LAC News: LAC पर जारी है ड्रैगन की गुस्ताखी- घुसपैठ को दिया स्थायी दर्जा, देपसांग में बना डाले 200 शेल्टर
LAC News: भारतीय प्रधानमंत्री मोदी अपने बयान में कहते सुने जाते हैं, 'न कोई वहां घुसा है और न घुस आया है।' जबकि की हरकत लगातार जारी है। और अब तो चीन अपनी सेना क़ो वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थायी बनाने के लिए काम कर रहा है। जिससे उसकी घुसपैठ क़ो स्थायी दर्जा मिल सके। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने हाल के समय में अक्साई चिन और सियाचिन ग्लेशियर के बीच के सामरिक इलाके में 200 से अधिक नए शेल्टर बनाए हैं। ये शेल्टर वहां मौजूद चीनी सैनिकों को सर्दी में संबल देने के मकसद से बनाए गए हैं।
भास्कर में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, LAC की भारतीय अवधारणा के हिसाब से करीब 15 से 18 किमी भीतर बैठे सैनिकों के लिए PLA ने वैसे ही प्री-फ्रेबिकेटेड शेल्टर गाड़े हैं, जैसे सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना लगाती रही है। ये शेल्टर तापमान नियंत्रित करते हैं और सैनिक कड़ाके की ठंड में भी डटे रह सकते हैं। इस अतिक्रमण को सहारा और सैनिक साजो-सामान देने के लिए डेप्थ एरिया में सैन्य अड्डे हैं। वहीं से इन्हें मदद मिल रही है। इनमें से ज्यादातर शिविर अक्टूबर में शी जिनपिंग के तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति मनोनीत होने के बाद बनाए गए हैं।
भारतीय सैनिक नहीं कर पा रहे पेट्रोलिंग
चीनी सेना ने 2020 में लद्दाख के 5 इलाकों में अतिक्रमण किया था, जहां से उसकी वापसी हो चुकी है, लेकिन देपसांग और दमचौक में पुरानी घुसपैठ बरकरार है। देपसांग में चीनी सैनिक मौजूद रहने से भारतीय सेना परंपरागत पैट्रोल प्वाइंट्स (PP) 10, 11, 12, 13, 14 तक नहीं जा पा रही है। सीनियर कमांडर स्तर की वार्ता में भारत देपसांग और दमचौक पर आपत्ति दर्ज कराता रहा है। देपसांग में नए शेल्टर बनने से साफ है कि चीनी PLA का निकट भविष्य में वहां से हटने का इरादा नहीं है।
भारत के लिए यह क्षेत्र अहम
बताया जा रहा है कि भारत के लिए यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। यह चीन के कब्जे वाले अक्साई चिन को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से जोड़ता है। यहीं से होकर चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत हाईवे बनाने पर काम भी कर रहा है। जानकारों का मानना है कि चीन का ये मकसद कामयाब होना भारत के लिए सिरदर्दी बढ़ाने का काम करेगा।
क्या है चीन का इरादा?
तात्कालिक मायने यही कि चीन हमारे दावे को कमजोर कर रहा है। उत्तरी कमान के पूर्व कमांडर रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हूडा का कहना है- देपसांग में चीनी सेना की इस चाल का तात्कालिक मतलब तो यही है कि वह इस इलाके से हटने को तैयार नहीं है। वह इस कब्जे को स्थायी बनाना चाहता है और भारतीय सेना की गश्त को रोककर हमारे दावे को कमजोर करने पर आमादा है।
भारत का कमतर होगा सामरिक महत्व
यह इलाका ऊंचाई पर होने के बावजूद काफी समतल है। वहां पास ही डीबीओ में हमारी हवाई पट्टी है। समतल स्थान पर टैंकों के ऑपरेशन सफलतापूर्वक हो सकते हैं। देपसांग ही लद्दाख में ऐसा इलाका है, जिसके बाद कराकोरम रेंज शुरू हो जाती है। इसके दूसरी ओर नुब्रा और श्योक वैली है। पाकिस्तान से चीन को उपहार में मिली शाक्सगाम वैली भी इससे लगी है। लिहाजा यह क्षेत्र भारत के लिए सामरिक महत्व का है।