहा कि आप हिंसा नहीं कर सकते हैं और न ही सड़कों को जाम कर सकते हैं।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि स्वतंत्र कमेटी इस विषय में अपना सुझाव देगी, जिसका पालन किया जाना चाहिए। इस बीच किसानों का आंदोलन जारी रह सकता है।

इस मामले में एटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि अगर किसान यूनियन इस समिति का बहिष्कार करती हैं तो यह अपने उद्देश्यों को पूरा नहीं कर पाएगी।

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि दिल्ली को अवरुद्ध करने से शहर के लोग भूखे रह सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपके उद्देश्य बातचीत से पूरे हो सकते हैं। सिर्फ विरोध में बैठने से मदद नहीं मिलेगी।

अदालत में पंजाब सरकार की ओर से वकील पी चिदंबरम पेश हुए थे। उन्होंने कहा कि किसान सड़क को अवरुद्ध नहीं कर रहे हैं और वे कह रहे हैं कि कृषि कानून ठीक नहीं है।


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