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झारखंड

झारखंड के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने खोला मोर्चा, साथ खड़ी हुई बेटियां

Janjwar Desk
12 Sep 2020 3:05 AM GMT
झारखंड के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने खोला मोर्चा, साथ खड़ी हुई बेटियां
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झारखंड मुक्ति मोर्चा के अंदर वर्चस्व की लड़ाई शुरू होने के संकेत मिले हैं। शिबू सोरेन की बड़ी बहू ने पार्टी के एक नेता पर गंभीर आरोप लगाया है, जिस पर सबने चुप्पी साध रखी है...

जनज्वार, रांची। हिंदुस्तान में सिर्फ राजनीतिक दलों के अंदर ही नहीं प्रभावी राजनैतिक परिवारों के अंदर भी वर्चस्व की जंग होती रही है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम राज ठाकरे, उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव बनाम अपर्णा यादव, बिहार में तेजस्वी यादव बनाम तेज प्रताप के बाद झारखंड में भी यह सिलसिला बढता दिख रहा है।

झारखंड का सबसे प्रभावी राजनीतिक परिवार सोरेन परिवार यानी झारखंड आंदोलन के अगुवा रहे शिबू सोरेन का परिवार है। शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने एक पत्र लिख कर पार्टी कार्यकर्ताओं को खुद से दूर रखे जाने व मुलाकात करने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का आरोप लगाया है।

सीता सोरेन ने यह पत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन को 10 सिंतबर को लिखा और बाद में इसकी काॅपी उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट कर दी। सीता सोरेन ने अपने आरोपों में सीधे तौर पर पार्टी महासचिव व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विश्वासपात्र विनोद पांडे को निशाना बनाया है। हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री होने के साथ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और पार्टी का संचालन वहीं करते हैं।


सीता सोरेन ने अपने पत्र को शिबू सोरेन के साथ हेमंत सोरेन को टैग तो जरूर किया, लेकिन पत्र में कहीं भी हेमंत सोरेन का उल्लेख नहीं किया। पार्टी को उन्होंने पार्टी को आगे बढाने में अपने ससुर व झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन व दिवंगत पति दुर्गा सोरेन का उल्लेख किया। सीता सोरेन ने अपने पति दुर्गा सोरेन के जयंती के दिन ही इसे लिखा और मीडिया के लिए साझा किया।

सीता सोरेन दुमका की जामा सीट से विधायक हैं और पार्टी की महासचिव भी हैं। हालांकि सांगठनिक कार्याें में उनकी भूमिका सीमित रही है।

सीता सोरेन ने अपने पत्र में लिखा कि पिछले दिनों जब वे विस्थापितों का आग्रह पर चतरा दौरे पर गईं तो पार्टी कार्यकर्ताओं को उनसे मिलने से मना किया गया। इसके बावजूद जो कार्यकर्ता मिले उन्हें वहां के झामुमो जिलाध्यक्ष ने पार्टी से बाहर कर दिया। सीता सोरेन का आरोप है कि ऐसा विनोद पांडेय के इशारे पर किया गया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने उनका निष्कासन रदद करने व जिलाध्यक्ष पर कार्रवाई के लिए कहा तो ऐसा नहीं किया गया।


सीता सोरेन की दो बेटियां विजयश्री सोरेन व राजश्री सोरेन जो अबतक राजनीति से दूर रही हैं, उन्होंने भी मां के लिए मोर्चा संभाला। राजश्री सोरेन ने ट्वीटर पर लिखा कि मुझे आज यह देख कर बेहद दुःख हो रहा है कि मेरी मम्मी पार्टी की सीनियर विधायक द्वारा लिखे गए खत को 18 घंटे से ज्यादा वक्त हो गया है पर इस मामले में अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इस खामोशी का क्या तात्पर्य है।


सीता सोरेन के पत्र पर झामुमो में चुप्पी भी है। सोरेन परिवार का मामला होने के कारण कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि सहयोगी कांग्रेस झामुमो का बचाव कर रहा है और इसे पार्टी का आंतरिक मामला बताते हुए सुलझा लेने की बात कह रहा है।

वहीं, भाजपा ने इसे झामुमो आंतरिक कलह बताया है और कहा है कि पार्टी की सीनियर विधायक की बातों पर गौर नहीं किया जा रहा है।

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