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गौमाता को लेकर हाइकोर्ट की बड़ी टिप्पणी : हिंदुओं का मौलिक अधिकार हो गाय की रक्षा, इन्हें घोषित करें राष्ट्र पशु

Janjwar Desk
1 Sep 2021 3:12 PM GMT
गौमाता को लेकर हाइकोर्ट की बड़ी टिप्पणी : हिंदुओं का मौलिक अधिकार हो गाय की रक्षा, इन्हें घोषित करें राष्ट्र पशु
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गाय के लेकर इलाहाबाद हाइकोर्ट की बड़ी टिप्पणी (photo/janjwar)

कोर्ट ने कहा, यदि जमानत दी जाती है, तो इससे बड़े पैमाने पर समाज का सौहार्द बिगड़ सकता है। व्यक्ति ने समाज के सौहार्द को भंग किया है और जमानत पर रिहा होने पर वह फिर से वही काम करेगा जो समाज में सद्भाव को बिगाड़ देगा...

जनज्वार ब्यूरो। इलाहाबाद हाइकोर्ट ने गाय को लेकर आज बुधवार बड़ी टिप्पणी की है। न्यायालय ने केन्द्र सरकार को सुझाव दिया है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी गाय काटने के एक आरोपी जावेद की जमानत याचिका को रद्द करते हुए की गई है।

कोर्ट की टिप्पणी में आगे कहा गया कि, गाय भारत की संस्कृति का हिस्सा है और इसे राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए। याथ ही यह भी कहा, गौरक्षा को हिंदुओं का मौलिक अधिकार किया जाना चाहिए। अदालत ने जिस व्यक्ति को जमानत देने से इनकार करते हुए यह टिप्पणी की उसपर प्रदेश में गौहत्या रोकथाम अधिनियम के तहत आरोप लगे थे।

केंद्र सरकार दे ध्यान

न्यायाधीश शेखर कुमार यादव ने आज बुधवार 1 सितंबर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि 'गाय को मौलिक अधिकार देने सहित राष्ट्रीय पशु घोषित करने के लिए सरकार को संसद में एक विधेयक लाना चाहिए।' उन्होने आगे कहा 'गोरक्षा का कार्य केवल एक धार्मिक संप्रदाय का नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का कार्य देश में रहने वाले हर नागरिक का है, चाहे वह किसी भी धर्म का हो।

जज ने कहा कि 'गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करें और गाय को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाएं।' उन्होने आदेश में कहा कि, 'जब गाय का कल्याण होगा, तभी देश का कल्याण होगा।' याचिकाकर्ता को जमानत देने से इनकार करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि भारत पूरी दुनिया में एकमात्र ऐसा देश है जहां विभिन्न धर्मों के लोग रहते हैं, जो अलग-अलग पूजा कर सकते हैं, लेकिन देश के लिए उनकी सोच समान है।

जमानत से किया इनकार

आरोपी की जमानत पर टिप्पणी करते हुए अदालत ने कहा, 'मामले की परिस्थितियों को देखते हुए प्रथम दृष्टया आवेदक के खिलाफ अपराध साबित होता है। कोर्ट ने व्यक्ति को यह कहते हुए जमानत देने से इंकार कर दिया कि अगर जमानत दी जाती है, तो इससे बड़े पैमाने पर समाज का सौहार्द बिगड़ सकता है। व्यक्ति ने समाज के सौहार्द को भंग किया है और जमानत पर रिहा होने पर वह फिर से वही काम करेगा जो समाज में सद्भाव को बिगाड़ देगा।'

गौशालाओं पर की टिप्पणी

न्यायाधीश ने आगे कहा 'आवेदकों का यह जमानत आवेदन निराधार है और खारिज करने योग्य है। इसलिए, जमानत आवेदन खारिज कर दिया जाता है। प्रदेश की गौशालाओं पर टिप्पणी में कहा कामकाज पर भी ढिलाई बरते जाने पर कहा, 'यह देखकर बहुत दुख होता है कि जो लोग गोरक्षा की बात करते हैं, वे गौ भक्षक बन जाते हैं। सरकार गौ शालाओं का निर्माण भी करवाती है, लेकिन जिन लोगों को गाय की देखभाल करनी होती है, वे नहीं करते हैं। इसी तरह, निजी गौशालाएं भी आज एक दिखावा बन गई हैं जिसमें लोग चंदा लेते हैं।'

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