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मध्यप्रदेश: मोदी को रिझाने के लिए बैंकों में मची कर्ज बांटने की होड़
वरिष्ठ पत्रकार सौमित्र रॉय की रिपोर्ट
भोपाल। मध्यप्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव की बयार चल पड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 सितंबर को राज्य में स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि के लाभार्थियों से चर्चा करेंगे। मोदी को रिझाने के लिए कंगाल हो रहे बैंकों ने स्ट्रीट वेंडरों के लोन आवेदन को हर हाल में मंजूर करने का कवायद शुरू कर दी है।
प्रधानमंत्री स्ट्रीट वेंडर आत्मनिर्भर निधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को कोरोना के कारण कारोबारी नुकसान की भरपाई के लिए 10 हजार रुपए की बिना शर्त लोन सहायता देने का प्रावधान है। खुद बैंक इस स्कीम को आर्थिक कम, राजनीतिक ज्यादा मानते हैं। पंजाब नेशनल बैंक के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यह पैसा वापस नहीं लौटने वाला है और इसे चुनावी शैरात ही समझें। लेकिन इससे बैंकों को होने वाला पूंजीगत नुकसान बहुत ज्यादा होने वाला है।
आलम यह है कि स्ट्रीट वेंडर्स को योजना का लाभ दिलाने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय और वित्त मंत्रालय से लेकर मध्यप्रदेश सरकार के आला अधिकारी तक, सभी बैंकों पर दबाव बनाने में जुटे हैं। बैंक प्रबंधन के आला अफसरों ने मातहत अधिकारियों को पत्र लिखकर स्ट्रीट वेंडर्स के लोन के हर आवेदन को मंजूरी देने के लिए कह दिया है।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने जब 'ऊपर से आए' मेल और अन्य निर्देशों के बारे में पीएमओ और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों से जवाब मांगने की कोशिश की तो सभी चुप्पी साध गए। सेंट्रल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंकबैंक जैसे तमाम बैंकों को लोन आवेदनों की मंजूरी के लिए रविवार को भी अपनी शाखाएं खोलने को कहा गया है।
ऐसे समय में, जब देश की अर्थव्यवस्था -23.9 फीसदी की उतार पर है और बैंकों का एनपीए 12 प्रतिशत से भी अधिक होने की आशंका है, इस तरह के सियासी कदमों से केवल देश को ही नहीं, बैंकों में अपने खून-पसीने की कमाई जमा करने वालों के लिए खतरे की आहट है।