Kashmir Files Controversy: बसपा और सपा के मुस्लिम सांसदों ने "द कश्मीर फाइल्स" फिल्म बैन करने की मांग की
The Kashmir Files Controversy
Kashmir Files Controversy : विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) की फिल्म द कश्मीर फाइल्स (The Kashmir Files) जिस दिन से रिलीज हुई है उसी दिन से विवादों में भी आ गयी है। जहां एक धरा इस फिल्म के समर्थन में खड़ा है वहीं एक पक्ष इस फिल्म में दिखाए गए दृश्यों को झूठ करार देने पर तुला है। अब इस फिल्म के खिलाफ समाजवादी पार्टी (SP) और बहुजन समाज पार्टी (BSP) के मुस्लिम सांसद भी आ गए हैं। इन सांसदों ने मुस्लिम सांसदों ने 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) फिल्म पर बैन (Ban on Kashmir Files) लगाने की मांग कर दी है। मुरादाबाद के समाजवादी पार्टी के सांसद (MP) डॉक्टर एसटी हसन (DR ST Hasan) के साथ ही अब अमरोहा (Amroha) के बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली (Kunwar Danish Ali) ने भी इस फिल्म पर पाबंदी लगाने की मांग की है। सांसदों का कहना है कि फिल्म में तथ्यों को तोड़-मरोड़ पर पेश किया है। इसका इस्तेमाल नफरत फैलाने के लिए किया जा रहा है। ऐसी फिल्में समाज और देश के लिए कमजोर बनाती हैं।
अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी के सांसद कुंवर दानिश अली ने पत्र लिखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पर भी सवाल उठाते हुए कहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते गुजरात फाइल्स फिल्म पर बैन लगाई थी लेकिन अब कश्मीर फाइल्स के प्रचार में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। मोदी को उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का ख्याल क्यों नहीं आया।
दानिश अली बोले, 'इस तरह की फिल्मों को आगे रखकर भाजपा चुनाव में सियासी लाभ हासिल करना चाहती है। बीजेपी की सरकारें, उनके मुख्यमंत्री और मंत्री ज्वलंत मुद्दे रोजगार और महंगाई से हटकर इस फिल्म का प्रचार-प्रसार करने में जुटे हुए हैं। कुंवर दानिश अली ने यह भी कहा है कि उन लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए जो थिएटर में दी कश्मीर फाइल्स फिल्म देखकर उत्तेजक नारे लगा रहे हैं।
इससे पहले मुरादाबाद के सपा सांसद डॉक्टर एसटी हसन ने फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' पर सोशल मीडिया के जरिए बयान जारी कर कहा किथा कि यह फिल्म दो कौमों के बीच नफरत फैलाने का काम कर रही है। सरकार को इस पर तुरंत बैन लगानी चाहिए। बैन नहीं लगने की स्थिति में जल्द मुरादाबाद और गुजरात के दंगों पर भी फिल्म बनने लगेगी।
सांसदों का कहना है कि कश्मीरी पंडितों का दर्द वे भी समझ सकते हैं। वे अपने ही देश में प्रवासी बनकर रह गए हैं। उनके जख्मों को कुरेद कर नफरतों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए। इस तरह उनके जख्मों के व्यापार से उनका भला नहीं हो सकता है। समाज के दोनों वर्गों में प्यार-मोहब्बत और भाईचारा बनाए रखने की कोशिश होनी चाहिए। कश्मीरी पंडितों को फिर से उनके आशियानों में बसाने की कोशिश सरकार की ओर से की जानी चाहिए।
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