अभी-अभी : पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह का निधन, दिल्ली के AIIMS में ली अंतिम सांस
जनज्वार ब्यूरो, पटना। पूर्व केंद्रीय मंत्री और लालू प्रसाद के 'ब्रह्म बाबा' रघुवंश प्रसाद सिंह नहीं रहे। नई दिल्ली के उसी एम्स अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली, जहां से उन्होंने तीन दिन पहले राजद छोड़ने की घोषणा की थी और चंद पंक्तियों की एक चिट्ठी लालू प्रसाद को लिखी थी।
रघुवंश सिंह पहले कोरोना से संक्रमित हो गए थे। पटना एम्स में इलाज में बाद वे ठीक हो गए थे। उसके बाद उन्हें कुछ और समस्याएं होने के बाद दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। बताया जाता है कि कल उन्हें सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद वेंटिलेटर पर रखा गया था।
रघुवंश सिंह द्वारा तीन दिन पहले दिए गए इस्तीफे के बाद लालू प्रसाद ने उन्हें संबोधित करते हुए एक मार्मिक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने कहा था कि आप कहीं नहीं जा रहे। आलस 40 वर्ष पुराना संबन्ध है। आपके साथ राजनीतिक, सामाजिक और पारिवारिक समस्याएं सुलझाई हैं। आप ठीक हो जाइए, बैठकर बात करेंगे।
रघुवंश सिंह ने इससे पहले पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। तब भी उन्होंने अस्पताल से ही इस्तीफा भेजा था। लालू प्रसाद को भेजे अपने संक्षिप्त हस्तलिखित इस्तीफे में उन्होंने लालू प्रसाद के साथ 32 वर्षों तक खड़े रहने की चर्चा की थी।
उन्होंने लिखा था 'जननायक कर्पूरी ठाकुर के निधन के बाद आपके पीठ पीछे 32 वर्षों तक खड़ा रहा, लेकिन अब नहीं। पार्टी नेता, कार्यकर्ता तथा आमजन ने मुझे बड़ा स्नेह दिया, मुझे क्षमा करें।' रघुवंश प्रसाद वैशाली संसदीय क्षेत्र में अपने चिरप्रतिद्वंद्वी रामा सिंह की पार्टी में इंट्री की खबर से नाराज बताए जा रहे थे।
रघुवंश सिंह केंद्रीय मंत्री सहित कई बड़े पदों पर रह चुके थे और निर्वविवाद और साफ-सुथरी छवि के नेता माने जाते थे, जो बिहार की राजनीति में कम ही देखने को मिलता है। रघुवंश सिंह पहली बार साल 1977 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर विधायक बनकर सदन में पहुंचे थे। उस वक्त वे बेलसंड विधानसभा क्षेत्र से जीते थे।
उसके बाद वे बिहार सरकार में मंत्री भी बने। साल 1977 से 1979 तक तत्कालीन सरकार में वे विद्युत मंत्रालय के मंत्री रहे। उसके बाद 1995 में तत्कालीन लालू प्रसाद की सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। इस बीच वे साल 1990 में विधान परिषद के सदस्य बने और बिहार विधान परिषद के डिप्टी स्पीकर रहे।
साल 1996 में वे पहली बार लोकसभा सांसद बने थे और उसके बाद वे 5 दफा सांसद रहे। केंद्र की तत्कालीन यूपीए सरकारों में वे एक बार राज्यमंत्री और एक बार कैबिनेट मंत्री रहे। साल 1996 में वे केंद्रीय पशुपालन राज्यमंत्री और 1997 में वे खाद्य एवं उपभोक्ता मामलों के कैबिनेट मंत्री बने थे।
बिहार की राजनीति में जातीय गणित का काफी अहम रोल होता है। रघुवंश प्रसाद सिंह राजपूत जाति से आते थे और माना जाता था कि राजद में वे इस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं और इस वर्ग के राजद से जुड़ाव के वे एक बड़े फैक्टर थे।