झारखंड के सबसे प्रभावशाली राजनीतिक परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने खोला मोर्चा, साथ खड़ी हुई बेटियां
जनज्वार, रांची। हिंदुस्तान में सिर्फ राजनीतिक दलों के अंदर ही नहीं प्रभावी राजनैतिक परिवारों के अंदर भी वर्चस्व की जंग होती रही है। महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे बनाम राज ठाकरे, उत्तरप्रदेश में अखिलेश यादव बनाम अपर्णा यादव, बिहार में तेजस्वी यादव बनाम तेज प्रताप के बाद झारखंड में भी यह सिलसिला बढता दिख रहा है।
झारखंड का सबसे प्रभावी राजनीतिक परिवार सोरेन परिवार यानी झारखंड आंदोलन के अगुवा रहे शिबू सोरेन का परिवार है। शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने एक पत्र लिख कर पार्टी कार्यकर्ताओं को खुद से दूर रखे जाने व मुलाकात करने पर उन्हें बाहर का रास्ता दिखाने का आरोप लगाया है।
सीता सोरेन ने यह पत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष शिबू सोरेन को 10 सिंतबर को लिखा और बाद में इसकी काॅपी उन्होंने ट्विटर पर पोस्ट कर दी। सीता सोरेन ने अपने आरोपों में सीधे तौर पर पार्टी महासचिव व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के विश्वासपात्र विनोद पांडे को निशाना बनाया है। हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री होने के साथ पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं और पार्टी का संचालन वहीं करते हैं।
पार्टी महासचिव विनोद पांडे द्वारा मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है।
— Sita Soren (@SitaSorenMLA) September 10, 2020
पार्टी आदरणीय बाबा एवं मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी की खून पसीने से खड़ा की हुई है।
चंद लोग @JmmJharkhand को अपनी जेबी संस्था बनाने की मंशा पर कार्य कर रहे हैं।
कृपया संज्ञान ले। @ShibuSorenJMM @HemantSorenJMM pic.twitter.com/oYegeRY7It
सीता सोरेन ने अपने पत्र को शिबू सोरेन के साथ हेमंत सोरेन को टैग तो जरूर किया, लेकिन पत्र में कहीं भी हेमंत सोरेन का उल्लेख नहीं किया। पार्टी को उन्होंने पार्टी को आगे बढाने में अपने ससुर व झामुमो अध्यक्ष शिबू सोरेन व दिवंगत पति दुर्गा सोरेन का उल्लेख किया। सीता सोरेन ने अपने पति दुर्गा सोरेन के जयंती के दिन ही इसे लिखा और मीडिया के लिए साझा किया।
सीता सोरेन दुमका की जामा सीट से विधायक हैं और पार्टी की महासचिव भी हैं। हालांकि सांगठनिक कार्याें में उनकी भूमिका सीमित रही है।
सीता सोरेन ने अपने पत्र में लिखा कि पिछले दिनों जब वे विस्थापितों का आग्रह पर चतरा दौरे पर गईं तो पार्टी कार्यकर्ताओं को उनसे मिलने से मना किया गया। इसके बावजूद जो कार्यकर्ता मिले उन्हें वहां के झामुमो जिलाध्यक्ष ने पार्टी से बाहर कर दिया। सीता सोरेन का आरोप है कि ऐसा विनोद पांडेय के इशारे पर किया गया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने उनका निष्कासन रदद करने व जिलाध्यक्ष पर कार्रवाई के लिए कहा तो ऐसा नहीं किया गया।
सीता सोरेन की दो बेटियां विजयश्री सोरेन व राजश्री सोरेन जो अबतक राजनीति से दूर रही हैं, उन्होंने भी मां के लिए मोर्चा संभाला। राजश्री सोरेन ने ट्वीटर पर लिखा कि मुझे आज यह देख कर बेहद दुःख हो रहा है कि मेरी मम्मी पार्टी की सीनियर विधायक द्वारा लिखे गए खत को 18 घंटे से ज्यादा वक्त हो गया है पर इस मामले में अभी तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है। इस खामोशी का क्या तात्पर्य है।
मुझे आज यह देखकर बेहद दुख हो रही है। मेरी मम्मी @JmmJharkhand पार्टी की सीनियर विधायक @SitaSorenMLA जी के द्वारा लिखे गए खत को 18 घंटे से ज्यादा वक्त हो गया है पर इस मामले में अभी तक कोई एक्शन संज्ञान नहीं लिया गया है इस खामोशी का क्या तात्पर्य है ?@HemantSorenJMM @JmmJharkhand pic.twitter.com/F4PtzLKMPy
— Rajshree (@soren_rajshree) September 11, 2020
सीता सोरेन के पत्र पर झामुमो में चुप्पी भी है। सोरेन परिवार का मामला होने के कारण कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। हालांकि सहयोगी कांग्रेस झामुमो का बचाव कर रहा है और इसे पार्टी का आंतरिक मामला बताते हुए सुलझा लेने की बात कह रहा है।
वहीं, भाजपा ने इसे झामुमो आंतरिक कलह बताया है और कहा है कि पार्टी की सीनियर विधायक की बातों पर गौर नहीं किया जा रहा है।