Keshav Prasad Maurya : पिछड़ों के बीच बनी रहे साख इसलिए भाजपा ने अपने "केशव" को दे दिया एक और मौका
Keshav Prasad Maurya : बीते विधानसभा चुनावों (Assembly Elections) में यूपी के डिप्टी सीम केशव प्रसाद मार्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) के सिरौथु से चुनाव हार जाने के बावजूद उन्हें योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की सरकार में नंबर दो की हैसियत दी गयी है। शपथ ग्रहण के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ जिन जो डिप्टी सीएम ने शपथ ली उनमें पहला नाम केशव प्रसाद मौर्य का ही था। वहीं डिप्टी सीएम की लिस्ट में दूसरा नाम था छह साल पहले बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) से बसपा में शामिल हुए ब्राह्मण चेहरा ब्रजेश पाठक का। योगी की पहली सरकार में ब्राह्मण चेहरे के रूप में दिनेश शर्मा मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल रहे थे।
इस बार के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मार्य अपना दल कामेड़वाडी की प्रत्याशी पल्लवी पटेल से चुनाव हाल गए थे। बीजेपी ने उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी दोबारा सौंपकर यह जता दिया है कि वे भाजपा में ओबीसी चेहरा फिलहाल बने रहें।
सूत्रों के अनुसार भाजपा के नेताओं का एक बड़ा खेमा केशव प्रसाद मौर्य को दिल्ली शिफ्ट करने के पक्ष में था, पर खुद भाजपा के केशव को यह मंजूर नहीं था। साल 2024 के लोकसभा चुनावों में अब सिर्फ दो साल रह गए हैं, उधर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) भी इन चुनावों में अपने विधायक बढ़ाकर लोकसभा चुनावों में ओबीसी वर्ग के गैर यादव वोटों को अपने पक्ष में करने के लिस कमर कस चुकी है। अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने लोकसभा से इस्तीफा देकर इसके संकेत दे दिए हैं।
से में भाजपा (BJP) इस मौके पर मौर्य को दिल्ली शिफ्ट करना थोड़ा रिस्की लगा। केशव को दोबारा डिप्टी सीएम की कुर्सी सौंप दी गयी क्योंकि कल्याण सिंह के बाद केशव प्रसाद मौर्य ही भाजपा के पास ओबीसी वोटरों के बीच पैठ बनाने के लिए तुरुप का इक्का हैं।
केशव प्रसाद मौर्य मुख्य रूप से कच्छ, कुशवाहा, शाक्य, मार्य, सैनी और माली आदि वर्गों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इन वर्गों के बीच उनकी अच्छी खासी पैठ है। इसका फायदा भाजपा को 2014, 2017, 2019 और अब 2022 के चुनावों में मिल चुका है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सरकार के समय बनायी गयी सोशल जस्टिस कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार यूपी की कुल ओबीसी आबादी में इन वर्गों का कुल प्रतिशत 6.69 प्रतिशत है। इसी रिपोर्ट के अनुसार ओबीसी आबादी कुछ आबादी का 43.13 प्रतिशत है। जबकि अगर सिर्फ ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो ओबीसी की आबादी कुल आबादी का 54.05 प्रतिशत है।
भाजपा यूपी में कुर्मी वोटरों को लेकर हर चुनाव में परेशान रहा है। सोशल जस्टिस कमिटी की रिपोर्ट के मुताबित ओबीसी ग्रुप के अंतर्गत इस समुदाय की आबादी यादवों के बाद दूसरे नंबर पर है। इस वर्ग में समाजवादी पार्टी की भी खासी लोकप्रियता रही है। बीते चुनावों में अखिलेश यादव की सामाजवादी पार्टी के कुर्मी उम्मीदवारों ने तीन मंत्रियों को चुनाव में हराया है। इनमें एक नाम केशव प्रसाद मौर्या का भी है। सात दूसरी सीटों पर भी उन्होंने भाजपा गठबंधन को को कड़ा मुकाबला दिया है।
सिरौथू में बीते विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान ही लग रहा था कि केशल प्रसाद मौर्या के लिए इस बार राहत इतनी आसान नहीं है। रही सही कसर स्वामी प्रसाद मौर्य ने मंत्रीपद और भाजपा छोड़कर कर दी। उसके स्वामी प्रसाद मौर्य ने केशव प्रसाद मौर्य को बेचारा तक दिया था। भाजपा के कुछ नेताओं का मानना है कि चुनावों के दौरान जिनकी सिरौथू विधानसभा में खासी हिस्सेदारी है उन्होंने बड़े पैमाने पर पल्लवी पटेल के पक्ष में वोट किया और इसका खामियाजा भाजपा अपना दल सोनेलाल गठबंधन को झेलना पड़ा।
2017 के विधानसभा चुनावों के दौरान केशव प्रसाद मार्य फूलपुर से लोकसभा सांसद और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। चुनावें में जीत के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था। उधर, भाजपा के पूर्व सांसद और वर्तमान में कांगेस के नेता और दलित चेहरा उदित राज ने एक ट्वीट कर केशव प्रसाद मौर्य को दोबारा सीएम बनाए जाने के मुद्दे को और गरम कर दिया है। उन्होंने ट्वीटर पर लिखा है कि भाजपा ने ओबीसी केशव प्रसाद मौर्य को पहले विधानसभा चुनावों के दौरान हराया और अब उपमुख्यमंत्री बनाकर यह बता दिया है कि औकात में रहना। अब उदित राज के इस बयान पर भाजपा की ओर से क्या प्रतिक्रिया आती है यह देखने वाली बात होगी। फिलहाल तो भाजपा के केशव को भाजपा के योगी की छत्रछाया मिल गयी है। अब चाहे वह जिस किसी भी कारण से हो। केशव प्रसाद मौर्य उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री बन गए हैं।
ओबीसी केशव मौर्य को पहले हराया और अब उप मुख्यमंत्री बनाकर बता दिया की औकात में रहना।@INCIndia
— Dr. Udit Raj (@Dr_Uditraj) March 26, 2022