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Lata Mangeshakar Ka Nidhan: लता दीदी ने शहीदों के सम्मान में गाया - ऐ मेरे वतन के लोगों, तो किस पीएम की भर आई थी आंखें, जानें इससे जुड़ा दिलचस्प किस्सा

Janjwar Desk
6 Feb 2022 6:18 AM GMT
Lata Mangeshkar
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 लता दीदी ने शहीदों के सम्मान में गाया - ऐ मेरे वतन के लोगों।

Lata Mangeshakar Ka Nidhan: इस गाने को अपनी आवाज देने के लिए बरसों पहले लता मंगेशकर ने मना कर दिया था। इस बात पर लता मंगेशकर और कवि प्रदीप के बीच मतभेद हो गया। काफी मनाने के बाद लता मान गईं। जब उन्होंने इस गाने को पहली बार सुना तो वह रोने लगी थीं।

नई दिल्ली। आज की सुबह एक बुरी खबर लेकर आई कि स्वर कोकिला लता मंगेशकर ( Lata Mangeshkar ) का निधन हो गया। लता जी के निधन की खबर सुनते ही देशभर में शोक की लहर दौड़ पड़ी। सभी की की आंखें भी नम हो गईं। लोगों को वो वक्त याद आने लगा जब लता जी ने 1962 में चीन के हाथों मिली हार के बाद शहीद सैनिकों के सम्मान में गाया था। जी हां, मैं ऐ मेरे वतन के लोगों, खूाब लगा लो नारा की बात कर रहा हूं। इसे लता दीदी ने ऐसे गाया कि हर भारतीय गाने को सुनकर खो जाता हैं। इस गाने को सुनकर देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आंखें भी भर आई थीं। आखिर क्या है इस गाने में खास कि गाना जब भी यह बजता है तो कानों में मधुर धुन स्वर कोकिला लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar ) की घुलने लगती है।


ये है शहीदों के सम्मान में गाया पूरा गाना

ऐ मेरे वतन के लोगों, तुम खूब लगा लो नारा

ये शुभ दिन हैं हम सब का, लहरा लो तिरंगा प्यारा..

पर मत भूलो सीमा पर, वीरों ने हैं प्राण गवाये

कुछ याद उन्हें भी कर लो, कुछ याद उन्हें भी कर लो

जो लौट के घर ना आये,

जो लौट के घर ना आये ऐ मेरे वतन के लोगों,

ज़रा आँख में भर लो पानी

जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

ऐ मेरे वतन के लोगों, ज़रा आँख में भर लो पानी

जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानी

तुम भूल ना जाओ उनको इसलिए कही ये कहानी

जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानीजब देश में थी दीवाली,

वो खेल रहे थे होली

जब हम बैठे थे घरों में..जब हम बैठे थे घरों में ..

वो झेल रहे थे गोली

संगीन पे धर कर माथा, सो गये अमर बलिदानी

जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानीजब घायल हुआ हिमालय,

ख़तरे में पड़ी आज़ादी

जब तक थी साँस लडे वो..जब तक थी साँस लडे वो,

फिर अपनी जान बिछा दी

जो खून गिरा पर्वतपर, वो खून था हिन्दुस्तानी

जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानीकोई सिख कोई जाट मराठा,

कोई गुरखा कोई मद्रासी

सरहद पर मरनेवाला..सरहद पर मरनेवाला,

हर वीर था भारतवासी

थे धन्य जवान वो अपने, थी धन्य वो उनकी जवानी

जो शहीद हुये हैं उनकी, ज़रा याद करो कुर्बानीथी खून से लथपथ काया,

फिर भी बंदुक उठाके

दस दस को एक ने मारा, फिर गिर गये होश गँवा के

जब अंत समय आया तो, कह गये के अब मरते हैं

खुश रहना देश के प्यारों, अब हम तो सफ़र करते हैं

क्या लोग थे वो दीवाने, क्या लोग थे वो अभिमानी

जो शहीद हुये हैं उनकी,

ज़रा याद करो कुर्बानीतुम भूल ना जाओ

उनको इसलिए कही ये कहानी

जो शहीद हुये हैं उनकी,

ज़रा याद करो कुर्बानीजय हिंद,

जय हिंद की सेनाजय हिंद,

जय हिंद की सेना

क्या आपको पता है, लता दीदी ने इसे गाने से कर दिया था मना

खास बात यह है कि लता दीदी ने इस गाने को इस तरह से गाया कि हर भारतीय इस गाने को सुनकर उसमें खो जाता है, लेकिन क्या आपको पता है इस गाने को अपनी आवाज देने के लिए बरसों पहले लता मंगेशकर ( Lata Mangeshkar ) ने मना कर दिया था। इस बात पर लता मंगेशकर और कवि प्रदीप के बीच मतभेद हो गया था। जिसके बाद लता जी ने इस गाने को गाने से इनकार कर दिया। इसके बाद आशा भोंसले से इस गाने को गाने के लिए कहा गया। इसके बावजूद कवि प्रदीप इस गाने को लता दीदी की आवाज मिले इस पर अड़े हुए थे। काफी वक्त बाद इन्होंने लता दीदी को मनवाया और इस गाने को लता मंगेशकर ने अपनी आवाज दी। लता जी ने उस वक्त एक शर्त रखी थी। उनका कहना था कि जब भी इस गाने का रिहर्सल होगा तो उन्हें वहां पर मौजूद रहना होगा। प्रदीप गायिका की इस बात को तुरंत मान गए। जब उन्होंने इस गाने को पहली बार सुना तो वो रोने लगी थीं।

कवि प्रदीप ने लिखा था ये गाना

शहीदों के सम्मान 'ऐ मेरे वतन के लोगों' ( Lata Mangeshkar ) गाने को शब्द कवि प्रदीप ने दिए थे। बहुत ही कम लोग इस बात को जानते होंगे कि कवि प्रदीप के दिमाग में इस गाने के बोल तब आए जब वो मुंबई माहीम बीच पर टहल रहे थे। उस वक्त उनके पास न पेन था और न ही कागज। ऐसे में उन्होंने पास से गुजर रहे अजनबी से पेन मांगा और सिगरेट के एल्यूमिनियम फॉयल पर लिखा ऐ मेरे वतन के लोगों, खूब लगा लो नारा।

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