Karnataka News : कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा पत्नी के मेडिकल रिकॉर्ड दिखाकर नहीं साबित कर सकते अवैध संबंध, महिला को दी राहत
(कर्नाटक हाईकोर्ट)
Karnataka News : कर्नाटक हाईकोर्ट की धारवाड़ बेंच (Dharwad Bench) ने अपने एक फैसले में कहा है कि पर्सनल मेडिकल रिकॉर्ड दिखाकर पति या पत्नी के अवैध संबंध (Illegal Relation) को साबित नहीं किया जा सकता है। जस्टिस एनएस संजय गौड़ा ने फैमिली कोर्ट के 30 मार्च 2021 को दिए आदेश को रद्द करते हुए कहा कि अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो यह डॉक्टर मरीज की गोपनीयता की पूरी अवधारणा को ही खत्म कर देगा। इसके अलावा यह एक डॉक्टर को पति-पत्नी के बीच के वैवाहिक विवाद में घसीटने की तरह होगा।
दरअसल याचिकाकर्ता पति ने अपनी पत्नी के कथित गर्भात से जुड़े डॉक्यूमेंट्स (Documents) पेश करने के लिए एक डॉक्टर बुलाने की मांग की थी। पत्नी ने फैमिली कोर्ट (Family Court) के आदेश को चुनौती देते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के मेडिकल रिकॉर्ड उसके लिए बिल्कुल निजी होते हैं और पति या किसी भी अन्य शख्स की ओर से इसकी मांग नहीं की जा सकती है। पति का तर्क था कि उसकी पत्नी व्यभिचारी जीवन जी रही है और उसने उसी से जुड़े आरोप लगाए थे।
हालांकि जस्टिस गौड़ा ने दोनो पक्षों को सुनने के बाद पत्नी की याचिका को मंजूर किया और कहा कि एक डॉक्टर को उसकी शपथ का उल्लंघन करते हुए कोई काम करने के लिए तभी कहा जा सकता है जब कोई मजबूत या बेहद जरूरी विषय होगा। इस शक्ति का कमोबेश केवल तभी इस्तेमाल किया जाना चाहिए जब कोई मामला जनहित से जुड़ा हो।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि किसी शख्स के मेडिकल रिकॉर्ड निजी हैं और सार्वजनिक इस्तेमाल के लिए नहीं हैं। जस्टिस गौड़ा ने आगे कहा कि डॉक्टर को रिकॉर्ड पेश करने या जानकारी का खुलासा करने का निर्देश देना गोपनीयता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। गोपनीयता का यह अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिए गए जीवन के अधिकार से ही निकलता है।
कोर्ट ने कहा कि जिस आधार पर तलाक मांगा गया है वह यह है कि पत्नी ने शख्स के साथ क्रूरता का व्यवहार किया और करीब दो साल तक के लिए उसे छोड़ दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर पति का मानना है कि उसकी पत्नी ने व्याभिचारी जीवन व्यतीत करके उस पर क्रूरता की है तो इस आरोप को कानून तरीकों से ठोस सबूत के साथ साबित करना होगा। इस आरोप को किसी के निजी मेडिकल रिकॉर्ड दिखाकर साबित नहीं किया जा सकता है।