Narsinghpur: नरसिंहपुर में कथावाचक तरूण मुरारी की कड़वी कथा, महात्मा गांधी को बताया देशद्रोही
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(कथावाचक तरूण मुरारी ने महात्मा गांधी को बताया देशद्रोही)
Narsinghpur: मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर में कथावाचक द्वारा महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) पर गलत टिप्पणी करने का मामला सामने आया है। कथा में उन्होंने गांधी को देशद्रोही बता डाला। जब उनसे बात की गई तो वह अपने गलत बयानबाजी को सही बताने लगे। उनका तर्क था कि करमचंद गांधी ने राष्ट्र के दो टुकड़े किए हैं। वह न तो महात्मा हैं और न राष्ट्रपिता। जब मामले ने तूल पकड़ा तो कथावाचक ने माफी मांग ली।
कथावाचक तरुण मुरारी (Tarun Murari) ने कहा, पहला तो यह असत्य बोला जा रहा है 'महात्मा'। वो कोई महात्मा नहीं है। दूसरा असत्य बोला जा रहा है 'राष्ट्रपिता'। वो राष्ट्रपिता नहीं है। इस विषय में RTI (सूचना का अधिकार) से जानकारी ली जा सकती है। इस राष्ट्र को दो नेशन की थ्योरी देने वाला कोई व्यक्ति है तो वो है करमचंद गांधी है, जिसने इस भारत के दो टुकड़े किए। जो राष्ट्र के दो टुकड़े करे, वो पिता कैसे। हम इसका घोर विरोध करते हैं। यह व्यक्ति न तो महात्मा है, न राष्ट्रपिता है। मेरी नजर में देशद्रोही है।
कांग्रेस ने दर्ज कराई FIR तो मांगी माफी
कथावाचक नरसिंहपुर में छिंदवाड़ा रोड स्थित वीरा लॉन में श्रीमद्भागवत कथा कर रहे थे। कांग्रेस ने SP से शिकायत की। जांच के बाद स्टेशन थाने में कथावाचक पर केस किया गया है। तरुण मुरारी पर केस दर्ज हुआ तो उन्होंने बाद में माफी भी मांगी। कथावाचक ने कहा कि मुझे यह नहीं बोलना चाहिए था। राष्ट्रपिता का अपमान करना मकसद नहीं था। उनके बारे में तो पूरा देश जानता है।
पहले भी विवाद
तरुण मुरारी उर्फ रमेश गौड़ पर अप्राकृतिक कृत्य का आरोप लग चुका है। 6 मार्च 2017 में राजगढ़ जिले के सारंगपुर थाने में 12वीं के स्टूडेंट ने केस कराया था। तरुण ने सारंगपुर के कॉलेज से ग्रेजुएशन किया है।
रायपुर में कालीचरण ने दी थी गाली
अकोला महाराष्ट्र के रहने वाले कालीचरण ने 26 दिसंबर को रायपुर की धर्म संसद में कहा था- 1947 में मोहनदास करमचंद गांधी ने उस वक्त देश का सत्यानाश किया। नमस्कार है नाथूराम गोडसे को, जिन्होंने उन्हें मार दिया। कालीचरण महाराज को खजुराहो से गिरफ्तार कर रायपुर पुलिस ले गई थी। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने गिरफ्तारी के तरीके को गलत बताया था। कैलाश विजयवर्गीय ने भी गिरफ्तारी को गलत बताते हुए कहा था कि संतों के प्रति उदार रहना चाहिए।
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