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राष्ट्रीय

Hasdeo Forest : ग्रामीणों के विरोध ने छत्तीसगढ़ के 'फेफड़े' की कटाई रोकी, पुलिस-ग्रामीण आमने-सामने

Janjwar Desk
30 May 2022 3:42 PM IST
Chhattisgarh News : आदिवासियों के कानूनी अधिकारों को कुचलकर अडानी-अंबानी के लिए मोदी सरकार का एक और तोहफा
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Chhattisgarh News : 'आदिवासियों के कानूनी अधिकारों को कुचलकर अडानी-अंबानी के लिए मोदी सरकार का एक और तोहफा'

Hasdeo Forest : सोमवार 30 मई को आदिवासियों के विरोध की वजह से परसा कोल ब्लॉक में पेड़ों की कटाई का काम थोड़ी देर बाद रोक दिया गया। कटाई को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए प्रशासन ने पुलिस फोर्स मंगवाई थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के आगे उनकी एक नहीं चली और कटाई का काम रोकना पड़ा। सोमवार को ही छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की अगुवाई में रायपुर में हसदेव को उजाड़ने के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान किया गया है...

सौमित्र राय की रिपोर्ट

Hasdeo Forest : धूम्रपान शरीर के लिए हानिकारक है, सिगरेट के पैकेट पर लिखी यह चेतावनी आपने भी पढ़ी या देखी होगी। धूम्रपान फेफड़ों को क्षतिग्रस्त कर कैंसर पैदा करता है। लेकिन एक पेड़ सालभर में 100 किलो ऑक्सीजन (Hasdeo Forest) देता है, जो कि एक स्वस्थ व्यक्ति की सालाना ऑक्सीजन खपत का आठवां हिस्सा है- यह कहते हुए दुनियार कोरी की आंखें डबडबा जाती हैं। उत्तरी छत्तीसगढ़ के सरगुजा ईस्ट में परसा कोल ब्लॉक के लिए हसदेव अरण्य के हरे-भरे 2 लाख पेड़ों को काटने की अनुमति के विरोध में दुनियार जैसे सैकड़ों आदिवासी (Hasdeo Forest) कभी पेड़ों से चिपकते हैं तो कभी वन विभाग की कटाई के खिलाफ धरने पर बैठ जाते हैं। यह केवल आदिवासियों के वजूद का ही मामला नहीं है, बल्कि राज्य के फेफड़े को कटने से बचाने की लड़ाई भी है।

सोमवार 30 मई को आदिवासियों के विरोध की वजह से परसा कोल ब्लॉक में पेड़ों की कटाई का काम थोड़ी देर बाद रोक दिया गया। कटाई को निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए प्रशासन ने पुलिस फोर्स मंगवाई थी, लेकिन ग्रामीणों के विरोध के आगे उनकी एक नहीं चली और कटाई का काम रोकना पड़ा। सोमवार को ही छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन की अगुवाई में रायपुर में हसदेव को उजाड़ने के विरोध में प्रदर्शन का ऐलान किया गया है।

छत्तीसगढ़ के सरगुजा ईस्ट में परसा कोल ब्लॉक के लिए हसदेव अरण्य के हरे-भरे 2 लाख पेड़ों की कटाई विरोध में एकजुट हुए लोग।

गौरतलब है कि कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी पिछले दिनों कैम्ब्रिज में अपने संबोधन के दौरान परसा कोल ब्लॉक के मामले में छत्तीसगढ़ सरकार के कदम से असहमति जताई थी। हालांकि, पार्टी आलाकमान की नाराजगी का कोई खास असर नहीं पड़ा, क्योंकि अब यह राजस्थान की कांग्रेस सरकार के लिए भी विकास की चकाचौंध और पर्यावरण के विनाश के बीच एक विकल्प चुनने का मसला है। हमेशा की तरह इस मामले में भी विकास का विकल्प ही चुना गया है।

अंधेरा दूर करने के लिए अंधेर का रास्ता

राजस्थान बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक ने तीन दिन पहले ही अपने अफसरों के साथ अंबिकापुर और सूरजपुर में प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात कर जंगल (Hasdeo Forest) की कटाई का काम तुरंत शुरू करने की मांग की थी, ताकि कोयला खनन का काम शुरू किया जा सके। लेकिन ग्रामीणों को रविवार रात को ही पेड़ कटाई की खबर मिल गई और उन्होंने अगली सुबह कटाई स्थल पर धरना दे दिया। राजस्थान बिजली बोर्ड का कहना है कि अगर जल्दी कोयला खनन का काम शुरू नहीं किया गया तो उनके राज्य में अंधेरा हो जाएगा। लेकिन छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहे जाने वाले हसदेव के जंगल मध्यभारत के सबसे घने और विशाल जंगलों में से एक हैं। 1.70 लाख हेक्टेयर में फैले ये जंगल कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले में फैले हैं। इसके अलावा यह इलाका हाथियों का गलियारा भी है। आंदोलनकारियों का कहना है कि अगर जंगल कट गए तो न केवल इंसान और हाथियों के बीच टकराव बढ़ेगा, बल्कि पूरे इलाके की जैव विविधता पर भी बहुत बुरा असर पड़ेगा, जिसमें महानदी की सहायक हसदेव नदी और आदिवासियों की परंपरागत भोजन और आजीविका शृंखला भी शामिल है।

इसलिए हो रहा है जंगल कटाई का विरोध

इसका सबसे प्रमुख कारण कांग्रेस सरकार की वादाखिलाफी है। 2018 के विधानसभा चुनाव के दौरान राहुल गांधी ने मदनपुर में एक सभा के दौरान हसदेव (Hasdeo Forest) को कटने नहीं देने का वादा किया था। इससे पहले 2011 में जब हसदेव में पहली बार खनन की अनुमति दी गई, तब भी केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन बाद में तत्कालीन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने इसे प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर दिया था। 1250 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले परसा कोल ब्लॉक में खनन के लिए 20 पट्टे जारी किए गए हैं। इसमें 841 हेक्टेयर सघन वन भूमि भी आ रही है, जहां पेड़ों को काटा जाना है। परसा ईस्ट केते बसान कोल ब्लॉक (PEKB) से कोयला निकाला जा रहा है, जिसकी अनुमति केंद्र की पिछली यूपीए सरकार ने दी थी। लेकिन साथ में यह भी कहा था कि इसके बाद आगे इस इलाके में कोयला खदान की अनुमति नहीं दी जाएगी। राज्य के सीएम भूपेश बघेल ने भी विपक्ष में रहते हुए खनन और राजस्थान सरकार के अदाणी समूह के साथ किए गए अनुबंध का विरोध किया था। लेकिन सत्ता में आते ही बघेल सरकार ने आदिवासियों के साथ वादाखिलाफी की।

प्रकृति को उजाड़कर भविष्य की चिंता?

इसी साल 25 मार्च को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल से मुलाकात के बाद राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा था कि अगर परसा ब्लॉक से जल्दी कोयला नहीं मिला तो राज्य के 4500 मेगावॉट क्षमता वाले पावर प्लांट बंद हो जाएंगे, इसलिए उन्हें भविष्य की चिंता है। उससे पहले परसा कोल ब्लॉक (Hasdeo Forest) को मंजूरी देते हुए भूपेश बघेल ने कहा था कि खनन का काम नियम-कानूनों के हिसाब से ही होगा। लेकिन बघेल सरकार की नाक के नीचे अदाणी समूह की कंपनी पर फर्जी ग्रामसभाओं की अनुमति के सहारे लीज हासिल करने का आरोप लगा। साथ ही सरकार ने भी नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) और नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ को बिना सूचना दिए ही पेड़ काटने की अनुमति दे दी। अब NTCA ने इस मामले में नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

हालात तनावपूर्ण

घाटबर्रा के पेंड्रामार जंगल में आदिवासी और पुलिस के जवान आमने-सामने हैं। नारेबाजी हो रही है। लाठियों से लैस ग्रामीणों के गुस्से को देखते हुए कटाई का काम (Hasdeo Forest) रोका गया है। जंगल में ड्रोन कैमरों से स्थिति की लगातार निगरानी की जा रही है।

ग्रामीणों का कहना है कि जंगल (Hasdeo Forest) में कोयले की खदान खुल जाने से उनकी खाद्य सुरक्षा और आजीविका दोनों ही छिन जाएगी। ऐसे में उनका जीवन ही संकट में आ जाएगा। इन हालात में ग्रामीणों ने अब मरते दम तक जंगल कटाई का विरोध करने का फैसला किया है। छत्तीसगढ़ अपने फेफड़े को बचाने की आखिरी लड़ाई लड़ रहा है।

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