कानपुर : दुष्कर्मी इंस्पेक्टर की दामाद जैसी खातिर करने वाले सिपाहियों पर गिरी गाज, मिली 7 दिनो तक दो-दो घंटे दौड़ने की सजा
पुलिस कस्टडी में फोन पर बतियाता रेपिस्ट दारोगा दिनेश त्रिपाठी (लाल घेरे में)
जनज्वार, कानपुर। यूपी पुलिस (UP Police) के कारनामें भी खूब चर्चा में रहते हैं। यह लोग कभी कुछ तो कभी कुछ कांड कर लाइमलाईट में रहने का हुनर खूब पहचानते हैं। अब कानपुर पुलिस ने दुष्कर्म के आरोपी पूर्व इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी की इतनी खातिरदारी कर दी कि उल्टा खुद पर ही गाज गिरवा ली। मामले में दो पुलिसकर्मी दोषी पाए गये हैं।
विवादित इंस्पेक्टर दिनेश त्रिपाठी जिला जेल कानपुर (Kanpur) में हवा खा रहे हैं। कानपुर देहात के एक पुराने डकैती मामले में 19 अगस्त को उनकी माती कोर्ट में पेशी थी। अदालत द्वारा उन्हें पेशी के लिए तलब किया गया था। इस दौरान हेड कांस्टेबल धर्मेंद्र और कांस्टेबल प्रेम पाल इंस्पेक्टर को पर्सनल इनोवा कार से लेकर पेशी पर पहुँचे थे।
इस मामले ने खूब तूल पकड़ा था। मीडिया में छपी खबरों का संज्ञान लेते हुए कमिश्नर असीम अरूण (Aseem Arun) ने एडीसीपी लाइन बसंत लाल को जांच सौंपी थी। जांच होने पर दोनो पुलिसकर्मी दोषी पाए गये हैं। जिसके बाद कमिश्नर ने दोनो को परेड दलेल की सजा सुनाई है। इसके अलावा दोनो को सख्त हिदायत भी दी गई है।
एडीसीपी (ADCP) लाइन बसंत लाल की जांच में दोषी पाए गये दोनो पुलिसकर्मियों को परेड दलेल में लगातार सात दिनो तक दो-दो घंटे दौड़ने की सजा सुनाई गई है। हालांकि, इस जांच पर तमाम सवाल भी उठ रहे हैं, क्योंकि पेशी पर गाड़ी भेजने की जिम्मेदारी रिजर्व इंस्पेक्टर की होती है।
इस मामले में भी जिम्मेदारी आरआई की थी कि आरोपी को सरकारी गाड़ी में भेजे। लेकिन आरआई की भूमिका जांच में शामिल नहीं की गई है। जबकि पूर्व इंस्पेक्टर के साथ गारद के रूप में गये दो कांस्टेबलों को सजा का पात्र बना दिया गया।